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फर्रुखाबाद का मेला राम नगरिया; कड़ाके की ठंड झेल जप-तप और ध्यान में जुटे हजारों कल्पवासी - MELA RAM NAGARIYA

भजन-कीर्तन से गूंज रहा पांचाल घाट, संतों-संन्यासियों के प्रवचनों से निहाल हो रहे भक्त.

गंगा की रेती पर कठिन साधना कर रहे भक्त.
गंगा की रेती पर कठिन साधना कर रहे भक्त. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 23, 2025, 8:13 AM IST

फर्रुखाबाद : ऐतिहासिक राम नगरिया मेला 13 जनवरी से चल रहा है. यह मेला गंगा की रेती पर 5 किलोमीटर के एरिया में लगा है. यहां एक महीने तक कल्पवास करना होता है. करीब 50 हजार से अधिक लोग इस समय यह कठिन साधना कर रहे हैं. इस दौरान कई कठोर नियमों का पालन करना भी जरूरी होता है. इनमें इंद्रियों पर नियंत्रण, सत्य बोलना, अहिंसा और ब्रह्मचर्य का पालन करना आदि शामिल है.

मेला राम नगरिया में पहुंचे हजारों लोग. (Video Credit; ETV Bharat)

कल्पवास कर रहीं शशिबाला और राम देवी ने बताया कि कल्पवास मां गंगा की रेती पर मेले में बनी राउटी में रहकर किया जाता है. सुबह-शाम गंगा में स्नान करते हैं. यहां के पांचाल घाट पर आम लोगों के अलावा साधु-संतों की भीड़ जुटती है. राउटी में हजारों भक्त कल्पवास रहते हैं.

कल्पवासियों ने बताया कि खानपान की चीजे हम लोग अपने घर से ही लाते हैं. चूल्हे पर चाय और भोजन को बनाते हैं. उसके बाद उसको ग्रहण करते हैं. मेला क्षेत्र में करीब 2 हजार से अधिक राउटी बनाई गई है. सुबह उठकर मां गंगा के स्नान के साथ आरती भी करते हैं. साधु-संतों को भोजन कराने के साथ दिन में भजन कीर्तन भी करते हैं.

मेले में छह प्रमुख स्नान पड़ते हैं. इनमें मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि शामिल हैं. कल्पवासियों ने बताया कि कल्पवास पूरे 1 महीने के दौरान कड़ाके की ठंड झेलनी होती है. कई बार बारिश भी हो जाती है. ठंडी हवाएं भी चलती है. इसके बावजूद वे डटे रहते हैं.

लोगों ने बताया कल्पवास दौरान हर दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए. दिन में एक बार भोजन करना चाहिए. मन में जप करना चाहिए. दान करना चाहिए. किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए. साधु-संन्यासियों की सेवा करनी चाहिए. कल्पवास को मां गंगा के तट पर करने का विशेष महत्व माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि कल्पवास करने से कायाकल्प हो जाता है. मोझ की प्राप्ति होती है. कल्पवास करने से आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है.

यह भी पढ़ें : क्या है रामनगरिया मेले का महत्व, कल्पवास के क्या हैं नियम, एक महीने तक किन चीजों का रहता है निषेध, पढ़िए डिटेल

फर्रुखाबाद : ऐतिहासिक राम नगरिया मेला 13 जनवरी से चल रहा है. यह मेला गंगा की रेती पर 5 किलोमीटर के एरिया में लगा है. यहां एक महीने तक कल्पवास करना होता है. करीब 50 हजार से अधिक लोग इस समय यह कठिन साधना कर रहे हैं. इस दौरान कई कठोर नियमों का पालन करना भी जरूरी होता है. इनमें इंद्रियों पर नियंत्रण, सत्य बोलना, अहिंसा और ब्रह्मचर्य का पालन करना आदि शामिल है.

मेला राम नगरिया में पहुंचे हजारों लोग. (Video Credit; ETV Bharat)

कल्पवास कर रहीं शशिबाला और राम देवी ने बताया कि कल्पवास मां गंगा की रेती पर मेले में बनी राउटी में रहकर किया जाता है. सुबह-शाम गंगा में स्नान करते हैं. यहां के पांचाल घाट पर आम लोगों के अलावा साधु-संतों की भीड़ जुटती है. राउटी में हजारों भक्त कल्पवास रहते हैं.

कल्पवासियों ने बताया कि खानपान की चीजे हम लोग अपने घर से ही लाते हैं. चूल्हे पर चाय और भोजन को बनाते हैं. उसके बाद उसको ग्रहण करते हैं. मेला क्षेत्र में करीब 2 हजार से अधिक राउटी बनाई गई है. सुबह उठकर मां गंगा के स्नान के साथ आरती भी करते हैं. साधु-संतों को भोजन कराने के साथ दिन में भजन कीर्तन भी करते हैं.

मेले में छह प्रमुख स्नान पड़ते हैं. इनमें मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि शामिल हैं. कल्पवासियों ने बताया कि कल्पवास पूरे 1 महीने के दौरान कड़ाके की ठंड झेलनी होती है. कई बार बारिश भी हो जाती है. ठंडी हवाएं भी चलती है. इसके बावजूद वे डटे रहते हैं.

लोगों ने बताया कल्पवास दौरान हर दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए. दिन में एक बार भोजन करना चाहिए. मन में जप करना चाहिए. दान करना चाहिए. किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए. साधु-संन्यासियों की सेवा करनी चाहिए. कल्पवास को मां गंगा के तट पर करने का विशेष महत्व माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि कल्पवास करने से कायाकल्प हो जाता है. मोझ की प्राप्ति होती है. कल्पवास करने से आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है.

यह भी पढ़ें : क्या है रामनगरिया मेले का महत्व, कल्पवास के क्या हैं नियम, एक महीने तक किन चीजों का रहता है निषेध, पढ़िए डिटेल

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