लखनऊ : उत्तर प्रदेश में मौत का तांडव करता कोरोना सिर्फ लोगों की जान ही नहीं ले रहा, इसने योगी सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था की कलई भी खोलकर रख दी है. अस्पतालों में मरीज तड़प रहे हैं, परिजन सरकार और डॉक्टरों के सामने गिड़गिड़ा रहे हैं, श्मशान घाटों पर शवों की लाइनें लगी हैं. दूसरी तरफ पिछले साल कोरोना नियंत्रण में वाह-वाही बटोरने वाली योगी आदित्यनाथ सरकार इस बार कोरोना के सामने मजबूर नजर आ रही है. इस मजबूरी के लिए भी सरकार खुद जिम्मेदार है. समय रहते यदि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने पर ध्यान दिया जाता तो शायद ऐसी नौबत नहीं आती. कहने के लिए तो पिछले एक साल में स्वास्थ्य विभाग में सात गुना से अधिक वेंटिलेटर बढ़ाए गए, लेकिन हकीकत यह है कि यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था खुद ही वेंटिलेटर पर है. वरना 22 करोड़ की आबादी वाले इस राज्य में महज चार हजार वेंटिलेटर नहीं होते, उसमें भी 1394 वेंटिलेटर इस एक साल में कोरोना संक्रमण की वजह से खरीदे गए.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो अस्पताल में भर्ती होने वाले कोरोना संक्रमित कुल मरीजों में 30 प्रतिशत मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है. शनिवार तक पूरे प्रदेश में कोरोना के कुल 2 लाख 73 हजार 653 एक्टिव केस हो गए हैं. इनमें से करीब 82 हजार मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत है. जबकि यहां महज चार हजार वेंटिलेटर बेड उपलब्ध हैं. जानकारों के मुताबिक, 10 बेड पर एक वेंटिलेटर बेड का होना अनिवार्य है. इसी से आप राज्य की चिकित्सा व्यवस्था का अंदाजा लगा सकते हैं. राज्य में ऑक्सीजन की स्थिति भी कोई संतोषजनक नहीं है. मांग और आपूर्ति में काफी अंतर है.
यह है वेंटिलेटर की वास्तविक स्थिति
राज्य में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के 175 अस्पताल हैं. इनमें वर्ष 2019 तक कुल 225 वेंटिलेटर थे. वहीं मार्च 2020 में प्रदेश में कोरोना की दस्तक होते ही क्रिटिकल केयर की सेवाओं का विस्तार किया. इसमें पीएम केयर फंड से पहली बार में 54 और दूसरी बार में 665 वेंटिलेटर मिले. इसके अलावा 182 वेंटिलेटर स्वास्थ्य विभाग ने खरीदे. ऐसे में सालभर में कुल 1394 वेंटिलेटर बढ़ाये गए. वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग में कुल 1619 वेंटिलेटर हैं. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ डीएस नेगी की मानें तो मरीजों की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में क्रिटिकल केयर सेवाओं का भी विस्तार किया जा रहा है.
52 मेडिकल कॉलेजों में हैं 2500 वेंटिलेटर
प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार बताते हैं कि सरकार ने 24 राजकीय और 28 निजी मेडिकल कॉलेजों में कोरोना के इलाज की व्यवस्था की है. इनमें कुल 18 हजार बेड हैं, जिसमें से 2500 वेंटिलेटर हैं. इसमें सरकारी मेडिकल कॉलेज में 1283 वेंटिलेटर हैं. साथ ही लगातार बेड की संख्या में बढ़ोतरी की जा रही है.
10 बेड पर हो एक वेंटिलेटर
आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ पीके गुप्ता के मुताबिक, 10 बेड के अस्पताल में एक वेंटिलेटर बेड होना चाहिए. यानी कि कोई अस्पताल 100 बेड का है तो उसमें 10 बेड का आईसीयू विद वेंटिलेटर की सुविधा अवश्य हो, ताकि गंभीर मरीज को समय पर इलाज मिल सके. कोविड अस्पताल में भर्ती हो रहे गम्भीर मरीजों में से 30 फीसद को वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत होती है.
यूपी में ऑक्सीजन की डिमांड
सरकार का दावा,ऑक्सीजन की दिक्कत होगी दूर
यूपी सरकार के अपर मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल का दावा है कि राज्य सरकार लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए प्रयासरत है. इसके अलावा अस्पताल खुद हवा से ऑक्सीजन तैयार करेंगे. इसके लिए 31 अस्पतालों में ऑक्सीजन जनरेटर प्लांट लगाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन अब राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन जनरेटर लगाने का फैसला लिया गया है, ताकि हवा से ऑक्सीजन जनरेटर ऑक्सीजन तैयार किया जा सके. इसे टैंक में स्टोर कर पाइप लाइन से मरीजों के बेड पर पहुंचाया जाएगा. इसके जरिए सिलेंडर भराने का झंझट खत्म होगा. इसके अलावा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी आ गए हैं. यह भी एक खास तरीके की मशीन है, जो हवा से ऑक्सीजन बनाती है. इसके जरिए मरीजों को ऑक्सीजन दी जा सकेगी. ऐसे में सिलेंडर न होने पर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के जरिए मरीजों को राहत दी जा सकेगी. अस्पतालों में इसका वितरण शुरू हो गया है.
यूपी कोरोना ग्राफ