लखनऊ: राजधानी के आइआइएम रोड स्थित सैथा में एक ऐसा युवक रहता है, जो हर रोज लोगों की जिंदगी में उजाला भरने का प्रयास कर रहा है. जन्म के 3 साल बाद पोलियो की चपेट में आए सूरज यादव आज दिव्यांगजनों की जिंदगी को नई दिशा की ओर ले जा रहे हैं. सूरज अपने जैसे लोगों की निःशुल्क सहायता करते हैं.
ईटीवी भारत से बात करते हुए 33 वर्षीय सूरज यादव ने बताया कि 2011 में उनके पिता का निधन हो गया था. उसके बाद घर की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई. उन्होंने कहा कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. इसी वजह से सिर्फ 12वीं तक की पढ़ाई कर पाया.
बात 2008 की है. सूरज राजधानी से रोडवेज बस के जरिए बाराबंकी जा रहे थे. सफर के दौरान बस के कंडक्टर ने एक दिव्यांग को बस से बाहर फेंक दिया. यह देख वे कुछ बोलते, इससे पहले कंडक्टर उसे बाहर फेंक चुका था. उस दिन के बाद से सूरज ने दिव्यांगों की लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया और फिर दोबारा पीछे मुड़ कर नहीं देखा. सूरज यादव ने दिव्यांगों की मदद करने के लिए उत्तर प्रदेश विकलांग मंच की स्थापना की. इस मंच के जरिए उन्होंने पूरे देश के दिव्यांगों की मदद करने का बीड़ा उठाया. उन्होंने कहा कि लोगों के अपशब्दों ने भी उन्हें खूब प्रेरणा दी. एक वर्ष मदद करने के बाद कुछ सफलता मिली, लेकिन किसी संस्था के बगैर उनका मिशन रुक रहा था.
सूरज कहते हैं कि 90% दिव्यांगता होने के बाद भी उनकी राह नहीं रुकी. वह लगातार आगे बढ़ते रहे और कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. सूरज ने राजधानी के 70 लोगों को करीब 2 करोड़ से ज्यादा की सहायता दिलवाई है. यह प्रयास आगे भी चलता रहेगा. सूरज का मकसद है कि किसी के जीवन में अंधेरा न हो. सूरज ने 19 जून 2009 में उत्तर प्रदेश विकलांग मंच का गठन किया. सरकारी योजनाओं की हर जानकारी अब सूरज की जुबान पर रहती है. इन्होंने अब तक प्रदेश के 40 जिलों में 2.23 लाख दिव्यांगों को मंच से जोड़ा है और दिव्यांग पेंशन से लेकर अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया. पिछले वर्ष 2019 में सूरज ने टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर भी बनाया था, जिसके माध्यम से दिव्यांग मदद ले सकते हैं. सूरज को दिव्यांग जन विकास विभाग की ओर से उन्हें कई बार पुरस्कृत भी किया जा चुका है.
तीन साल की उम्र में पोलियो की चपेट में आए, जिस सूरज के भविष्य को लेकर माता-पिता और सगे संबंधी परेशान रहते थे. वही सूरज अब अपने जैसे लोगों की जिंदगी में समृद्धि की रोशनी ला रहा है. अपने जैसे 200 से अधिक दिव्यांगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाकर उन्हें अपने पैरों पर खड़े करने वाले सूरज प्रदेश के दो लाख से अधिक दिव्यांगों की समस्याओं को हेल्पलाइन नंबर के माध्यम से न केवल सुनते हैं बल्कि उन्हें न्याय भी दिलाते हैं, वह भी निःशुल्क. उत्तर प्रदेश विकलांग मंच की तरफ से मदद पाने वाले 23 वर्षीय दिव्यांग मोनू चौरसिया बताते हैं कि वह एक नेशनल खिलाड़ी हैं, लेकिन 65% दिव्यांगता की वजह से उनको कुछ सूझ नहीं रहा था. एक दिन अचानक सूरज यादव से उनकी मुलाकात हुई, जो कारगर सिद्ध हुई. मोनू बताते हैं कि आज इस मंच के जरिए उनको सरकारी योजनाओं का लाभ मिला और वे अपने पैरों पर खड़े हैं.