नई दिल्ली : गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों ने बीजेपी को खुश कर दिया. 1985 से अबतक बीजेपी कभी गुजरात में 150 सीट के आंकड़े तक नहीं पहुंची थी. इस बड़ी जीत में भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात से सभी क्षेत्रों में बढ़िया प्रदर्शन किया. मगर सौराष्ट्र रीजन से 40 सीटों पर सफलता मिली. जबकि कांग्रेस को 3 आप को 4 और समाजवादी पार्टी को एक सीट मिली. आम आदमी पार्टी की ओर से की गई फ्रीबीज यानी मुफ्त की राजनीति भी गुजरात में धूल चाटती नजर आई. कांग्रेस ने अब तक का सबसे बुरा प्रदर्शन किया और 17 सीटों पर सिमट गईं. सौराष्ट्र में आम आदमी पार्टी ने सिर्फ चार सीटें जीतीं मगर कांग्रेस को कई सीटों पर हरवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.
सौराष्ट्र ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की मुराद पूरी कर दी. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सौऱाष्ट्र से मात्र 18 सीटें मिली थीं जबकि कांग्रेस ने 30 सीटें जीती थीं. इस रीजन से बीजेपी के सभी दिग्गज उम्मीदवार भारी अंतर से जीते. चुनाव से ठीक पहले मोरबी में पुल हादसे का असर भी चुनाव परिणाम में नहीं दिखा. बीजेपी ने मोरबी जिले की तीनों सीटों पर कब्जा कर लिया. मोरबी से बीजेपी कांतिलाल अमरुतिया ने जीत दर्ज की.
पारंपरिक सीटों पर बड़ी जीत : 2017 में यह मोरबी जिले की तीनों विधानसभा सीटें कांग्रेस के पास थीं. इसके अलावा सौराष्ट्र रीजन की अमरेली, राजकोट, जामनगर नॉर्थ, राजकोट पश्चिम, भावनगर पश्चिम जैसी वीआईपी सीट पर भी कब्जा किया. राजकोट पश्चिम पश्चिम पर बीजेपी ने दसवीं बार जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया. क्षत्रिय बाहुल्य जामनगर नॉर्थ सीट क्रिकेटर रवींद्र जाडेजा की पत्नी रिवाबा जाडेजा और गुजरात सरकार के शिक्षा मंत्री जीतू वाघाणी ने जीत दर्ज की. भावनगर ग्रामीण, राजकोट साउथ, राजकोट वेस्ट की सीट पर बीजेपी के उम्मीदवारों ने 70 हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल की. 40 हजार से अधिक वोटों से बीजेपी के 20 प्रत्याशी जीते.
कांग्रेस ने सौराष्ट्र में खो दी 27 सीटें : कांग्रेस को सौराष्ट्र रीजन में 27 सीटों से हाथ धोना पड़ा. उसकी अधिकतर सीटें बीजेपी और आम आदमी पार्टी के खाते में चली गई. हालांकि उसकी झोली में पोरबंदर की सीट आई, जहां से कांग्रेस से दिग्गज नेता अर्जुन मोढवाडिया लगातार दो चुनाव हार गए थे. दस साल बाद अर्जुन के चुनावी तीर का निशाना पोरबंदर सीट पर लग ही गया. (Porbandar returns to Congress). 2017 में भाजपा के बाबूभाई बोखरिया ने इस सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुन मोढवाडिया को हरा दिया था. तब अर्जु सिर्फ 1,855 वोटों से हारे थे. इसके अलावा सौराष्ट्र इलाके के कांग्रेस विधायक ललित कगथारा, ललित वसोया, रुत्विक मकवाना और मोहम्मद जावेद पीरजादा को भी हार का सामना करना पड़ा. सौराष्ट्र में कांग्रेस 27 सीटों का नुकसान हुआ. कई सीटों पर कांग्रेस के कैंडिडेट तीसरे स्थान पर खिसक गए. जेतपुर और जामनगर रूरल पर कांग्रेस प्रत्याशी को चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा.
आम आदमी पार्टी ने 4 सीटें जीतीं, 13 स्थानों पर रही नंबर टू : आम आदमी पार्टी को गुजरात में पांच सीटों पर सफलता मिली, उनमें से चार सीटें सौराष्ट्र रीजन से मिली. आम आदमी पार्टी के सीएम फेस इशुदाव गड़वी देवभूमि द्वारका से हार गए. मगर जाम जोधपुर से हेमंत खावा, विशावदर भूपत भचानी, गारियाधर से सुधीर वधानी और बोटाद से सुधीर वधानी ने जीत हासिल की. साथ ही सौराष्ट्र की 13 विधानसभा सीटों पर दूसरे नंबर पर रही. उसने कांग्रेस को तीसरे नंबर पर धकेल दिया. चार सीटों पर आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के कैंडिडेट को हराया.
सौराष्ट्र में कई सीटों में आम आदमी पार्टी कांग्रेस की हार और बीजेपी की जीत का कारण भी बनी. सुरेंद्रनगर की दसाडा सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार करीब 2000 वोट से हारे. इस सीट पर आप कैंडिडेट को करीब 10 हजार से अधिक वोट मिले थे. मोरबी जिले की टंकारा, राजकोट ईस्ट, जूनागढ़ की केशोद, कोडिनार, अमरेली जिले की लाठी, राजुला समेत 12 सीटों पर कांग्रेस करीब उतने ही वोट से हारी, जितने आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट को मिले थे. अगर आम आदमी पार्टी की उपस्थिति नहीं होती तो इन सीटों पर कम से कम कांटे का मुकाबला हो सकता था.
नतीजों में सबसे अधिक चौकाने वाला नतीजा पोरबंदर जिले के कुतियाना सीट पर आया. जहां समाजवादी पार्टी के कांधलभाई जाडेजा जीते. वह विधानसभा में समाजवादी पार्टी के इकलौते प्रतिनिधि होंगे. इस तरह गुजरात विधानसभा में चार दलों की उपस्थिति रहेगी.
सौराष्ट्र क्षेत्र में पिछले चुनाव में कांग्रेस को पटेल आंदोलन का फायदा मिला था. एक्सपर्ट मानते हैं कि बीजेपी ने चुनाव से पहले सीएम का चेहरा बदलकर जीत के लिए पहला दांव खेला. साथ ही कई सीटिंग विधायकों के टिकट काट दिए. सौराष्ट्र में भी क्षत्रिय बाहुल्य जामनगर नॉर्थ सीट पर ताकतवर नेता का टिकट काटकर रिवाबा जाडेजा पर दांव लगाया. साथ ही पटेल आंदोलन के नेताओं के बीजेपी में आने से विरोध के सुर कमजोर पड़ गए. चुनाव प्रचार के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी की रैली ने बीजेपी को धार दे दी. मल्लिकार्जुन खड़गे का रावण वाला बयान भी गुजरातियों को पसंद नहीं आया. बीजेपी ने खडगे के बयान को खूब भुनाया.