लखनऊ: आंध्र प्रदेश से भारत भ्रमण पर निकले बच्चों से सीएम योगी ने शुक्रवार को लखनऊ में मुलाकात की. इन बच्चों ने सीएम योगी से मिलने की इच्छा जताई थी. बता दें कि 6 फरवरी को आंध्र प्रदेश के 21 बच्चों का दल साइकिल से भारत भ्रमण पर निकला था. यह दल पिछले करीब एक हफ्ते से उत्तर प्रदेश के जिलों में भ्रमण कर रहा है.
सीएम योगी ने बच्चों को दिया निमंत्रण
जब सीएम योगी को इन बच्चों की खबर मिली तो उन्होंने खुद इन्हें बुलवाया. लखनऊ से बाहर होते हुए भी सीएम योगी ने इनके रहने खाने का इंतजाम कराया साथ ही इन बच्चों के लिए होली की मिठाई भी भेजी थी. ये बच्चे आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में मौजूद श्रीशैलम टाइगर रिजर्व के अंदरूनी हिस्से में बसे चेंचू आदिवासियों के गांव पलूतला से भारत भ्रमण पर निकले हैं.
21 बच्चों का दल निकला भारत भ्रमण पर
संरक्षक कलिदासु की देखरेख में 21 बच्चों का ये दल साइकिल से हिमालय को छूने निकला है. इस दल में सबसे छोटा बच्चा 8 साल का है और सबसे बड़े बच्चे की उम्र 18 साल है. दल में 6 लड़कियां भी शामिल हैं. अनुमानित 150 दिन के सफर में ये बच्चे 15 राज्यों के, 75 जिले और 9000 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय करेंगे. सही मायने में श्रीशैलम टाइगर रिजर्व से निकलकर पहली बार चकाचौंध भरी दुनिया को देखने वाले ये बच्चे शेरों से कम नहीं हैं. 6 फरवरी को इन्होंने अपनी यात्रा शुरू की है. होली के पहले ये युवा शेर अयोध्या में रामलला के दर्शन करने के बाद लखनऊ पहुंचे थे.
शिक्षक के साथ निकले हैं बच्चे
इन बच्चों के मेंटर और संरक्षक कालिदासु और उनकी टीम अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण से अभिभूत है. सीएम योगी के प्रति इन आदिवासी बच्चों के मन में सम्मान है. दल के बच्चों की प्रबल इच्छा थी कि वे सीएम योगी से मिलें. इनके संरक्षक कलिदासु एक शिक्षक हैं. उनकी तमन्ना है कि चेंचू आदिवासी इलाके के बच्चे भी विकास की मुख्य धारा से जुड़ें. बच्चों की ऊर्जा और उनके चेहरे पर चमक है, जो कालिदासु को प्रेरणा देती है.
नाथ सम्प्रदाय के प्रति श्रद्धा
इसी तरह इन मूल आदिवासी बच्चों की वाराणसी यात्रा भी बहुत खास रही. इन बच्चों ने योगी आदित्यनाथ की फोटो दिखाते हुए उनसे मिलने की इच्छा जताई. आदिवासी बच्चों के बारे में पूछने पर उनके अगुवा कालिदासु बताते हैं कि सनातन धर्म और शैव परंपरा का एक संत देश की इतने ऊंचे पद पर बैठा है. मूल आदिवासियों के लिए यह गर्व का विषय है, क्योंकि हम आदिवासियों के लिए 'नाथ सम्प्रदाय' पूज्यनीय है.