Green Energy : वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बढ़ाने होंगे सरकारी प्रयास. लखनऊ : देश और प्रदेश की सरकारें बढ़ती जा रही ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कई तरह की कदम उठा रही हैं. इनमें सबसे प्रमुख है वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोतों को बढ़ावा देना. प्रदेश में इसके लिए गैर परंपरागत ऊर्जा विकास एजेंसी (नेडा) लगातार काम करती है. वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोतों में मुख्य रूप से सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, माइक्रो हाइडल और जैव ऊर्जा प्रमुख रूप से शामिल हैं. वैकल्पिक स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा हमारी जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभा सकती है. खास तौर पर सौर ऊर्जा, प्रदेश में जिस की अपार संभावनाएं देखी जा रही हैं. इसे लेकर सरकार की तमाम योजनाएं भी हैं, लेकिन इन योजनाओं में काफी सुधार की जरूरत है. यह सरकार अपनी योजनाओं को थोड़ा और बेहतर बनाएं तो घरेलू और व्यावसायिक उपयोग के लिए प्रयोग होने वाली ऊर्जा में सौर ऊर्जा का प्रतिशत काफी बढ़ाया जा सकता है.
Green Energy : वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बढ़ाने होंगे सरकारी प्रयास. वर्तमान समय में सौर ऊर्जा के विकास के लिए राज्य और केंद्र सरकारें अनुदान दे रही हैं, किंतु अनुदान राशि प्राप्त करने में कई बार सालों साल लग जाते हैं. यही नहीं छोटे से छोटा सोलर पैनल लगाने के लिए एक लाख रुपये से अधिक की राशि खर्च करनी होती है. स्वाभाविक है यह एक आम मध्यवर्गीय परिवार के लिए बड़ी धनराशि है. यदि बैंकों से आसान ऋण अथवा ईएमआई पर सोलर रूफटॉप लग सकें, तो बहुत बड़ी संख्या में लोग इस ओर आकर्षित होंगे और परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के दोहन में कमी आएगी. प्रदेश में पवन ऊर्जा की संभावनाएं बेहद कम हैं. पवन ऊर्जा प्रणाली तटीय इलाकों में जहां तेज हवाएं चलती हैं, बेहतर काम करती है. अन्य तरीकों से भी सीमित स्तर पर ही बिजली उत्पादन किया जा सकता है, जबकि सोलर विधि से बिजली उत्पादन की अनंत संभावनाएं हैं. खास तौर पर उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में जहां लगभग साल भर चटक धूप रहती है. यदि वैकल्पिक ऊर्जा संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ब्याज रहित अथवा कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था हो अथवा उपभोक्ताओं को आसान किस्तों पर सोलर पैनल लगवाने का अवसर मिले तो निश्चित रूप से इस और लोगों की भागीदारी बढ़ेगी. खास तौर पर तब जबकि विद्युत दरें लगातार बढ़ती जा रही हैं, लोग वन टाइम इन्वेस्टमेंट करके लंबी अवधि के लिए लाभ कमाने का अवसर नहीं जाने देंगे.
Green Energy : वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बढ़ाने होंगे सरकारी प्रयास. इस संबंध में सोलर पैनल का उपयोग करने वाले एक उपभोक्ता चंद्रकांत द्विवेदी बताते हैं कि उन्होंने लगभग दो साल पहले पांच किलो वाट का सोलर पैनल लगवाया था, किंतु आज तक केंद्र सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी प्राप्त नहीं हो सकी है. वह कहते हैं किया उनकी अकेले की समस्या नहीं है. ऐसे हजारों उपभोक्ता हैं, जिन्हें सब्सिडी मिलने में विलंब होता है. एक अन्य सोलर उपभोक्ता बताते हैं कि सरकार लाख दावे करें, लेकिन सरकारी तंत्र अपनी तरह से काम करता है. सोलर पैनल लगवाने के लिए हर उपभोक्ता को कुछ न कुछ अतिरिक्त राशि कंपनियों के एजेंटों को देनी पड़ती है, ताकि उन्हें विभाग के चक्कर न काटने पड़े और उनका काम आसानी से हो जाए. सोलर का काम करने वाली कंपनियों की नेडा में अच्छी खासी पैठ है और बिना उनके काम करा पाना बहुत मुश्किल होता है. यही नहीं नेट मीटरिंग के लिए बिजली विभाग के भी चक्कर काटने पड़ते हैं. यदि यह सारी समस्याएं खत्म हो तो निश्चित रूप से उपभोक्ता इससे लाभान्वित होंगे. चंद्रकांत द्विवेदी कहते हैं कि पांच किलो वाट के सोलर पैनल से प्रतिदिन आठ-दस यूनिट बिजली आसानी से बन जाती है। जाड़ों में जब कम ऊर्जा खपत होती है, तो उस समय सोलर पैनल द्वारा उत्पादित बिजली यूनिट गर्मियों में काम आते हैं जब एसी आदि पर अधिक बिजली खर्च करनी पड़ती है. वह कहते हैं कि निश्चित रूप से सोलर ऊर्जा हमारे पर्यावरण के लिए भी अच्छी है और उपभोक्ताओं को आर्थिक लाभ भी देती है. बस सरकार को इस ओर कुछ सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है.
Green Energy : वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बढ़ाने होंगे सरकारी प्रयास. इस संबंध में यूपीनेडा के निदेशक अनुपम शुक्ला कहते हैं 'आपको पता है कि डोमिस्टिक क्षेत्र में एलएमबी कंज्यूमर के लिए रूफटॉप में नेट मीटरिंग की व्यवस्था है. नेट मीटरिंग की व्यवस्था के तहत उपयोग से अधिक बिजली जो लोग देते हैं, उसका पॉवर काॅर्पोरेशन भुगतान करता है. सौर ऊर्जा प्लांट पर सब्सिडी की स्कीम आज भी लागू है. उत्तर प्रदेश सरकार 30 हजार रुपये दो किलोवाट तक और भारत सरकार 94 हजार रुपये की सब्सिडी 10 किलो वाट तक देती है. पहले जो व्यवस्था थी वह ऑफलाइन थी. आज हम लोगों ने ऑनलाइन व्यवस्था कर ली है. नेशनल रूफ टॉप पोर्टल नाम की एक वेब साइट है, उस पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होता है. यह पूरी व्यवस्था ऑनलाइन रहती है. रूफटॉप लगाने से लेकर वेंटडर के चयन तक.' वह कहते हैं 'सब्सिडी भी सीधे ग्राहक के खाते में आती है. दो किलो वाट के कनेक्शन पर एक लाख से सवा लाख तक का खर्च आता है. इसमें राज्य और केंद्र की 30-30 हजार की सब्सिडी मिलती है.'
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