लखनऊः प्रमोशन न मिलने से नाखुश आईईटी के इलेक्ट्रिकल विभाग के सह आचार्य डॉ. सतेन्द्र सिंह के लिए लॉबिंग करना भारी पड़ गया. प्रमोशन न होने पर उनकी ओर से उनकी पत्नी ने शासन में शिकायत की थी. शिकायत के बाद जांच शुरू हुई तो उसमें डॉ. सतेन्द्र के प्रमाण पत्रों को फर्जी पाया गया. इसके चलते उन्हें शनिवार को निलंबित कर दिया गया है. साथ ही प्रकरण की जांच के लिए एक तीन सदस्यी समिति बना दी गई है. इस समिति में एचबीटीयू के आचार्य प्रो. करुणाकर सिंह, विवि के डीन पीजी प्रो. एमके दत्ता एवं विवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. राजीव कुमार शामिल हैं. जांच समिति एक माह में प्रकरण की जांच कर आख्या प्रस्तुत करेगी.
यह है पूरा मामला
कैरियर एडवांसमेंट स्कीम के अंतर्गत डॉ. सतेन्द्र ने सह-आचार्य से आचार्य पद के लिए दावेदारी प्रस्तुत की थी. चयन समिति ने उन्हें प्रोन्नति के लिए अर्ह नहीं पाया. इस पर डॉ. सतेन्द्र की ओर से उनकी पत्नी ने सचिव प्राविधिक शिक्षा को प्रत्यावेदन दिया. यह प्रत्यावेदन 22 मार्च को एकेटीयू के कुलपति को भेजा गया. जांच शुरू हुई तो पूरी कहानी ही पलट गई.
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ऐसे हुआ खुलासा
डॉ. सतेन्द्र ने विभिन्न शैक्षिक एवं शोध सम्बन्धित उपलब्धियों के दस्तावेज प्रस्तुत किए थे. समिति के परीक्षण में कतिपय दस्तावेजो के कूटचरित होने की बात सामने आई थी. इसके बाद विवि प्रशासन ने डॉ. सतेन्द्र को निलंबित कर दिया है. उन्हें एकेटीयू के कुलपति कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है. निलंबन अवधि में उन्हें स्वीकार्य निर्वाह भत्ता देय होगा.
जांच में ये गड़बड़ियां मिलीं
- डॉ. सतेन्द्र ने गाजियाबाद के इंद्रप्रस्थ इंजीनियरिंग कॉलेज में अतिथि व्याख्यान के संबंध में दस्तावेज प्रस्तुत किए. लेकिन, वहां के निदेशक ने बताया कि संबंधित तिथियों पर कोई व्याख्यान हुआ ही नहीं था.
- राजकुमार गोयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी गाजियाबाद में 2014, 2015 और 2016 में अतिथि व्याख्यान देने के संबंधित प्रमाण पत्रों को भी विश्वविद्यालय की जांच में फर्जी पाया गया है.
- इसी तरह के फ्यूचर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस बरेली, आरडी इंजीनियरिंग कॉलेज गाजियाबाद समेत अन्य कॉलेजों के भी अनुभव प्रमाण पत्र लगाए गए हैं.