लखनऊ : दुराचार के एक मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई सजा पूरी चुके एक व्यक्ति को दोबारा इसी मामले में जेल जाना पड़ा. मामला के संज्ञान में आने के बाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उक्त व्यक्ति की तत्काल रिहाई के आदेश संबंधित जेल प्रशासन को दिए हैं. यह आदेश न्यायमूर्ति राजन राय की एकल पीठ ने राज नारायन उर्फ राम की अपील पर पारित किया.
राज नारायन को लखीमपुर-खीरी जनपद में दर्ज दुराचार के एक मुकदमे में दोष सिद्ध करार देते हुए सात वर्ष कारावास की सजा ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई थी. ट्रायल कोर्ट के इस निर्णय को राज नारायन ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अपील दाखिल करते हुए चुनौती दी. हालांकि उसकी उक्त अपील 20 साल से हाईकोर्ट में लंबित है. अपील के लंबित रहने के दौरान 14 मार्च 2009 को सजा पूरी होने के बाद राज नारायन को बरेली जेल से रिहा कर दिया गया. इधर 15 नवंबर 2022 को राज नारायन की अपील जब सुनवाई के लिए कोर्ट के समक्ष आई तो कोर्ट ने पाया कि पुलिस रिपोर्ट के अनुसार राज नारायन अपना घर बार बेचकर कहीं चला गया है और अपील पर बहस के लिए उसकी ओर से कोई अधिवक्ता उपस्थित नहीं हुआ.
पुलिस की उक्त रिपोर्ट पर कोर्ट ने राज नारायन के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई का आदेश दिया. हाईकोर्ट के इस आदेश के पश्चात पुलिस ने 13 दिसंबर 2022 को उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, तभी से वह जेल में ही था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति को मामले की जानकारी होने के बाद शुक्रवार को ही उन्होंने विशेष पीठ के गठन का आदेश दिया. मुख्य न्यायमूर्ति के आदेश के बाद गठित विशेष पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज नारायन को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया. साथ ही उसकी अपील को अगस्त महीने में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का भी निर्देश दिया है.
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