लखनऊ: देश में वक्फ संपत्तियों की निगरानी और उनकी बेहतरी के लिए अब केंद्र सरकार शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आने वाली तमाम संपत्तियों की जीपीएस और जीआईएस मैपिंग कराने में जुट गई है. इसकी शुरुआत यूपी के लखनऊ, अलीगढ़ और बनारस से शुरू कर दी गई है. वहीं वक्फ संपत्तियों को बेकार होने से बचाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम की उलेमा तारीफ कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के शिया वक्फ बोर्ड के अंतर्गत करीब 8000 और सुन्नी वक्फ बोर्ड की तकरीबन एक लाख 30 हजार संपत्तियां आती हैं. इनको नाजायज कब्जे और बर्बादी से बचाने के लिए सूबे में तेजी से वक्फ संपत्तियों की जीआईएस मैपिंग की जा रही है. केंद्र सरकार के इस कदम का सुन्नी वक्फ बोर्ड और शिया वक्फ बोर्ड के साथ-साथ उलेमा भी स्वागत कर रहे हैं.
सुन्नी वक्फ बोर्ड के सीईओ सैयद मोहम्मद शोएब ने इस पहल को ऐतिहासिक कदम बताते हुए बोर्ड के अंतर्गत आने वाली संपत्तियों की टैगिंग करवाना शुरू कर दिया है. जिसके लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की टीम इन दिनों यूपी में बड़े पैमाने पर काम कर रही है.
शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि इस पहल से वक्फ संपत्तियों के कब्जों को रोका जा सकेगा.
वक्फ संपत्तियों की मैपिंग कराने के पहले चरण में 50 फीसदी काम पूरा होना है. जिसका सरकार की ओर से इसके लिए मार्च 2020 तक का समय निर्धारित कर दिया गया है.
-सैय्यद मोहम्मद शोएब, सीईओ, सुन्नी वक्फ बोर्ड
इससे वक्फ में आए दिन होने वाली धांधलियों को रोकना काफी हद तक मुमकिन हो जाएगा. जिसके चलते इसका स्वागत होना चाहिए लेकिन जो वक्फ की संपत्ति अब तक बर्बाद की जा चुकी है, उनको भी वापस लाने की कोशिश होनी चाहिए.
-मौलाना सैफ अब्बास, मुस्लिम धर्मगुरू