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विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष पद का विवाद : सपा नेता लाल बिहारी यादव ने हाईकोर्ट ने डाली रिट याचिका

हाईकोर्ट में सपा नेता लाल बिहारी यादव ने एक रिट याचिका दाखिल की है. इस याचिका में विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष पद की उनकी मान्यता समाप्त करने के फैसले को चुनौती दी गई है.

लखनऊ हाईकोर्ट
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Published : Jul 18, 2022, 9:22 PM IST

लखनऊ : सपा नेता व विधान परिषद सदस्य लाल बिहारी यादव ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक रिट याचिका दाखिल की है. कोर्ट में दाखिल रिट याचिका में विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष पद की उनकी मान्यता समाप्त करने के फैसले को चुनौती दी गई है. सोमवार को लाल बिहारी यादव की याचिका सुनवाई के लिए पेश हुई व विधान परिषद की ओर से पेश अधिवक्ता को याचिका की प्रति मुहैया कराई गई.

कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 20 जुलाई की तिथि नियत की है. यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति एनके जौहरी की खंडपीठ ने दिया है. कोर्ट ने याची की ओर से पेश अधिवक्ता कृष्ण कन्हैया पाल व विधान परिषद की ओर से पेश अधिवक्ता ललित शुक्ला को मामले से जुड़े संबंधित कानूनी प्रावधानों को भी लाने के निर्देश दिए हैं. याचिका में कहा गया है कि याची विधान मंडल के उच्च सदन का वर्ष 2020 से निर्वाचित सदस्य है.

वर्ष 2020 में 27 मई को याची को विधान परिषद का नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था, लेकिन 7 जुलाई को प्रमुख सचिव, विधान परिषद ने एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए नेता प्रतिपक्ष के तौर पर याची की मान्यता समाप्त कर दी. उक्त नोटिफिकेशन में कहा गया है कि उच्च सदन में सपा सदस्यों की संख्या मात्र 9 रह गई है, जबकि नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मान्यता के लिए न्यूनतम 10 सदस्यों की आवश्यकता होती है. याची की ओर से इस आदेश को मनमानापूर्ण बताते हुए, इसे रद्द करने की मांग की गई है.

इसे पढ़ें- विवादित ढांचा विध्वंस: एक अगस्त को तय होगा कि अपील सुनवाई योग्य या नहीं

लखनऊ : सपा नेता व विधान परिषद सदस्य लाल बिहारी यादव ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक रिट याचिका दाखिल की है. कोर्ट में दाखिल रिट याचिका में विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष पद की उनकी मान्यता समाप्त करने के फैसले को चुनौती दी गई है. सोमवार को लाल बिहारी यादव की याचिका सुनवाई के लिए पेश हुई व विधान परिषद की ओर से पेश अधिवक्ता को याचिका की प्रति मुहैया कराई गई.

कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 20 जुलाई की तिथि नियत की है. यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति एनके जौहरी की खंडपीठ ने दिया है. कोर्ट ने याची की ओर से पेश अधिवक्ता कृष्ण कन्हैया पाल व विधान परिषद की ओर से पेश अधिवक्ता ललित शुक्ला को मामले से जुड़े संबंधित कानूनी प्रावधानों को भी लाने के निर्देश दिए हैं. याचिका में कहा गया है कि याची विधान मंडल के उच्च सदन का वर्ष 2020 से निर्वाचित सदस्य है.

वर्ष 2020 में 27 मई को याची को विधान परिषद का नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था, लेकिन 7 जुलाई को प्रमुख सचिव, विधान परिषद ने एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए नेता प्रतिपक्ष के तौर पर याची की मान्यता समाप्त कर दी. उक्त नोटिफिकेशन में कहा गया है कि उच्च सदन में सपा सदस्यों की संख्या मात्र 9 रह गई है, जबकि नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मान्यता के लिए न्यूनतम 10 सदस्यों की आवश्यकता होती है. याची की ओर से इस आदेश को मनमानापूर्ण बताते हुए, इसे रद्द करने की मांग की गई है.

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