लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्या को बड़ा झटका देते हुए सुरक्षा बढ़ाए जाने की मांग सम्बंधी उनकी याचिका खारिज कर दी है. हालांकि न्यायालय ने कमिश्नरेट स्तरीय कमेटी के आदेश को यथोचित फोरम के समक्ष चुनौती देने की छूट दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने स्वामी प्रसाद मौर्या की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया है.
याचिका में स्वामी प्रसाद मौर्या की ओर से दलील दी गई कि उनके जान के खतरे को देखते हुए, उनकी सुरक्षा बढ़ाकर वाई अथवा जेड श्रेणी की सुरक्षा दी जाए. कहा गया कि यद्यपि स्वामी प्रसाद को राज्य सरकार की ओर से दो गनर सुरक्षा के लिए मुहैया कराए गए हैं लेकिन उनपर खतरे को देखते हुए, यह सुरक्षा नाकाफी है. बहस के दौरान कुशीनगर के विशुनपुरा थाने में 1 मार्च 2022 को दर्ज कराई गई एफआईआर का भी ब्यौरा दिया गया. कहा गया कि चुनाव के दौरान हुई उक्त घटना में भाजपा प्रत्याशी के सैकड़ों समर्थकों द्वारा लाठी-डंडा, हॉकी, कट्टा आदि हथियारों से लैस होकर याची व उसके समर्थकों पर हमला बोल दिया गया था. याची आज भी खतरे में ही है.
वहीं, याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि लखनऊ में पुलिस कमिश्नरेट की स्थापना के बाद 10 जुलाई 2020 के एक शासनादेश के तहत किसी व्यक्ति पर खतरे के आकलन के लिए कमिश्नरेट स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है. यह कमेटी ही सबसे पहले खतरे का आकलन करती है. न्यायालय को बताया गया कि उक्त कमेटी ने स्वामी प्रसाद की सुरक्षा बढ़ाए जाने सम्बंधी प्रत्यावेदन को 22 मार्च को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात याचिका को खारिज कर दिया.