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चर्चित डाकघर घोटाले के अभियुक्त को मिली अग्रिम जमानत

चर्चित डाकघर घोटाले के अभियुक्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से अग्रिम जमानत मिल गई. अभियुक्त पर डाकघर से लाखों रुपये निकालने का आरोप है. कोर्ट ने याची की उम्र व जांच के दौरान उसके सहयोग को देखते हुए, उसकी अग्रिम जमानत याचिका मंजूर कर ली.

लखनऊ हाईकोर्ट.
लखनऊ हाईकोर्ट.
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Published : Feb 12, 2021, 8:58 PM IST

लखनऊ: शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ललितपुर के चर्चित डाकघर घोटाला मामले में अभियुक्त सुकुमार जैन की अग्रिम जमानत याचिका मंजूर कर ली. अभियुक्त की उम्र को देखते हुए कोर्ट ने उसे यह राहत प्रदान की है.

यह आदेश न्यायाधीश आलोक माथुर की एकल सदस्यीय पीठ ने सुकुमार जैन की याचिका पर पारित किया. अभियुक्त पर मामले के अन्य अभियुक्तों के साथ मिलकर ललितपुर डाकघर के रिकॉर्ड में फर्जी डाटा एंट्री करके लाखों रुपये निकालने का आरोप है. वर्ष 2013-14 में हुई उक्त घटना की जांच सीबीआई ने की है. सीबीआई ने मामले की जांच के उपरांत हाल ही में अभियुक्त के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है.

याची पक्ष का कहना था कि घटना के सात साल बाद सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की, जबकि याची को सेवानिवृत हुए चार साल हो चुके हैं. याची की ओर से यह भी दलील दी गई कि उसकी उम्र 65 साल है व जांच के दौरान उसने पूरी तरह से सहयोग किया है. वहीं सीबीआई की ओर से याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि निचली अदालत द्वारा चार्जशीट पर संज्ञान लेकर अभियुक्त को समन किया जा चुका है व उसके न हाजिर होने पर फरारी की उद्घोषणा की कार्रवाई भी शुरू की जा रही है. हालांकि कोर्ट ने याची की उम्र व जांच के दौरान उसके सहयोग को देखते हुए, उसकी अग्रिम जमानत याचिका मंजूर कर ली.

लखनऊ: शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ललितपुर के चर्चित डाकघर घोटाला मामले में अभियुक्त सुकुमार जैन की अग्रिम जमानत याचिका मंजूर कर ली. अभियुक्त की उम्र को देखते हुए कोर्ट ने उसे यह राहत प्रदान की है.

यह आदेश न्यायाधीश आलोक माथुर की एकल सदस्यीय पीठ ने सुकुमार जैन की याचिका पर पारित किया. अभियुक्त पर मामले के अन्य अभियुक्तों के साथ मिलकर ललितपुर डाकघर के रिकॉर्ड में फर्जी डाटा एंट्री करके लाखों रुपये निकालने का आरोप है. वर्ष 2013-14 में हुई उक्त घटना की जांच सीबीआई ने की है. सीबीआई ने मामले की जांच के उपरांत हाल ही में अभियुक्त के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है.

याची पक्ष का कहना था कि घटना के सात साल बाद सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की, जबकि याची को सेवानिवृत हुए चार साल हो चुके हैं. याची की ओर से यह भी दलील दी गई कि उसकी उम्र 65 साल है व जांच के दौरान उसने पूरी तरह से सहयोग किया है. वहीं सीबीआई की ओर से याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि निचली अदालत द्वारा चार्जशीट पर संज्ञान लेकर अभियुक्त को समन किया जा चुका है व उसके न हाजिर होने पर फरारी की उद्घोषणा की कार्रवाई भी शुरू की जा रही है. हालांकि कोर्ट ने याची की उम्र व जांच के दौरान उसके सहयोग को देखते हुए, उसकी अग्रिम जमानत याचिका मंजूर कर ली.

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