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किस प्रावधान के तहत शिया वक्फ बोर्ड में की गई प्रशासक की नियुक्ति: हाईकोर्ट

शिया वक्फ बोर्ड में प्रशासक की नियुक्ति को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश की योगी सरकार से पूछा है कि किस प्रावधान के तहत शिया वक्फ बोर्ड में प्रशासक की नियुक्ति की गई है. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 मार्च की तिथि तय की है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ
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Published : Mar 18, 2021, 10:00 PM IST

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि शिया वक्फ बोर्ड में कब तक चुनाव प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. साथ ही कोर्ट ने सरकार को यह भी बताने को कहा है कि किस प्रावधान के तहत वक्फ बोर्ड में प्रशासक की नियुक्ति की गई है. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 मार्च की तिथि तय की है. विभाग के विशेष सचिव स्तर के किसी अधिकारी को सुनवाई में सहयोग के लिए हाजिर रहने को भी कहा है.

यह आदेश जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस मनीष कुमार की बेंच ने असद अली खान की एक याचिका पर पारित किया. याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि राज्य सरकार ने 16 मार्च को वक्फ बोर्ड में प्रशासक की नियुक्ति कर दी. सरकार की ओर से कहा गया कि कोविड-19 महामारी की वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए चुनाव नहीं कराए जा सके हैं.

हालांकि कोर्ट राज्य सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हुई. कोर्ट ने पाया कि वक्फ बोर्ड के पूर्व सदस्यों का कार्यकाल 19 मई 2020 को ही समाप्त हो चुका था. कोर्ट ने कहा कि यह हम समझ सकते हैं कि जब कार्यकाल समाप्त हुआ तब महामारी के कारण तत्काल चुनाव नहीं कराए जा सकते थे, लेकिन परेशान करने वाली बात यह है कि सरकार ने 16 मार्च 2021 को प्रशासक नियुक्त किया, जबकि प्रशासक नियुक्त करने का कोई प्रावधान वक्फ अधिनियम 1995 में है ही नहीं. कोर्ट ने कहा कि पूरे 10 महीने तक वक्फ बोर्ड में वैक्युम की स्थिति बनी रही.

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि शिया वक्फ बोर्ड में कब तक चुनाव प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. साथ ही कोर्ट ने सरकार को यह भी बताने को कहा है कि किस प्रावधान के तहत वक्फ बोर्ड में प्रशासक की नियुक्ति की गई है. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 मार्च की तिथि तय की है. विभाग के विशेष सचिव स्तर के किसी अधिकारी को सुनवाई में सहयोग के लिए हाजिर रहने को भी कहा है.

यह आदेश जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस मनीष कुमार की बेंच ने असद अली खान की एक याचिका पर पारित किया. याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि राज्य सरकार ने 16 मार्च को वक्फ बोर्ड में प्रशासक की नियुक्ति कर दी. सरकार की ओर से कहा गया कि कोविड-19 महामारी की वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए चुनाव नहीं कराए जा सके हैं.

हालांकि कोर्ट राज्य सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हुई. कोर्ट ने पाया कि वक्फ बोर्ड के पूर्व सदस्यों का कार्यकाल 19 मई 2020 को ही समाप्त हो चुका था. कोर्ट ने कहा कि यह हम समझ सकते हैं कि जब कार्यकाल समाप्त हुआ तब महामारी के कारण तत्काल चुनाव नहीं कराए जा सकते थे, लेकिन परेशान करने वाली बात यह है कि सरकार ने 16 मार्च 2021 को प्रशासक नियुक्त किया, जबकि प्रशासक नियुक्त करने का कोई प्रावधान वक्फ अधिनियम 1995 में है ही नहीं. कोर्ट ने कहा कि पूरे 10 महीने तक वक्फ बोर्ड में वैक्युम की स्थिति बनी रही.

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