लखनऊ : किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में हेपेटाइटिस सी संक्रमित मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है. यहां करीब एक महीने से दवाएं नहीं होंने से मरीजों को लौटना पड़ रहा है. भारत सरकार के द्वारा चल रहे हेपेटाइटिस बीएसई प्रोग्राम के तहत केजीएमयू के गेस्ट्रोमेडिसिन विभाग में हेपेटाइटिस संक्रमितों को मुफ्त इलाज मुहैया कराया जा रहा है. करीब 250 मरीज पंजीकृत हैं. इन्हें जांच व दवाएं दी जाती हैं. इलाज का कोर्स तीन माह का होता है. डॉक्टरों का कहना है कि हेपेटाइटिस बी की पर्याप्त मात्रा में दवाईयां विभाग में उपलब्ध है हालांकि हेपेटाइटिस सी की दो दवाई महत्वपूर्ण है जिसमें से एक उपलब्ध है लेकिन दूसरी दवा का शॉर्टेज है.
बाहर से खरीदनी पड़ेगी पहले महीने की दवा
बाराबंकी से हेपेटाइटिस सी का इलाज कराने के लिए पहुंचे नरेंद्र यादव ने बताया कि पहली बार इलाज कराने के लिए आए हैं. यहां आकर पता चला कि विभाग में दवाएं उपलब्ध नहीं हैं. जिस कारण विशेषज्ञ डॉक्टर ने देख तो लिया और जांच के लिए भी लिख दिया, लेकिन उनका कहना है कि अगले महीने इलाज के लिए आएं ताकि दवाएं विभाग से ही उपलब्ध हो जाएं. नरेंद्र ने बताया कि पहले महीने की दवा विचार कर रहे हैं कि बाहर से ही खरीद लें, क्योंकि इलाज में जितने देरी होगी उतना ही खतरा रहेगा. दूसरे महीने से केजीएमयू से ही दवा लेंगे.
पुराने मरीजों को विभाग से मिल रही दवा
हेपेटाइटिस सी से पीड़ित महिला मरीज सुकन्या कुमारी लखनऊ के राजाजीपुरम से डॉक्टर को दिखाने के लिए गैस्ट्रोलॉजी विभाग में पहुंची थीं. सुकन्या ने बताया कि बीते दो महीने से उनका इलाज केजीएमयू के गैस्ट्रोलॉजी विभाग से चल रहा है. डॉ. सुमित से इलाज करा रही हैं. दो महीने का कोर्स कंप्लीट हो गया है. तीसरे महीने की दवा लेने के लिए विभाग में आए हैं. सुकन्या ने कहा कि मेरी सारी दवाई विभाग से मुझे उपलब्ध हो जा रही है. जो नए मरीज आ रहे हैं उन्हें अगले महीने आने के लिए कहा जा रहा है, लेकिन जो पुराने मरीज हैं, उनकी दवाओं में रुकावट न हो इसलिए विभाग से दवा दी जा रही हैं. सुकन्या ने यह भी बताया कि जब कभी वह यहां नहीं आ पाती हैं तो बाहर से ही कुछ दवाई खरीद लेती हैं जो महंगी पड़ती है. इसलिए कोशिश करते हैं कि अस्पताल आकर ओपीडी में डॉक्टर से मिलने और दवाई यहीं से लें.
भारत सरकार के द्वारा चलाया जा रहा एक प्रोग्राम
केजीएमयू गैस्ट्रोलॉजी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. सुमित रोंगटा ने बताया कि गवर्नमेंट ऑफ इंडिया हेपेटाइटिस बी और सी दोनों की ही दवाएं उपलब्ध कराती है. उत्तर प्रदेश में हेपेटाइटिस बी के मरीज सबसे अधिक हैं. हेपेटाइटिस बी की दवाओं की सप्लाई गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के द्वारा हो रही है. हेपेटाइटिस सी में दो दवाई होती हैं. जिसमें से एक दवा सरकार के द्वारा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है और दूसरी दवा कुछ समय के लिए शॉर्टेज हुई है. भारत सरकार के द्वारा यह आश्वासन दिया गया है कि 15 से 20 दिन में उपलब्ध हो जाएगी. दरअसल भारत सरकार हेपेटाइटिस से पीड़ित मरीजों के लिए खुद एक प्रोग्राम आयोजित कर रहे हैं उसी के तहत मरीजों को दवाएं उपलब्ध होती हैं.
पुराने मरीजों के इलाज को प्राथमिकता
डाॅ. सुमित रोंगटा के अनुसार यह कोई ऐसी बीमारी नहीं है कि जिसका इलाज तुरंत हो जाए. बस केवल इसमें ध्यान देना होता है कि एक बार इलाज शुरू होने के बाद मरीज के दबाव में गैपिंग नहीं होनी चाहिए. इसलिए ऐसे मरीज जिनका इलाज केजीएमयू के गैस्ट्रोलॉजी विभाग ऑफ मेडिसिन से चल रहा है. उन्हें पहली प्राथमिकता दी जा रही है, ताकि उनका इलाज निरंतर चलता रहे. इसके दवाओं का स्टॉक खत्म होने के कारण जो नए मरीज आ रहे हैं. उन्हें अगले महीने आने के लिए सुझाव दिया जा रहा है, ताकि तब तक भारत सरकार के द्वारा दवाएं उपलब्ध हो जाएंगी. फिलहाल प्राथमिकता यह है कि जिस मरीज इलाज महीनों से चल रहा है, उनके इलाज में गैपिंग न हो.
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