लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने हाथरस मामले की सुनवाई के दौरान एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम व सम्बंधित नियम के तहत अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के पीड़ितों के संरक्षण, आर्थिक राहत, भोजन व चिकित्सीय सहायता इत्यादि उपलब्ध के सम्बंध में बनाई गई स्कीम को तलब किया है. न्यायालय ने कहा है कि यदि राज्य सरकार ने ऐसी कोई स्कीम बनाई हो तो उसे अगली सुनवाई पर पेश करे. मामले की अगली सुनवाई 22 अक्टूबर को होगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने हाथरस मामले में स्वतः संज्ञान द्वारा ‘गरिमापूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार के अधिकार’ टाइटिल से दर्ज जनहित याचिका पर पारित किया. न्यायालय ने एससी-एसटी एक्ट के धारा 15 की उपधारा 11 के तहत बनाई गई स्कीम का स्थिति पूछी है. स्कीम के तहत पीड़ित को नगद की सहायता, आवश्यक संरक्षण, मृत्यु, चोट या सम्पत्ति के नुकसान के सम्बंध में राहत, भोजन व चिकित्सीय सहायता इत्यादि उप्लब्ध कराने का प्रावधान होना चाहिए.
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उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाई के दौरान पीड़िता के परिवार की अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया था कि परिवार को 25 लाख रुपये का मुआवजा मिल चुका है. वहीं, मामले में न्याय मित्र नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता जेएन माथुर ने न्यायालय को बताया कि उक्त अधिनियम व इसके तहत बने विनियम के तहत मृतक के आश्रित को पांच हजार रुपये पेंशन, परिवार के एक सदस्य को नौकरी, कृषि भूमि, मकान व स्नातक तक की पढाई का खर्च इत्यादि दिए जाने का प्रावधान है. हालांकि मकान, नौकरी अथवा पेंशन का लाभ परिवार को अब तक नहीं दिया गया है.