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लखनऊ: प्राइवेट प्लॉट पर वाटर टैंक बनाने के मामले में कोर्ट ने लगाया 10 हजार का हर्जाना

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक प्राइवेट प्लॉट पर जल निगम द्वारा ओवर हेड टैंक बनाए जाने के मामले में सुनवाई में देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर 10 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है.

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Published : Jul 9, 2019, 10:16 AM IST

हाईकोर्ट (फाइल फोटो).

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जल निगम के अधिकारियों पर हर्जाना लगाया है. एक प्राइवेट प्लॉट पर जल निगम द्वारा ओवर हेड टैंक बना दिये जाने के मामले में सुनवाई में देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर 10 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है. मामले में न्यायालय द्वारा जनवरी 2016 में रिपोर्ट तलब किये जाने के बावजूद, इस सम्बंध में कार्रवाई न किये जाने पर न्यायालय ने यह आदेश दिया है.


यह आदेश न्यायमूर्ति अजय लाम्बा और न्यायमूर्ति एनके जोहरी की खंडपीठ ने सुभ शर्मा की ओर से दाखिल याचिका पर यह हर्जाना लगाया है. याची का कहना है कि उसके प्लॉट से लगी हुई जल निगम की जमीन है, जिस पर ओवर हेड टैंक का निर्माण होना था. जब निर्माण शुरू हुआ तो जल निगम ने याची की भूमि का भी अतिक्रमण कर लिया व उस पर ही ओवर हेड टैंक बना डाला.


याची ने इसे रोकने के लिए सिविल न्यायालय में मुकदमा भी दाखिल किया, जो फिलहाल विचाराधीन है. इस दौरान सिविल न्यायालय से उसे अंतरिम राहत नहीं दी गई. सुनवाई के दौरान नगर निगम के अधिवक्ता अमित कुमार द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि नगर निगम की ओर से पहले ही जवाब दाखिल किया जा चुका है.

न्यायालय ने पाया कि 11 जनवरी 2016 को आदेश दिए जाने के बावजूद तहसीलदार और जिलाधिकारी की ओर से हलफनामा दाखिल नहीं किया गया. इस पर न्यायालय ने देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर 10 हजार रुपये का हर्जाना लगाया व मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 जुलाई की तिथि नियत की है.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जल निगम के अधिकारियों पर हर्जाना लगाया है. एक प्राइवेट प्लॉट पर जल निगम द्वारा ओवर हेड टैंक बना दिये जाने के मामले में सुनवाई में देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर 10 हजार रुपये का हर्जाना लगाया है. मामले में न्यायालय द्वारा जनवरी 2016 में रिपोर्ट तलब किये जाने के बावजूद, इस सम्बंध में कार्रवाई न किये जाने पर न्यायालय ने यह आदेश दिया है.


यह आदेश न्यायमूर्ति अजय लाम्बा और न्यायमूर्ति एनके जोहरी की खंडपीठ ने सुभ शर्मा की ओर से दाखिल याचिका पर यह हर्जाना लगाया है. याची का कहना है कि उसके प्लॉट से लगी हुई जल निगम की जमीन है, जिस पर ओवर हेड टैंक का निर्माण होना था. जब निर्माण शुरू हुआ तो जल निगम ने याची की भूमि का भी अतिक्रमण कर लिया व उस पर ही ओवर हेड टैंक बना डाला.


याची ने इसे रोकने के लिए सिविल न्यायालय में मुकदमा भी दाखिल किया, जो फिलहाल विचाराधीन है. इस दौरान सिविल न्यायालय से उसे अंतरिम राहत नहीं दी गई. सुनवाई के दौरान नगर निगम के अधिवक्ता अमित कुमार द्विवेदी ने कोर्ट को बताया कि नगर निगम की ओर से पहले ही जवाब दाखिल किया जा चुका है.

न्यायालय ने पाया कि 11 जनवरी 2016 को आदेश दिए जाने के बावजूद तहसीलदार और जिलाधिकारी की ओर से हलफनामा दाखिल नहीं किया गया. इस पर न्यायालय ने देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर 10 हजार रुपये का हर्जाना लगाया व मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 जुलाई की तिथि नियत की है.

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हाईकोर्ट


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