लखनऊ. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केजीएमयू के प्रो. डॉ. राजीव गुप्ता की आय से अधिक संपत्ति मामले में अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा कि भ्रष्टाचार सिस्टम में दीमक की तरह है. एक बार यह सिस्टम में प्रवेश कर जाता है तो यह बढ़ता चला जाता है.
यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने पारित किया. न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा कि गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, प्रदूषण, बाहरी खतरे, अविकसितता, असमानता व सामाजिक अशांति जैसी सभी समस्याओं का मूल कारण भ्रष्टाचार है. न्यायालय ने कहा कि भ्रष्टाचार समाज के विरुद्ध अपराध है. इसके खतरे को ध्यान में रखना होगा.
न्यायालय को अभियुक्तों के मौलिक अधिकारों व व्यापक रूप से समाज के वैध सरोकारों के साथ संतुलित करना होगा. न्यायालय ने अभियुक्त के लिए डॉक्टरों द्वारा ली जाने वाली ‘चरक शपथ’ की भी याद दिलाई. कहा कि यह शपथ केवल औपचारिकता नहीं है, इसका पालन करना चाहिए.
क्या है मामला
तत्कालीन डीएमओ उत्तर रेलवे एनआर मंडल अस्पताल चारबाग लखनऊ डॉ. सुनीता गुप्ता और उनके पति डॉ. राजीव गुप्ता प्रोफेसर केजीएमयू लखनऊ के विरुद्ध धारा 109 आईपीसी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की 13(2) तथा 13(1)(ई) के तहत सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है. आरोप है कि डॉ. सुनीता गुप्ता ने आय के ज्ञात स्रोतों से वर्ष 2009 से 2016 के बीच एक करोड़ 80 लाख 96 हजार 585 रुपये अधिक की संपत्ति अर्जित की जिसका वह हिसाब भी नहीं दे सकीं. उनके पति डॉ. राजीव गुप्ता ने ही उन्हें इस कृत्य के के लिए उकसाया. दंपति के घर की तलाशी के दौरान दो स्टील की अलमारियों में एक करोड़ 59 लाख रुपये कैश मिले थे.
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