लखनऊ: करीब डेढ़ माह से कोरोना वायरस के कारण देशभर में लॉकडाउन है, जिससे मजदूरों के सामने गुजर-बसर करने का संकट उत्पन्न हो गया है. रोजी-रोटी की आस में हजारों किलोमीटर दूर परदेश कमाने गए मजदूरों को अब अपने घर लौटने के लिए भी सरकार से गुहार लगानी पड़ रही है. बावजूद इसके सरकारें मजदूरों की मजबूरी समझने की बजाय हर तरह से उनका फायदा उठा रही हैं. जिनकी जेब में एक पैसा भी नहीं है, उनसे भी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से मुफ्त भेजने के बजाय किराया वसूल किया जा रहा है.
अभी तक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में रेल का किराया वसूल किए जाने को लेकर महाराष्ट्र सरकार पर अंगुली उठ रही थी, लेकिन गुजरात सरकार तो महाराष्ट्र से भी आगे निकल गई है. गुजरात सरकार ने मजदूरों से सिर्फ रेल का किराया ही नहीं वसूला, बल्कि मेडिकल के नाम पर अलग से भी रुपये वसूले हैं. इसका खुलासा श्रमिक स्पेशल ट्रेन से गुजरात से लखनऊ पहुंचे मजदूरों ने 'ईटीवी भारत' से बातचीत के दौरान किया.
महाराष्ट्र के नासिक से पिछले रविवार को जब पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेन लखनऊ पहुंची तो किराए को लेकर विवाद खड़ा हो गया. यहां मजदूरों को 420 रुपये का टिकट थमाया गया, जबकि इसके बदले उनसे 450 से लेकर 470 रुपये वसूले गए. देश भर में किराए को लेकर बहस शुरू हुई तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एलान कर दिया कि मजदूरों का किराया कांग्रेस भरेगी. महाराष्ट्र सरकार की किरकिरी के साथ ही भारतीय रेलवे की तरफ से भी मजदूरों से किराया लेने को लेकर खूब किरकिरी हुई है.
गुजरात से जो श्रमिक स्पेशल ट्रेन बुधवार को लखनऊ पहुंची, उसमें मजदूरों को टिकट तब दिया गया, जब उनका मेडिकल बन गया. मेडिकल सर्टिफिकेट दिखाने के बाद ही उन्हें ट्रेन का टिकट मिला. मेडिकल बनाने के लिए यात्रियों से 570 रुपये वसूल किया गया, जिसमें ट्रेन के किराए के 565 रुपये शामिल थे.
सीधे तौर पर हजारों मजदूरों से मेडिकल सर्टिफिकेट के नाम पर 5 रुपये अतिरिक्त वसूल किए गए, जबकि अभी तक अन्य राज्यों से आई किसी भी श्रमिक स्पेशल ट्रेन के मजदूरों का कोई मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं बनाया गया और न ही मेडिकल के नाम पर वसूली ही हुई. ईटीवी भारत' से बातचीत में यात्रियों ने मेडिकल सर्टिफिकेट के नाम पर 5 रुपये अतिरिक्त वसूल करने की पुष्टि की.
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मैं देवरिया का रहने वाला हूं. अहमदाबाद जिले के वीरमगांव से आया हूं. वहां पर टिकट मिलने से पहले मेडिकल बनवाया गया. उसी समय 570 रुपये जमा कर लिए गए. जब यह मेडिकल वीरमगांव रेलवे स्टेशन पर आकर दिखाया गया तब टिकट दिया गया. टिकट 565 रुपये का है.
अमजद अंसारी, यात्री
मैं तीन महीने से अहमदाबाद के वीरमगांव में काम कर रहा था. यूपी आने के लिए वहां पर पहले मेडिकल बनवाया गया और उसी समय 570 रुपये जमा करा लिए गए. जब प्लेटफार्म पर पहुंचे तो यह मेडिकल फॉर्म दिखाया, उसके बाद वहीं पर 565 रुपये का टिकट थमा दिया गया. जबकि मेडिकल बनवाते समय 570 रुपये लिए गए थे.
शमशाद अंसारी, यात्री