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अधिवक्ताओं के वर्तमान ड्रेस को हाईकोर्ट में चुनौती, बार काउंसिल ऑफ इंडिया से जवाब तलब - न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अधिवक्ताओं के वर्तमान ड्रेस को जनहित याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई है. उक्त याचिका पर कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी करते हुए केंद्र सरकार व इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन समेत सभी प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.

high court lucknow bench
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Published : Jul 16, 2021, 10:39 PM IST

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अधिवक्ताओं के वर्तमान ड्रेस को जनहित याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई है. उक्त याचिका पर कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी करते हुए केंद्र सरकार व इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन समेत सभी प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. मामले की अग्रिम सुनवाई 18 अगस्त को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव, प्रथम की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता अशोक पांडेय की याचिका पर पारित किया. याची के अनुसार उन्होंने अपनी याचिका में बार काउंसिल के उस नियम को चुनौती दी है, जिसमें अधिवक्ताओं को कोर्ट रूम में काला कोट, गाउन व बैंड धारण करने का प्रावधान किया गया है. उन्होंने कहा कि वकीलों के लिए ड्रेस निर्धारित करने का अधिकार बार काउंसिल ऑफ इंडिया को देते हुए, यह प्रावधान किया गया था कि अधिवक्ताओं के लिए ड्रेस निर्धारण करते समय क्लाइमेटिक कंडीशन का ध्यान रखा जाए, लेकिन बार काउंसिल ने पूरे देश के लिए और 12 महीने के लिए एक ही ड्रेस कोड का निर्धारण कर दिया.

इसे भी पढ़ें:- जल निगम भर्ती घोटाला: आजम खां को सीबीआई की विशेष अदालत ने किया तलब

याची का कहना है कि भारत में जहां तमाम क्षेत्रों में 9 महीने और कुछ क्षेत्रों में 12 महीने गर्मी पड़ती है, वहां काला कोट और गाउन पूरे साल भर के लिए निर्धारित करना एडवोकेट्स एक्ट के संबंधित प्रावधान और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 का उल्लंघन है. याचिका में वकीलों के बैंड के बावत कहा गया है कि ऐसे बैंड को ईसाई देशों में प्रीचिंग बैंड कहा गया है, जिसे बड़े ईसाई धर्मगुरु तब धारण करते हैं जब वे धार्मिक प्रवचन देते हैं. ऐसे में यह बैंड ईसाई धर्म का आवश्यक प्रतीक चिन्ह है.

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अधिवक्ताओं के वर्तमान ड्रेस को जनहित याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई है. उक्त याचिका पर कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी करते हुए केंद्र सरकार व इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन समेत सभी प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. मामले की अग्रिम सुनवाई 18 अगस्त को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव, प्रथम की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता अशोक पांडेय की याचिका पर पारित किया. याची के अनुसार उन्होंने अपनी याचिका में बार काउंसिल के उस नियम को चुनौती दी है, जिसमें अधिवक्ताओं को कोर्ट रूम में काला कोट, गाउन व बैंड धारण करने का प्रावधान किया गया है. उन्होंने कहा कि वकीलों के लिए ड्रेस निर्धारित करने का अधिकार बार काउंसिल ऑफ इंडिया को देते हुए, यह प्रावधान किया गया था कि अधिवक्ताओं के लिए ड्रेस निर्धारण करते समय क्लाइमेटिक कंडीशन का ध्यान रखा जाए, लेकिन बार काउंसिल ने पूरे देश के लिए और 12 महीने के लिए एक ही ड्रेस कोड का निर्धारण कर दिया.

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याची का कहना है कि भारत में जहां तमाम क्षेत्रों में 9 महीने और कुछ क्षेत्रों में 12 महीने गर्मी पड़ती है, वहां काला कोट और गाउन पूरे साल भर के लिए निर्धारित करना एडवोकेट्स एक्ट के संबंधित प्रावधान और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 का उल्लंघन है. याचिका में वकीलों के बैंड के बावत कहा गया है कि ऐसे बैंड को ईसाई देशों में प्रीचिंग बैंड कहा गया है, जिसे बड़े ईसाई धर्मगुरु तब धारण करते हैं जब वे धार्मिक प्रवचन देते हैं. ऐसे में यह बैंड ईसाई धर्म का आवश्यक प्रतीक चिन्ह है.

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