लखनऊ : दोस्ती कोई दीवार नहीं जानती, कोई अंतर नहीं समझती. कृष्ण-सुदामा की मित्रता भी हमें यही सीख देती हैं. बचपन के साथ जब कई साल मिलते हैं, तो कृष्ण द्वारका के राजा बन चुके होते हैं और सुदामा निर्धन. लेकिन इसके बावजूद कृष्ण, सुदामा से ऐसे मिलते हैं, जैसे उनकी मित्रता के बिना भगवान स्वयं कुछ नहीं.
भक्त और भगवान के बीच प्रेम कह लीजिए या मित्रता, रामचरितमानस में भगवान राम और उनके भक्त हनुमान के बीच ऐसा रिश्ता दिखा, जो अभूतपूर्व है. श्रीराम की सेवा हो, लक्ष्मण को बचाने की जुगत या माता सीता से मिलने को समंदर लांघना, हनुमान ने श्रीराम के लिए सब कुछ किया. और जब सीना चीरकर दिखाया भी कि उनके हृदय में भी भगवान ही बसे हैं.
कर्ण-दुर्योधन
महाभारत का ज़िक्र होता है, तो हमारा ध्यान कौरव-पांडवों के बीच कुरुक्षेत्र में लड़े गए युद्ध पर जाता है, लेकिन इसमें कर्ण और दुर्योधन की दोस्ती भी रेखांकित की जा सकती है. ऐसा कहा जाता है कि अपने भाइयों की मृत्यु पर एक आंसू ना गिराने वाला दुर्योंधन, कर्ण के चले जाने से फूट-फूटकर रोया था. और कर्ण ने मित्रता निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
पिता-पुत्र
यूं तो हम में से ज़्यादातर बचपन में मां की तुलना में पिता से कुछ डरते भी हैं और झिझकते भी हैं. लेकिन उम्र और समझ बढ़ने पर अहसास होता है कि पिता से बढ़िया और परिपक्व कोई दोस्त नहीं होता. हम उनसे अपने मन की हर बात कह सकते हैं और वो उन्हें समझते भी हैं, क्योंकि यही चीज़ें वो पहले खुद अनुभव कर चुके हैं.
मां-बेटी
कुछ इसी तरह का तालमेल मां और बेटी के बीच भी देखने को मिलता है. हम ऐसा नहीं कर रहे कि मां और बेटे के बीच प्रेम कम होता है, लेकिन मां-बेटी के बीच परस्पर सहयोग का जो स्तर देखने को मिलता है, वो लाजवाब है. अक्सर देखने को मिलता है कि कई बार बेटे माता-पिता का इतना ख़्याल नहीं रख पाते, जितना बेटियां रखी पाती हैं. लाजवाब दोस्ती!
जय-वीरू
ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे...बीते करीब 40 साल से यह गाना दोस्ती को समझने-समझाने का ज़रिया बना हुआ है. सिक्का उछालकर अच्छाई की तरफ कोई फैसला करना हो या अपनी जान दांव पर लगाकर दोस्त को बचाना, जय और वीरू अपराधी होने के बावजूद हमें दोस्ती करनी और निभानी, दोनों सिखा गए.
टॉम एंड जेरी
हम सभी ने बचपन में यूं तो कई ऐसे कार्टून देखें होंगे, जिनमें दोस्ती भी होगी और रिश्ते भी. लेकिन टॉम और जेरी का ऐसा बेहतरीन रिश्ता दूसरा नहीं मिलता, जो दिन भर लड़ते रहें, लेकिन साझा मुसीबत सामने आने पर साथ हो जाएं. साथ रहें, तो लड़ें और अलग रहें, तो बोर हो जाएं. असलियत में क्या दोस्ती और दोस्त कुछ इसी तरह नहीं होते? हम सभी में टॉम और जेरी जो छिपा है.
हम और ईश्वर
और आखिर में हमारे सबसे करीब और सबसे बड़े दोस्त का जिक्र. भगवान, ख़ुदा, यीशू...कोई नाम दे लीजिए, ऊपरवाला एक ही है. और हम जब मुसीबत में होते हैं, अक्सर इसी दोस्त के पास जाते हैं. और वो हमारी हिम्मत भी बढ़ाता है और हौसला भी देता है, ताकि मुश्किल से लड़कर दोबारा खड़े हो सकें. खुशी में हम अपनी काबिलियत का दंभ भरते हैं और नाकामी, उसके सिर डाल देते हैं. लेकिन वो कभी बुरा नहीं मानता...हैप्पी फ्रेंडशिप डे!