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एएसपी राहुल और पत्नी की याचिका पर 19 को होगी सुनवाई, दुराचार और गर्भपात का है आरोप

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (High Court Lucknow Bench) में एएसपी राहुल (Hearing on ASP Rahul) और पत्नी की याचिका पर 19 जनवरी को सुनवाई होगी. इन पर दुराचार और गर्भपात का आरोप है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 17, 2024, 10:15 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एएसपी राहुल श्रीवास्तव व उनकी पत्नी के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म और गर्भपात मामले की एफआईआर के विरुद्ध दाखिल याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी. इस मामले में न्यायालय ने एएसपी और उनकी पत्नी की अगली सुनवाई तक गिरफ़्तारी पर रोक लगाई है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति एनके जौहरी की खंडपीठ ने एएसपी व उनकी पत्नी की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया.

याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से न्यायालय को बताया गया कि डीजीपी के आदेश से इस मामले में महिला व बाल सुरक्षा संगठन के एडीजी से जांच कारवाई गई. कहा गया है कि 2 जनवरी 2024 की उक्त जांच रिपोर्ट में पीड़िता द्वारा दुष्कर्म व ब्लैकमेलिंग के आरोपों के समर्थन में साक्ष्य तो नहीं मिले. लेकिन, एएसपी व पीड़िता के बीच रिलेशनशिप के साक्ष्य जरूर मिले हैं. वहीं, याची की ओर से दलील दी गई कि लखनऊ यूनिवर्सिटी जहां एएसपी की पत्नी एसोसिएट प्रोफेसर हैं के कुलपति को पीड़िता द्वारा भेजे पत्र में उसने एएसपी के साथ किसी भी संबंध से इनकार किया है, जबकि डीजीपी को भेजे पत्र में संबंध होने की बात कही है. वहीं, एफआईआर में वर्ष 2019 में एएसपी द्वारा दुष्कर्म करने का आरोप लगाया गया है. याची की ओर से पीड़िता द्वारा लगातार बदलते बयानों व चार साल बाद एफआईआर दर्ज कराने के आधार पर उक्त एफआईआर को चुनौती दी गई है.

याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए न्यायालय ने सरकारी वकील को याचियों के विरुद्ध अब तक एकत्रित साक्ष्य को पेश करने का आदेश दिया था. हालांकि, बुधवार को सुनवाई के दौरान और समय की मांग की गई. इसे स्वीकार करते हुए न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 जनवरी की तारीख नियत की है.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एएसपी राहुल श्रीवास्तव व उनकी पत्नी के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म और गर्भपात मामले की एफआईआर के विरुद्ध दाखिल याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी. इस मामले में न्यायालय ने एएसपी और उनकी पत्नी की अगली सुनवाई तक गिरफ़्तारी पर रोक लगाई है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति एनके जौहरी की खंडपीठ ने एएसपी व उनकी पत्नी की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया.

याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से न्यायालय को बताया गया कि डीजीपी के आदेश से इस मामले में महिला व बाल सुरक्षा संगठन के एडीजी से जांच कारवाई गई. कहा गया है कि 2 जनवरी 2024 की उक्त जांच रिपोर्ट में पीड़िता द्वारा दुष्कर्म व ब्लैकमेलिंग के आरोपों के समर्थन में साक्ष्य तो नहीं मिले. लेकिन, एएसपी व पीड़िता के बीच रिलेशनशिप के साक्ष्य जरूर मिले हैं. वहीं, याची की ओर से दलील दी गई कि लखनऊ यूनिवर्सिटी जहां एएसपी की पत्नी एसोसिएट प्रोफेसर हैं के कुलपति को पीड़िता द्वारा भेजे पत्र में उसने एएसपी के साथ किसी भी संबंध से इनकार किया है, जबकि डीजीपी को भेजे पत्र में संबंध होने की बात कही है. वहीं, एफआईआर में वर्ष 2019 में एएसपी द्वारा दुष्कर्म करने का आरोप लगाया गया है. याची की ओर से पीड़िता द्वारा लगातार बदलते बयानों व चार साल बाद एफआईआर दर्ज कराने के आधार पर उक्त एफआईआर को चुनौती दी गई है.

याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए न्यायालय ने सरकारी वकील को याचियों के विरुद्ध अब तक एकत्रित साक्ष्य को पेश करने का आदेश दिया था. हालांकि, बुधवार को सुनवाई के दौरान और समय की मांग की गई. इसे स्वीकार करते हुए न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 जनवरी की तारीख नियत की है.

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