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HC ने कहा, न्याय तक पहुंच के बिना कानून का शासन बेमतलब

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजस्व संबंधी एक मामला जिसे तीन महीने में निर्णित कर दिया जाना चाहिए, उसे चार महीनों तक पंजीकृत ही न करने पर नाराजगी जाहिर की है.

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जिला एवं सत्र न्यायालय लखनऊ
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Published : Sep 19, 2022, 9:57 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजस्व संबंधी एक मामला जिसे तीन महीने में निर्णित कर दिया जाना चाहिए, उसे चार महीनों तक पंजीकृत ही न करने पर नाराजगी जाहिर की है. न्यायालय ने कहा है कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, लेकिन उसी समय हमें यह कहने में पीड़ा भी हो रही है कि वर्तमान मामला ऐसा है जिसमें याचियों को न्याय तक पहुंच के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया गया.

न्यायालय ने मामले में प्रमुख सचिव, राजस्व को जांच का आदेश दिया है. साथ ही यह भी आदेश दिया है कि राजस्व न्यायालयों के समक्ष आने वाले मामलों को तत्काल पंजीकृत किया जाए व आदेश पत्रक समुचित तरीके से बनाए जाएं व उन पर पीठासीन अधिकारी हस्ताक्षर करें.

यह आदेश न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की एकल पीठ ने अवधेश कुमार व अन्य की ओर से दाखिल एक याचिका पर पारित किया. याचियों ने संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत याचिका दाखिल करते हुए, मांग की थी कि राजस्व संहिता की धारा 24 के तहत पैमाईश के लिए दाखिल उनके प्रार्थना पत्र का निस्तारण करने का आदेश मोहनलालगंज तहसील को दिया जाए.

पढ़ेंः मृत्युदंड पर सुप्रीम कोर्ट: परिस्थितियों पर विचार करने से संबंधित मामले को पांच जजों की बेंच को सौंपा

न्यायालय ने पाया कि याचियों ने अप्रैल 2022 में ही उक्त प्रार्थना पत्र दाखिल किया था, धारा 24 के प्रार्थना पत्र का निस्तारण तीन माह में ही कर दी जाने का प्रावधान है. इसके बावजूद चार महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद याचियों का केस पंजीकृत तक नहीं किया गया. इस पर न्यायालय ने एसडीएम को तलब कर लिया.

आदेश के अनुपालन में मोहनलालगंज के एसडीएम हनुमान प्रसाद मौर्या हाजिर हुए व शपथ पत्र दाखिल कर अपनी सफाई दी. हालांकि न्यायालय इससे संतुष्ट नहीं हुई. न्यायालय ने यह भी पाया कि एसडीएम द्वारा लाया गया एक रजिस्टर जिसमें मुकदमों के पंजीयन सम्बंधी एंट्री की जाती है, उसमें भी काफी गड़बड़ियां हैं.

पढ़ेंः सपना चौधरी लखनऊ कोर्ट में हुईं हाजिर, गिरफ्तारी वारंट को कोर्ट ने किया रिकॉल

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राजस्व संबंधी एक मामला जिसे तीन महीने में निर्णित कर दिया जाना चाहिए, उसे चार महीनों तक पंजीकृत ही न करने पर नाराजगी जाहिर की है. न्यायालय ने कहा है कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, लेकिन उसी समय हमें यह कहने में पीड़ा भी हो रही है कि वर्तमान मामला ऐसा है जिसमें याचियों को न्याय तक पहुंच के उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया गया.

न्यायालय ने मामले में प्रमुख सचिव, राजस्व को जांच का आदेश दिया है. साथ ही यह भी आदेश दिया है कि राजस्व न्यायालयों के समक्ष आने वाले मामलों को तत्काल पंजीकृत किया जाए व आदेश पत्रक समुचित तरीके से बनाए जाएं व उन पर पीठासीन अधिकारी हस्ताक्षर करें.

यह आदेश न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की एकल पीठ ने अवधेश कुमार व अन्य की ओर से दाखिल एक याचिका पर पारित किया. याचियों ने संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत याचिका दाखिल करते हुए, मांग की थी कि राजस्व संहिता की धारा 24 के तहत पैमाईश के लिए दाखिल उनके प्रार्थना पत्र का निस्तारण करने का आदेश मोहनलालगंज तहसील को दिया जाए.

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न्यायालय ने पाया कि याचियों ने अप्रैल 2022 में ही उक्त प्रार्थना पत्र दाखिल किया था, धारा 24 के प्रार्थना पत्र का निस्तारण तीन माह में ही कर दी जाने का प्रावधान है. इसके बावजूद चार महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद याचियों का केस पंजीकृत तक नहीं किया गया. इस पर न्यायालय ने एसडीएम को तलब कर लिया.

आदेश के अनुपालन में मोहनलालगंज के एसडीएम हनुमान प्रसाद मौर्या हाजिर हुए व शपथ पत्र दाखिल कर अपनी सफाई दी. हालांकि न्यायालय इससे संतुष्ट नहीं हुई. न्यायालय ने यह भी पाया कि एसडीएम द्वारा लाया गया एक रजिस्टर जिसमें मुकदमों के पंजीयन सम्बंधी एंट्री की जाती है, उसमें भी काफी गड़बड़ियां हैं.

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