लखनऊ: कोरोना की वजह से पिछले साल मुसलमानों की हज यात्रा को भारत से रद्द कर दिया गया था. इसके बाद सभी आवेदकों को हज कमेटी ऑफ इंडिया ने उनकी रकम लौटा दी थी. अब हज 2021 के सफर की तैयारियां शुरू हो गई हैं. इसके चलते वे लोग भी हज पर जाना चाहते हैं, जो पिछले साल कोरोना महामारी के कारण नहीं जा सके थे. हालांकि 2021 के हज के सफर पर महंगाई की मार के कारण मुसलमानों में मायूसी है.
दोगुना तक महंगा हो सकता हज का सफर
हर मुसलमान की ख्वाहिश होती है कि वह जिंदगी में एक बार हज के सफर पर जरूर जाए. इस्लाम के 5 बुनियादी स्तंभों में से हज को एक माना जाता है. इसके चलते दुनिया भर के देशों से मुसलमान हज के पवित्र सफर पर सऊदी अरब स्थित मक्का मदीना के लिए रवाना होते हैं. कोरोना महामारी की वजह से पिछले साल हज का सफर रद्द कर दिया गया था. इसके कारण बड़ी संख्या में भारत के मुसलमान भी हज करने से वंचित रह गए थे. मुसलमानों के सामने महंंगाई एक नई समस्या बनकर खड़ी हो गई है. हज पर जाने वाले यात्रियों की मानें तो इस बार हज का सफर पिछले साल के मुकाबले लगभग 2 गुना महंगा होता नजर आ रहा है. इससे हज पर जाने वालों को दोगुनी रकम का बंदोबस्त करना होगा. यह कोरोना महामारी, लॉकडाउन के बाद बढ़ी बेरोजगारी और लंबे समय तक बंद पड़े कारोबार की वजह से काफी मुश्किल हो रहा है.
मुस्लिम धर्मगुरु ने की यह मांग
मुस्लिम धर्मगुरु और इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने इस मसले पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पिछली बार कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से लोग हज पर नहीं जा सके थे. इस बार बड़ी संख्या में लोग चाहते हैं कि वे हज के सफर पर जाएं. लेकिन, इस बार हज के खर्चे बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं. इसकी वजह से लोगों में बेहद मायूसी है. मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने हज कमेटी ऑफ इंडिया और माइनॉरिटी डिपार्टमेंट से अपील करते हुए कहा कि हज के सफर पर जाने वाले यात्रियों की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए हज के खर्च को कम किया जाए. इससे मुसलमान अपना मजहबी अकीदा (धार्मिक कार्य) निभाते हुए हज से महरूम न रहें.
इसलिए बढ़ रहा हज के सफर का खर्चा
हज कमेटी ऑफ इंडिया से जुड़े जानकारों की मानें तो 2021 के हज में 3 लाख 70 हजार रुपये से लगभग 5 लाख 25 हजार का खर्च आ सकता है. इसका कारण कोविड-19 की गाइडलाइन के मुताबिक मक्का मुकर्रमा व मदीना मुनव्वरा में यात्रियों की रिहायश, 15 प्रतिशत वैट (VAT), 300 सऊदी रियाल, वीजा फीस और मक्का व मदीना में लोकल ट्रांसपोर्टेशन है. इस बार हज यात्रा में कोविड की वजह से बड़े और अहम बदलाव किए गए हैं. इस बार 45 सीटर बस में सिर्फ 15 यात्रियों को बैठने की अनुमति होगी और 18 से 65 साल के लोगों को ही हज पर जाने की अनुमति होगी. बिना मेहरम के हज पर जाने वाली महिलाएं 4 के बजाए सिर्फ 3-3 का ग्रुप बनाकर आवेदन कर सकेंगी.