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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा शपथ पत्र, आउटसोर्सिंग से नियुक्ति का मामला

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार से नियमित पदों पर आउटसोर्सिंग से नियुक्ति नहीं करने का शपथ पत्र मांगा है. न्यायालय ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 7 जनवरी की तिथि नियत की है.

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राज्य सरकार से मांगा शपथ पत्र
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Published : Dec 13, 2019, 11:56 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह स्पष्ट करे कि नियमित और संस्तुत पदों पर आउटसोर्सिंग से कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो रही है. न्यायालय ने इस संबंध में शपथ पत्र भी मांगा है. न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि यदि अब भी नियमित और संस्तुत पदों पर आउटसोर्सिंग से कर्मचारियों की भर्ती की जा रही होगी तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 7 जनवरी की तिथि नियत की है.

हाईकोर्ट ने दिया आदेश

  • यह आदेश न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मेसर्स आरएमएस टेक्नोसल्युशंस प्राइवेट लि0 की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.
  • याचिका में 25 अक्टूबर 2019 के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें याची का सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर किया गया पंजीकरण सरकार ने रद्द कर दिया था.
  • न्यायालय ने कहा कि उसने प्रदेश में नियमित और संस्तुत पदों पर आउटसोर्सिंग से कर्मचारी लगाए जाने के खिलाफ स्वतः संज्ञान लिया है.
  • न्यायालय ने कहा कि यह परम्परा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उमा देवी मामले में दिए गए निर्णय के विपरीत है.

न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया था. जवाब न आने पर प्रमुख सचिव राजस्व और प्रमुख सचिव वित्त को तलब कर लिया था. आदेश के अनुपालन में शुक्रवार को दोनों अधिकारी कोर्ट के समक्ष हाजिर हुए. उल्लेखनीय है कि 20 नवम्बर को आदेश पारित करते हुए, न्यायालय ने नियमित व संस्तुत पदों पर आउटसोर्सिंग से नियुक्ति किए जाने पर रोक लगा दी थी.

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह स्पष्ट करे कि नियमित और संस्तुत पदों पर आउटसोर्सिंग से कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो रही है. न्यायालय ने इस संबंध में शपथ पत्र भी मांगा है. न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि यदि अब भी नियमित और संस्तुत पदों पर आउटसोर्सिंग से कर्मचारियों की भर्ती की जा रही होगी तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 7 जनवरी की तिथि नियत की है.

हाईकोर्ट ने दिया आदेश

  • यह आदेश न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मेसर्स आरएमएस टेक्नोसल्युशंस प्राइवेट लि0 की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.
  • याचिका में 25 अक्टूबर 2019 के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें याची का सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर किया गया पंजीकरण सरकार ने रद्द कर दिया था.
  • न्यायालय ने कहा कि उसने प्रदेश में नियमित और संस्तुत पदों पर आउटसोर्सिंग से कर्मचारी लगाए जाने के खिलाफ स्वतः संज्ञान लिया है.
  • न्यायालय ने कहा कि यह परम्परा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उमा देवी मामले में दिए गए निर्णय के विपरीत है.

न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया था. जवाब न आने पर प्रमुख सचिव राजस्व और प्रमुख सचिव वित्त को तलब कर लिया था. आदेश के अनुपालन में शुक्रवार को दोनों अधिकारी कोर्ट के समक्ष हाजिर हुए. उल्लेखनीय है कि 20 नवम्बर को आदेश पारित करते हुए, न्यायालय ने नियमित व संस्तुत पदों पर आउटसोर्सिंग से नियुक्ति किए जाने पर रोक लगा दी थी.

नियमित पदों पर आउटसोर्सिंग से नियुक्ति न करने का मांगा शपथ पत्र
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा हलफनामा
 
विधि संवाददाता
लखन हाईकोर्ट की लखन बेंच ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह शपथ पत्र देते हुए, स्पष्ट करे कि नियमित और संस्तुत पदों पर आउटसोर्सिंग से कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं हो रही है न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि यदि अब भी नियमित व संस्तुत पदों आउटसोर्सिंग से कर्मचारियों की भर्ती की जा रही होगी तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 7 जनवरी की तिथि नियत की है
   
यह आदेश न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी व न्यायमूर्ति विकास कुंवर श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मेसर्स आरएमएस टेक्नोसल्युशंस प्राइवेट लि0 की याचिका पर सुनवा करते हुए पारित किया। याचिका में 25 अक्टूबर 2019 के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें याची का सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर किया गया पंजीकरण सरकार ने रद् कर दिया था न्यायालय ने कहा कि उसने प्रदेश में नियमित और संस्तुत पदों पर आउटसोर्सिंग से कर्मचारी लगाए जाने के खिलाफ स्वतः संज्ञान लिया है। न्यायालय ने कहा कि यह परम्परा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उमा देवी मामले में दिये गए निर्णय के विपरीत है न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया था। जवाब न आने पर प्रमुख सचिव राजस्व व प्रमुख सचिव वित्त को तलब कर लिया था आदेश के अनुपालन में शुक्रवार को दोनों अधिकारी कोर्ट के समक्ष हाजिर हुए उल्लेखनीय है कि 20 नवम्बर को आदेश पारित करते हुए, न्यायालय ने नियमित व संस्तुत पदों पर आउटसोर्सिंग से नियुक्ति किये जाने पर रोक लगा दी थी  


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Chandan Srivastava
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