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सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति का मामला, सरकार द्वारा संक्षिप्त उत्तर देने पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी - हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति में पारदर्शिता की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार की ओर से संक्षिप्त प्रति शपथ पत्र दाखिल करने पर कड़ी नाराजगी जताई है.

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Published : Nov 11, 2022, 9:26 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति में पारदर्शिता की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार की ओर से संक्षिप्त प्रति शपथ पत्र दाखिल करने पर कड़ी नाराजगी जताई है. शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने सरकार के रवैये पर टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या सरकार केस को लंबा खींचने के लिए ऐसा कर रही है.

न्यायालय ने कहा कि जब सरकार को याचिका पर विस्तृत जवाब दाखिल करने का मौका दिया गया था तो फिर संक्षिप्त प्रति शपथ पत्र क्यों दाखिल किया गया. न्यायालय ने अगले दो सप्ताह में सरकार को याचिका पर विस्तृत प्रति शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 7 दिसम्बर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता रमा शंकर तिवारी व अन्य की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया. याचिका में मांग की गई है कि सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार को आदेश दिए जाएं. याचिका में यह भी कहा गया है कि जब तक सरकार पारदर्शिता सम्बंधी नियम नहीं बनाती तब तक अगली नियुक्तियों पर रोक लगा दी जाए. हालांकि न्यायालय ने पूर्व में ही सुनवाई में ही यह स्पष्ट कर दिया था कि वह अगली नियुक्तियों पर कोई रोक नहीं लगा रही है.


उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार की ओर से कई बार अवसर लिए जाने के बाद भी मुख्य स्थाई अधिवक्ता अभिनव नारायण त्रिवेदी ने कोर्ट में संक्षिप्त प्रति शपथ पत्र दाखिल किया. इस पर न्यायालय ने नाराजगी जताई. सुनवाई के दौरान मुख्य स्थायी अधिवक्ता अभिनव नारायण त्रिवेदी ने न्यायालय को अवगत कराया कि अब सरकार की ओर से विशेष अधिवक्ता लालता प्रसाद मिश्रा पक्ष रखेंगे, जिस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि क्या सरकार ने ऐसा कोई योग्य अधिवक्ता नहीं नियुक्त किया है जो उसका पक्ष रख सके.

यह भी पढ़ें : होटल लेवाना अग्निकांड, तीन अभियुक्तों की जमानत याचिका पर राज्य सरकार से जवाब तलब

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) ने सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति में पारदर्शिता की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार की ओर से संक्षिप्त प्रति शपथ पत्र दाखिल करने पर कड़ी नाराजगी जताई है. शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने सरकार के रवैये पर टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या सरकार केस को लंबा खींचने के लिए ऐसा कर रही है.

न्यायालय ने कहा कि जब सरकार को याचिका पर विस्तृत जवाब दाखिल करने का मौका दिया गया था तो फिर संक्षिप्त प्रति शपथ पत्र क्यों दाखिल किया गया. न्यायालय ने अगले दो सप्ताह में सरकार को याचिका पर विस्तृत प्रति शपथ पत्र दाखिल करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 7 दिसम्बर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने स्थानीय अधिवक्ता रमा शंकर तिवारी व अन्य की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया. याचिका में मांग की गई है कि सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार को आदेश दिए जाएं. याचिका में यह भी कहा गया है कि जब तक सरकार पारदर्शिता सम्बंधी नियम नहीं बनाती तब तक अगली नियुक्तियों पर रोक लगा दी जाए. हालांकि न्यायालय ने पूर्व में ही सुनवाई में ही यह स्पष्ट कर दिया था कि वह अगली नियुक्तियों पर कोई रोक नहीं लगा रही है.


उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार की ओर से कई बार अवसर लिए जाने के बाद भी मुख्य स्थाई अधिवक्ता अभिनव नारायण त्रिवेदी ने कोर्ट में संक्षिप्त प्रति शपथ पत्र दाखिल किया. इस पर न्यायालय ने नाराजगी जताई. सुनवाई के दौरान मुख्य स्थायी अधिवक्ता अभिनव नारायण त्रिवेदी ने न्यायालय को अवगत कराया कि अब सरकार की ओर से विशेष अधिवक्ता लालता प्रसाद मिश्रा पक्ष रखेंगे, जिस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि क्या सरकार ने ऐसा कोई योग्य अधिवक्ता नहीं नियुक्त किया है जो उसका पक्ष रख सके.

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