लखनऊ: कोरोना वायरस की दूसरी लहर का सबसे ज्यादा असर गरीब, असहाय और मजदूरों पर पड़ा है. वायरस की वजह से काम धंधे ठप पड़े हैं. जिससे लोगों के सामने खाने के लाले पड़े हैं. यूपी में 1 मई से लॉकडाउन जारी है. ऐसे में जहां मजदूरों के काम धंधे प्रभावित हुए हैं तो वहीं छोटे-मोटे काम करके अपने परिवार का पेट पालने वाले लोग भी बेरोजगार हो गए हैं. उनके सामने भी रोजी रोटी का संकट आ गया है. ऐसे में इस बार सरकार की कम्युनिटी किचन भी लोगों को पेट भरने के लिए नहीं चल रहे हैं.
इस बीच राजधानी में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से यह फैसला लिया गया कि सभी गुरुद्वारों के माध्यम से लंगर सेवा शुरू की जाए और चौराहों से लेकर घर में रह रहे कोविड-19 मरीजों तक खाना पहुंचाया जाए. राजधानी के सदर और नाका गुरुद्वारे से इस तरह की पहल चल रही है. यहां से हर दिन हजारों की संख्या में लंगर सेवा के माध्यम से मजदूर, असहाय और ठेला रिक्शा चलाने वालों का पेट भर रहा है. तो वहीं गुरुद्वारा के तरफ से आरटी पीसीआर जांच के साथ ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की सेवा भी दी जा रही है. कोविड-19 मरीजों को श्मशान घाट तक पहुंचाने के लिए मुफ्त एंबुलेंस सेवा भी जारी है. समाजसेवियों के द्वारा गरीबों के लिए चलाए जा रहे किचन के माध्यम से उन्हें भोजन मिल पा रहा है.
राजधानी के नाका गुरुद्वारा के द्वारा हर रोज कोविड संक्रमित मरीजों के घरों में खाना पहुंचाया जा रहा है. वहीं चौराहों पर लंगर सेवा के द्वारा गरीबों का पेट भरने का काम हो रहा है. गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव सतपाल सिंह ने बताया कि इस बार कोरोना महामारी में उनकी लंगर सेवा गरीबों को भुखमरी से बचा रही है. कोविड-19 मरीजों के शवों को ढूंढने के लिए दो एंबुलेंस भी संचालित कर रहे हैं. इसके साथ ही आरटी पीसीआर की जांच और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी मुफ्त में जरूरतमंदों को दे रहे हैं.
कम्युनिटी किचन के बंद होने से मजदूर निराश
साल 2020 में कोरोना महामारी के पहले लहर के दौरान जहां लॉकडाउन का कड़ाई से पालन किया गया. वहीं सभी प्रदेशों में सरकारों ने कम्युनिटी किचन का संचालन किया. जिसके माध्यम से गरीब और असहाय लोगों के घरों तक खाना और राशन पहुंचाया गया. इन्हीं वजहों से उन्हें भूखमरी जैसे हालात से बचाया जा सका. लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश सरकार ने इस तरह के किसी भी किचन का संचालन नहीं किया. जिसके चलते सबसे ज्यादा मुश्किल गरीब, असहाय और श्रमिकों को हो रही है.
कोविड शवों को श्मशान घाट मुफ्त पहुंचा रही एम्बुलेंस सेवा
राजधानी में अप्रैल माह में कोविड-19 संक्रमण सबसे ज्यादा तेज था. इस दौरान श्मशान घाटों पर लाशों का अंबार लगा हुआ था. तो वही लोगों की मजबूरी और इस आपदा में भी अवसर तलाशने के लिए बहुत से मुनाफा खोर सक्रिय हो गए. जिनमें एंबुलेंस संचालक भी शामिल हैं. लोगों की इस परेशानी को देखते हुए राजधानी के गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने एंबुलेंस सेवा शुरू की और ऐसे कोविड-19 मृतकों के शवों को श्मशान घाट तक पहुंचाने के लिए मुफ्त एंबुलेंस सेवा का संचालन शुरू किया है. जिससे लोगों को काफी राहत मिल रही है. जिस दौर में कोविड शवों को कोई हाथ नहीं लगाता था. उस मुश्किल हालत में भी राजधानी के गुरुद्वारों के लोग समाज सेवा में तत्पर दिखाई दिए.
समाज सेवा में टूट गई धर्मों की दीवार
लखनऊ में कोविड-19 की इस महामारी के दौरान धर्मों की दीवार टूट गई. लोगों ने एक दूसरे धर्मों के लोगों की खूब मदद की. ऐसे में राजधानी लखनऊ में गंगा जमुनी तहजीब भी दिखाई दी. जिसमें समाज सेवा करने वाले लोगों ने बिना जाति, धर्म पूछे एक दूसरे की मदद की.
इसे भी पढें- यूपी में कोरोना की रफ्तार हुई धीमी, 24 घंटे में मिले 7,336 मरीज