लखनऊ : उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में मौजूद सभी हेरिटेज व ऐतिहासिक धरोहरों को पर्यटन के रूप में विकसित कर वहां पर सैलानियों को ज्यादा से ज्यादा आकर्षित करने की योजनाओं पर काम कर रहा है. इसी कड़ी में पर्यटन विभाग बुंदेलखंड क्षेत्र को विशेष तौर पर पर्यटन के नए स्थलों के तौर पर तैयार कर रहा है. इसके लिए विभाग की ओर से ग्राउंड लेवल की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. पहले चरण में बुंदेलखंड में मौजूद 31 किलों को तौर हेरिटेज कंजर्वेशन का मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है. इन किलों का विकास कर देश व प्रदेश के पर्यटकों के लिए इसे खोला जाएगा. बुंदेलखंड प्राकृतिक सुंदरता तथा मनोरम स्थलों के लिए प्रसिद्ध है. इसके अलावा यहां के धार्मिक स्थल काफी प्राचीन हैं. विभाग बुंदेलखंड क्षेत्र की विरासत से जुड़े किलों मोहल्ला गढ़ी का जीर्णोद्धार कराकर पर्यटक गतिविधियों को बढ़ावा देगा. जिससे इस क्षेत्र के लोगों के रोजगार व आमदनी में बढ़ोतरी हो सके.
7 जिलों के 31 किले चयनित : बुंदेलखंड के 31 किलों और दुर्गों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के प्लान तैयार किया गया. यह सभी किले झांसी, बांदा, जालौन, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा और चित्रकूट में ऐतिहासिक स्मृतियों को संजोए अनेक प्राचीन दुर्ग, किले और गढ़ हैं. यहां के विशाल परिसर वाले कई किले अपनी भव्यता के साथ बेहतरीन होटल के रूप में तैयार किए जाएंगे. इसके अलावा इसके आसपास के लैंडस्केप को पर्यटन के मुताबिक तैयार किया जाएगा. ऐसा होने से इन जगहों पर पर्यटक को की संख्या बढ़ जाएगी. विभाग की ओर से बांदा जिले के कालिंजर किला, रायगढ़ किला, भूरागढ़ किला, झांसी का झांसी दुर्ग, बरुआ सागर किला, चिरगांव का किला व हमीरपुर का राज महल किला सहित इस क्षेत्र के 31 किलो चयनित किए गए हैं
अहमदाबाद विश्वविद्यालय ने किया किलों का अध्ययन : महानिदेशक पर्यटन मुकेश मेश्राम ने बताया कि इस परियोजना के लिए अहमदाबाद के सीईपीटी विश्वविद्यालय को जिम्मेदारी दी गई थी. इस विश्वविद्यालय ने बुंदेलखंड में किलों के जीर्णोद्धार के साथ टूरिज्म की संभावनाओं के साथ ही इन ऐतिहासिक धरोहरों को कैसे संरक्षित करना है इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर दिया है. इसके बाद बेहतर कार्ययोजना तैयार किया जा रहा है. महानिदेशक ने बताया कि इन 31 किलों को पर्यटन के स्थल के रूप में विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग, संस्कृति, ग्राम्य विकास, नगर विकास, परिवहन, नागरिक उड्डयन, खेल, गृह, औद्योगिक विकास और जल शक्ति विभाग की भूमिका तैयार किया जा रहा है. कार्ययोजना तैयार करते समय सभी विभागों की भूमिका और उनके कार्य की समय सीमा तय होगी.
हेरिटेज व इको-टूरिज्म को विकसित होंगे यह किले : मुकेश मेश्राम ने बताया बरूआ सागर किले, टहरौली के किले, दिगारा की गढ़ी, चम्पत राय के किले, महल महिपाल निवास, सरीला और रघुनाथ राव के महल को हेरिटेज होटल के रूप में विकसित कर फसाड लाइटिंग की जाएगी. बरुआ सागर के समीप स्थित और तालबेहट किले के नीचे स्थित झीलों पर वॉटर स्पोर्ट्स, एडवेंचर टूरिज्म की गतिविधियों को शुरू किया जाएगा. इसके अलावा मड़ावरा के किले और सौराई के किले पर पर्यटन की दृष्टि से हेरिटेज किलों के रूप में तैयार किया जाएगा. इसके अलावा इन सभी किलों पर पहुंचने के लिए ऑल वेदर रोड, साइनेज और पेयजल व्यवस्था को बेहतर किया जाएगा. देवगढ़ (दुर्ग) परकोटे के नीचे बेतवा नदी में वॉटर स्पोर्ट की संभावनाएं हैं. इसी प्रकार महावीर स्वामी अभ्यारण्य और बानपूर्वक किले को इको-टूरिज्म को विकसित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इन पर्यटक स्थलों में जो किले या महल हेरीटेज होटल में बदले जा सकते हैं. उन्हें उस रूप में बदल दिया जाएगा इसके लिए नोडल एजेंसी का चयन हो गया है.
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के महोत्सव आयोजित होंगे : महानिदेशक पर्यटन ने बताया कि इन जिलों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इसी महीने कालिंजर महोत्सव व देवगढ़ महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. कालिंजर महोत्सव 15 फरवरी से शुरू होगा. हर जिले में कोई न कोई महोत्सव वहां के पर्यटन स्थलों से जोड़कर आयोजित होगा और पहले से जो महोत्सव चले आ रहे जैसे झांसी महोत्सव व इसके जैसे महोत्सव को भी आयोजित किया जाएगा. ताकि यहां पर ज्यादा से ज्यादा पर्यटन आए और यहां के ऐतिहासिक धरोहरों के बारे में जान सकें.