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खाद्यान्न वितरण प्रणाली की कमियों के मुद्दे पर हाईकोर्ट ने जताई चिंता

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने महामारी और बेरोजगारी के इस वक्त में खाद्यान्न वितरण प्रणाली की कमियों के मुद्दे पर चिंता जताई है. कोर्ट ने कोरोना सम्बंधी मामलों की सुनवाई कर रही खंडपीठ और सर्वोच्च न्यायालय को इस मामले में संज्ञान लेने का अनुरोध किया है.

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : May 24, 2021, 10:15 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कोरोना महामारी के दौरान गरीबों को खाद्यान्न वितरण के लिए चलाई जा रही प्रणाली के सम्बंध में सुप्रीम कोर्ट व कोरोना महामारी के मुद्दे पर सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ से विचार करने का अनुरोध किया है. न्यायालय ने प्रणाली की कमियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि वंचित समूह के लोगों को वितरित किये जा रहे खाद्यान्न की मात्रा व गुणवत्ता की जिम्मेदारी भी तय की जानी चाहिए.

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यह टिप्पणी न्यायमूर्ति एआर मसूदी की एकल सदस्यीय पीठ ने कोटे की दुकानों के सम्बंध में दाखिल पांच अलग-अलग याचिकाओं पर दिये निर्णय में की. न्यायालय ने कहा कि महामारी के इस समय में वंचितों की स्थिति पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जबकि महामारी के कारण आई बेरोजगारी की वजह से खाद्यान्न वितरण का मुद्दा काफी गम्भीर है. न्यायालय ने इस तथ्य पर भी गौर किया कि पंचायत चुनाव के बाद ग्राम पंचायतें अब तक काम शुरू नहीं कर सकी हैं. अपनी टिप्पणी में न्यायालय ने खाद्यान्न वितरण के अप्रबंधन के कारण अप्राकृतिक मौतों की आशंका भी व्यक्त की है.

न्यायालय ने कहा कि हम वंचित समूहों को होने वाले खाद्यान्न सप्लाई की प्रणाली में कमी को अनदेखा नहीं कर सकते. भूख और कुपोषण के कारण भी मानव जीवन का नुकसान हो सकता है. उक्त टिप्पणियों के साथ ही न्यायालय ने निर्णय की प्रति सर्वोच्च न्यायालय व इलाहाबाद हाईकोर्ट के महानिबंधकों, नागरिक आपूर्ति मंत्रालय व प्रदेश के मुख्य सचिव को भेजने के निर्देश दिये हैं.

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कोरोना महामारी के दौरान गरीबों को खाद्यान्न वितरण के लिए चलाई जा रही प्रणाली के सम्बंध में सुप्रीम कोर्ट व कोरोना महामारी के मुद्दे पर सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ से विचार करने का अनुरोध किया है. न्यायालय ने प्रणाली की कमियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि वंचित समूह के लोगों को वितरित किये जा रहे खाद्यान्न की मात्रा व गुणवत्ता की जिम्मेदारी भी तय की जानी चाहिए.

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यह टिप्पणी न्यायमूर्ति एआर मसूदी की एकल सदस्यीय पीठ ने कोटे की दुकानों के सम्बंध में दाखिल पांच अलग-अलग याचिकाओं पर दिये निर्णय में की. न्यायालय ने कहा कि महामारी के इस समय में वंचितों की स्थिति पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जबकि महामारी के कारण आई बेरोजगारी की वजह से खाद्यान्न वितरण का मुद्दा काफी गम्भीर है. न्यायालय ने इस तथ्य पर भी गौर किया कि पंचायत चुनाव के बाद ग्राम पंचायतें अब तक काम शुरू नहीं कर सकी हैं. अपनी टिप्पणी में न्यायालय ने खाद्यान्न वितरण के अप्रबंधन के कारण अप्राकृतिक मौतों की आशंका भी व्यक्त की है.

न्यायालय ने कहा कि हम वंचित समूहों को होने वाले खाद्यान्न सप्लाई की प्रणाली में कमी को अनदेखा नहीं कर सकते. भूख और कुपोषण के कारण भी मानव जीवन का नुकसान हो सकता है. उक्त टिप्पणियों के साथ ही न्यायालय ने निर्णय की प्रति सर्वोच्च न्यायालय व इलाहाबाद हाईकोर्ट के महानिबंधकों, नागरिक आपूर्ति मंत्रालय व प्रदेश के मुख्य सचिव को भेजने के निर्देश दिये हैं.

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