लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने एक पाकिस्तानी नागरिक को जेल से रिहा करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने उसे उसके देश भेजने का भी आदेश केंद्र सरकार को दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने पाकिस्तानी नागरिक तासीन अजीम उर्फ लारेब खान की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित करते हुए पारित किया. वहीं, कोर्ट ने राज्य सरकार की इस मामले में अपील को खारिज कर दिया है.
कोर्ट ने कहा कि याची को आईपीसी की धारा 467, 468, 471 व ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट की धारा 3/9 व 5/9 तथा फॉरेनर्स एक्ट की धारा 3/14 में दोषसिद्ध करते हुए, ट्रायल कोर्ट ने आठ साल की सजा सुनाई थी, जो 2014 में पूरी हो गई. वर्ष 2014 में रिहा होने के बाद दर्ज हुए मुकदमे में उसे चार साल की सजा सुनाई गई थी. 2018 में याची ने उक्त सजा को भी पूरा कर लिया. ऐसे में अब उसे जेल में नहीं रखा जा सकता है.
राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2006 के मुकदमे में सत्र अदालत द्वारा देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के प्रयास सम्बंधी विभिन्न धाराओं में उक्त पाकिस्तानी नागरिक को बरी किए जाने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी. ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि अभियोजन ऐसी किसी सूचना के बाबत नहीं बता सका है, जो पाकिस्तानी खूफिया एजेंसी को भेजी गई. यह भी सिद्ध नहीं किया जा सका है कि अभियुक्त किसी भी प्रकार के आतंकी गतिविधि में सम्मिलित था.
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अपर शासकीय अधिवक्ता एसएन तिलहरी ने दलील दी कि अभियुक्त को मिली सजा अपर्याप्त है, वह आईएसआई के एजेंट के तौर पर देश में काम कर रहा था. हालांकि कोर्ट ने रिकॉर्ड पर उपलब्ध दस्तावेजों को देखते हुए, ट्रायल कोर्ट के निर्णय को सही माना व सरकार की अपील को खारिज कर दिया. पाकिस्तानी नागरिक की ओर से कोर्ट द्वारा नियुक्त न्याय मित्र आईबी सिंह ने बहस की. केंद्र सरकार की ओर से कोई पेश नहीं हुआ.
यह था पूरा मामलाः तासीन अजीम को एसटीएफ ने 13 सितम्बर 2006 को गिरफ्तार किया था. वह लखनऊ में लारेब खान पुत्र गुलाब खान की नकली पहचान के साथ रह रहा था. तासीन मूलतः उत्तरी कराची के सेक्टर 11 ए, मकान नम्बर 522 का रहने वाला था. उसके पिता का कराची में कांच का व्यापार था. उसके पास से फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस, हाईस्कूल व इंटर की मार्कशीट के साथ-साथ नक्शा तथा अन्य कुछ दस्तावेज मिले थे. तासीन दो-दो कम्पनियों के दफ्तर में काम भी कर चुका था. इसके साथ ही राहुल सिद्धार्थ तथा फरिउद्दीन के साथ एक पार्टनरशिप कम्पनी चला रहा था. एसटीएफ ने दावा किया कि उसकी जांच में अभियुक्त का आईएसआई को सेना सम्बंधी व अन्य गोपनीय सूचनाएं जावेद के द्वारा दिया जाना पाया गया है.