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गिरधारी एनकाउंटरः हाई कोर्ट ने FIR दर्ज करने के आदेश पर लगाया स्टे

राजधानी लखनऊ में हुए गिरधारी एनकाउंटर मामले में हाई कोर्ट ने पुलिसकर्मियों को राहत दी है. कोर्ट ने सीजेएम आजमगढ़ के एफआईआर दर्ज करने के आदेश पर स्टे लगा दिया है. सरकार की तरफ से एएजी विनोद शाही ने पक्ष रखा था. मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी.

गिरधारी एनकाउंटर केस.
गिरधारी एनकाउंटर केस.
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Published : Mar 2, 2021, 5:37 PM IST

Updated : Mar 2, 2021, 10:38 PM IST

लखनऊः राजधानी में हुए गिरधारी एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों को हाई कोर्ट ने एक बड़ी राहत दी है. हाई कोर्ट ने सीजेएम के हत्या का मुकदमा दर्ज करने के आदेश पर स्टे लगा दिया है. राज्य सरकार की तरफ से दायर की गई याचिका पर जस्टिस डीके सिंह ने स्टे ऑर्डर दिया है. सरकार की तरफ से एएजी विनोद शाही ने पक्ष रखा था.

आजमगढ़ के सीजेएम ने वकील सरबजीत सिंह की अर्जी पर सुनवाई करते हुए डीसीपी संजीव सुमन, एसीपी प्रवीण मालिक और थानाध्यक्ष विभूतिखंड चंद्रशेखर सिंह के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे. हजरतगंज पुलिस कई दिनों से कोर्ट के आदेश को दबाए हुए था. मंगलवार को हाई कोर्ट ने सीजेएम के आदेश पर स्टे लगा दिया है.

तीसरी एफआईआर की नहीं है कोई आवश्यकता

हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने हजरतगंज पुलिस को एफआईआर दर्ज कर नियमानुसार विवेचना करने के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती देते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि एनकाउंटर मामले में दो एफआईआर पहले से दर्ज हैं. ऐसे में तीसरी एफआईआर का आदेश देने की कोई आवश्यकता नहीं थी. राज्य सरकार की उक्त याचिका पर न्यायालय ने पुलिस को बड़ी राहत देते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश पर रोक लगा दी है. यह आदेश 25 फरवरी को दिया गया था. इसके साथ ही न्यायालय ने वादी को भी नोटिस जारी किया है और मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 मार्च की तिथि नियत की गई है.

याचिका में कही थी ये बात

इसके पहले परिवादी राकेश विश्वकर्मा के वकील प्रांशु अग्रवाल ने अर्जी देकर बताया कि आरोपियों ने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया है. कहा गया कि आरोपी मामले की रिपोर्ट नहीं दर्ज कर रहे. वहीं रिपोर्ट दर्ज करने की मांग वाली अर्जी पर थानाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह ने बिना कारण दर्शाए रिपोर्ट देने के लिए सीजेएम से एक सप्ताह का समय मांगा था. साथ ही सीजेएम के गाइडलाइंस के अनुसार, इस एनकाउंटर की सूचना भी नहीं दी गई. आरोपियों ने झूठे शपथपत्र भी दिए हैं लिहाजा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई किए जाने की मांग की थी.

लखनऊः राजधानी में हुए गिरधारी एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों को हाई कोर्ट ने एक बड़ी राहत दी है. हाई कोर्ट ने सीजेएम के हत्या का मुकदमा दर्ज करने के आदेश पर स्टे लगा दिया है. राज्य सरकार की तरफ से दायर की गई याचिका पर जस्टिस डीके सिंह ने स्टे ऑर्डर दिया है. सरकार की तरफ से एएजी विनोद शाही ने पक्ष रखा था.

आजमगढ़ के सीजेएम ने वकील सरबजीत सिंह की अर्जी पर सुनवाई करते हुए डीसीपी संजीव सुमन, एसीपी प्रवीण मालिक और थानाध्यक्ष विभूतिखंड चंद्रशेखर सिंह के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे. हजरतगंज पुलिस कई दिनों से कोर्ट के आदेश को दबाए हुए था. मंगलवार को हाई कोर्ट ने सीजेएम के आदेश पर स्टे लगा दिया है.

तीसरी एफआईआर की नहीं है कोई आवश्यकता

हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने हजरतगंज पुलिस को एफआईआर दर्ज कर नियमानुसार विवेचना करने के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती देते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि एनकाउंटर मामले में दो एफआईआर पहले से दर्ज हैं. ऐसे में तीसरी एफआईआर का आदेश देने की कोई आवश्यकता नहीं थी. राज्य सरकार की उक्त याचिका पर न्यायालय ने पुलिस को बड़ी राहत देते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश पर रोक लगा दी है. यह आदेश 25 फरवरी को दिया गया था. इसके साथ ही न्यायालय ने वादी को भी नोटिस जारी किया है और मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 मार्च की तिथि नियत की गई है.

याचिका में कही थी ये बात

इसके पहले परिवादी राकेश विश्वकर्मा के वकील प्रांशु अग्रवाल ने अर्जी देकर बताया कि आरोपियों ने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया है. कहा गया कि आरोपी मामले की रिपोर्ट नहीं दर्ज कर रहे. वहीं रिपोर्ट दर्ज करने की मांग वाली अर्जी पर थानाध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह ने बिना कारण दर्शाए रिपोर्ट देने के लिए सीजेएम से एक सप्ताह का समय मांगा था. साथ ही सीजेएम के गाइडलाइंस के अनुसार, इस एनकाउंटर की सूचना भी नहीं दी गई. आरोपियों ने झूठे शपथपत्र भी दिए हैं लिहाजा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई किए जाने की मांग की थी.

Last Updated : Mar 2, 2021, 10:38 PM IST
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