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जारी रहेगा हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं का कार्य बहिष्कार

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Published : Mar 1, 2021, 8:11 PM IST

यूपी की लखनऊ बेंच के अधिवक्ता मंगलवार को भी न्यायिक कार्य से बहिष्कार जारी रखेंगे. अवध बार एसोसिएशन की ओर से इसकी घोषणा सोमवार को बार की बैठक के उपरांत की गई.

जारी रहेगा हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं का कार्य बहिष्कार
जारी रहेगा हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं का कार्य बहिष्कार

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के अधिवक्ताओं का न्यायिक कार्य से बहिष्कार मंगलवार को भी जारी रहेगा. अवध बार एसोसिएशन की ओर से इसकी घोषणा सोमवार को बार की बैठक के उपरांत की गई. अवध बार की मांग है कि लखनऊ बेंच का क्षेत्राधिकार बढ़ाया जाए और विभिन्न न्यायाधिकरणों की राजधानी में स्थापना की जाए.

एचजीएस परिहार ने की बैठक की अध्यक्षता
बैठक की अध्यक्षता बार के अध्यक्ष एचजीएस परिहार और संचालन महासचिव शरद पाठक ने किया. इस दौरान महासचिव ने जानकारी दी कि सेंट्रल, लखनऊ, रेरा, कैट, टैक्स लॉयर्स, एएफटी, पब्लिक सर्विस ट्रिब्युनल, डीआरटी, इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स व स्टेट पब्लिक बार एसोसिएशनों के पदाधिकारियों ने भी बैठक में भाग लिया और अवध बार के आंदोलन में पूरा साथ देने की बात कही. बैठक में अवध बार के पूर्व पदाधिकारी और वरिष्ठ अधिवक्ता भी शामिल हुए.

अधिवक्ता 24 फरवरी से कर रहे हैं बहिष्कार
उल्लेखनीय है कि 24 फरवरी से ही हाईकोर्ट के अधिवक्ता न्यायिक कार्य का बहिष्कार कर रहे हैं. अधिवक्ताओं के बहिष्कार के चलते न्यायिक कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. वहीं अधिवक्ता डॉ. वीके सिंह ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और विधि मंत्री समेत मुख्यमंत्री को इस विषय पर पत्र भेजा है. अपने पत्र में उन्होंने कहा कि प्रदेश की बड़ी आबादी को सैकड़ों किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा करके इलाहाबाद और लखनऊ से ही होकर जाना होता है. लोगों को इस अव्यवहारिक व्यवस्था से निजात दिलाने की आवश्यकता है.

अधिवक्ताओं ने बताई मांगें
अधिवक्ताओं की मांग है कि नए बनाए जाने वाले सभी न्यायाधिकरण राजधानी में ही स्थापित किये जाएं. इन न्यायाधिकरणों में जीएसटी, शिक्षा और कम्पनी न्यायाधिकरण शामिल हैं. साथ ही यह भी मांग है कि गोमती नगर में लखनऊ बेंच की विशाल इमारत बनायी गई है, जहां करीब दो दर्जन कोर्ट रूम खाली पड़े हैं, अतः लखनऊ के आस-पास के जिलों का क्षेत्राधिकार यहीं सम्बद्ध कर दिया जाए. ताकि वादकारियों को सुविधा हो. वहीं दूसरी ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता चाहते हैं कि न्यायाधिकरण वहां बनाए जाएं और वर्तमान क्षेत्राधिकार में भी कोई परिवर्तन न किया जाए. इसको लेकर वहां के वकील भी आंदोलनरत हैं.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के अधिवक्ताओं का न्यायिक कार्य से बहिष्कार मंगलवार को भी जारी रहेगा. अवध बार एसोसिएशन की ओर से इसकी घोषणा सोमवार को बार की बैठक के उपरांत की गई. अवध बार की मांग है कि लखनऊ बेंच का क्षेत्राधिकार बढ़ाया जाए और विभिन्न न्यायाधिकरणों की राजधानी में स्थापना की जाए.

एचजीएस परिहार ने की बैठक की अध्यक्षता
बैठक की अध्यक्षता बार के अध्यक्ष एचजीएस परिहार और संचालन महासचिव शरद पाठक ने किया. इस दौरान महासचिव ने जानकारी दी कि सेंट्रल, लखनऊ, रेरा, कैट, टैक्स लॉयर्स, एएफटी, पब्लिक सर्विस ट्रिब्युनल, डीआरटी, इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स व स्टेट पब्लिक बार एसोसिएशनों के पदाधिकारियों ने भी बैठक में भाग लिया और अवध बार के आंदोलन में पूरा साथ देने की बात कही. बैठक में अवध बार के पूर्व पदाधिकारी और वरिष्ठ अधिवक्ता भी शामिल हुए.

अधिवक्ता 24 फरवरी से कर रहे हैं बहिष्कार
उल्लेखनीय है कि 24 फरवरी से ही हाईकोर्ट के अधिवक्ता न्यायिक कार्य का बहिष्कार कर रहे हैं. अधिवक्ताओं के बहिष्कार के चलते न्यायिक कार्य बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. वहीं अधिवक्ता डॉ. वीके सिंह ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और विधि मंत्री समेत मुख्यमंत्री को इस विषय पर पत्र भेजा है. अपने पत्र में उन्होंने कहा कि प्रदेश की बड़ी आबादी को सैकड़ों किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा करके इलाहाबाद और लखनऊ से ही होकर जाना होता है. लोगों को इस अव्यवहारिक व्यवस्था से निजात दिलाने की आवश्यकता है.

अधिवक्ताओं ने बताई मांगें
अधिवक्ताओं की मांग है कि नए बनाए जाने वाले सभी न्यायाधिकरण राजधानी में ही स्थापित किये जाएं. इन न्यायाधिकरणों में जीएसटी, शिक्षा और कम्पनी न्यायाधिकरण शामिल हैं. साथ ही यह भी मांग है कि गोमती नगर में लखनऊ बेंच की विशाल इमारत बनायी गई है, जहां करीब दो दर्जन कोर्ट रूम खाली पड़े हैं, अतः लखनऊ के आस-पास के जिलों का क्षेत्राधिकार यहीं सम्बद्ध कर दिया जाए. ताकि वादकारियों को सुविधा हो. वहीं दूसरी ओर इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता चाहते हैं कि न्यायाधिकरण वहां बनाए जाएं और वर्तमान क्षेत्राधिकार में भी कोई परिवर्तन न किया जाए. इसको लेकर वहां के वकील भी आंदोलनरत हैं.

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