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डेंगू का प्रकोप: सरकारी दावों पर हाईकोर्ट ने जतायी नाराजगी

डेंगू का प्रकोप बढ़ने के मामले में न्यायालय ने कहा यदि हमारे पास कोई एजेंसी होती तो वह सरकारी दावे की जाचं अवश्य कराते. न्या

हाईकोर्ट
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Published : Nov 4, 2022, 9:25 PM IST

Updated : Nov 4, 2022, 10:28 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में डेंगू के बढ़ते मामलों पर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि न तो दवाओं की कमी है और न ही बेड की. इस पर न्यायालय ने अफसोस जताते हुए कहा है कि जमीनी हकीकत तो कुछ और ही है. न्यायालय ने कहा यदि हमारे पास कोई एजेंसी होती तो वह सरकारी दावे की जाचं अवश्य कराते. न्यायालय ने आदेश दिया है कि राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया जाए कि इस मामले में क्या उपाय की गए. मामले की अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता आशीष कुमार मिश्रा द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया. न्यायालय के पूर्व के आदेश के अनुपालन में अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता अमिताभ राय ने राज्य सरकार से प्राप्त निर्देश के आधार पर कहा कि सरकार डेंगू, चिकनगुनिया, वायरल बुखार और अन्य वेक्टर जनित रोगों के इलाज के लिए समुचित कदम उठा रही है और केजीएमयू, राम मनेाहर लोहिया समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में दवाओं और बेड की कोई कमी नहीं है और न नही कोई मरीज बिना इलाज वापस भेजा जा रहा है.

सरकार की ओर से ये इस निर्देश पर न्यायालय ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि जमीनी हकीकत इससे अलग है. न्यायालय ने कहा कि हम कागज पर सरकारी दावों की परख करा लेते यदि हमारे पास कोई अपनी जांच एजेंसी होती. न्यायालय ने सरकारी वकील को हलफनामा दाखिल कर की गए उपायों की जानकारी देने को कहा. साथ ही न्यायालय ने यह भी आदेश दिए कि हलफनामे में यह भी बताया जाए कि 2016 में वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम के लिए बने रेग्युलेशन के अनुपालन में क्या कदम उठाए गये हैं. कोर्ट ने यह भी बताने को कहा है कि उक्त रेग्युलेशन के तहत मरीजों के इलाज के लिए विषेशज्ञों से सलाह ली गई है अथवा नहीं व लोगों को वेक्टर- जनित रोगों से बचाव के लिए जागरूक करने की दिशा में क्या कदम उठाए गए हैं.

वहीं, शहर में डेंगू की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन व नगर निगम द्वारा किए जा रहे प्रयासों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाकाफी बताया है. कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मच्छरों का लारवा खत्म करने के लिए फागिंग और छिड़काव के कार्य में तेजी लाई जाए. रोकथाम के कार्यों की निगरानी के लिए वार्ड स्तर पर कमेटियों के गठन का निर्देश दिया है. इन कमेटियों में स्थानीय सभासद के अलावा प्रबुद्ध नागरिकों डाक्टरों और वकीलों को भी शामिल करने का निर्देश दिया है, ताकि फागिंग के कार्य का फीडबैक प्राप्त किया जा सके.

यह भी पढ़ें- बलरामपुर अस्पताल में मरीजों को मिल रही ऑनलाइन पैथोलॉजी जांच रिपोर्ट

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में डेंगू के बढ़ते मामलों पर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि न तो दवाओं की कमी है और न ही बेड की. इस पर न्यायालय ने अफसोस जताते हुए कहा है कि जमीनी हकीकत तो कुछ और ही है. न्यायालय ने कहा यदि हमारे पास कोई एजेंसी होती तो वह सरकारी दावे की जाचं अवश्य कराते. न्यायालय ने आदेश दिया है कि राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया जाए कि इस मामले में क्या उपाय की गए. मामले की अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता आशीष कुमार मिश्रा द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया. न्यायालय के पूर्व के आदेश के अनुपालन में अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता अमिताभ राय ने राज्य सरकार से प्राप्त निर्देश के आधार पर कहा कि सरकार डेंगू, चिकनगुनिया, वायरल बुखार और अन्य वेक्टर जनित रोगों के इलाज के लिए समुचित कदम उठा रही है और केजीएमयू, राम मनेाहर लोहिया समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में दवाओं और बेड की कोई कमी नहीं है और न नही कोई मरीज बिना इलाज वापस भेजा जा रहा है.

सरकार की ओर से ये इस निर्देश पर न्यायालय ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि जमीनी हकीकत इससे अलग है. न्यायालय ने कहा कि हम कागज पर सरकारी दावों की परख करा लेते यदि हमारे पास कोई अपनी जांच एजेंसी होती. न्यायालय ने सरकारी वकील को हलफनामा दाखिल कर की गए उपायों की जानकारी देने को कहा. साथ ही न्यायालय ने यह भी आदेश दिए कि हलफनामे में यह भी बताया जाए कि 2016 में वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम के लिए बने रेग्युलेशन के अनुपालन में क्या कदम उठाए गये हैं. कोर्ट ने यह भी बताने को कहा है कि उक्त रेग्युलेशन के तहत मरीजों के इलाज के लिए विषेशज्ञों से सलाह ली गई है अथवा नहीं व लोगों को वेक्टर- जनित रोगों से बचाव के लिए जागरूक करने की दिशा में क्या कदम उठाए गए हैं.

वहीं, शहर में डेंगू की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन व नगर निगम द्वारा किए जा रहे प्रयासों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाकाफी बताया है. कोर्ट ने निर्देश दिया है कि मच्छरों का लारवा खत्म करने के लिए फागिंग और छिड़काव के कार्य में तेजी लाई जाए. रोकथाम के कार्यों की निगरानी के लिए वार्ड स्तर पर कमेटियों के गठन का निर्देश दिया है. इन कमेटियों में स्थानीय सभासद के अलावा प्रबुद्ध नागरिकों डाक्टरों और वकीलों को भी शामिल करने का निर्देश दिया है, ताकि फागिंग के कार्य का फीडबैक प्राप्त किया जा सके.

यह भी पढ़ें- बलरामपुर अस्पताल में मरीजों को मिल रही ऑनलाइन पैथोलॉजी जांच रिपोर्ट

Last Updated : Nov 4, 2022, 10:28 PM IST
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