लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को राजभवन से 'अतुल्य गंगा परियोजना' के अंतर्गत प्रयागराज से प्रारम्भ होकर 10 अगस्त 2021 तक चलने वाली 5100 किलोमीटर पैदल परिक्रमा का आनलाइन शुभारंभ किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि, गंगा नदी हमारे देश व हमारी संस्कृति की पहचान व अमूल्य धरोहर है. जीवन दायिनी गंगा भारत की संस्कृति, आध्यात्मिक चिन्तन, जलवायु और अर्थव्यवस्था सभी पर अपनी अमिट छाप छोड़ती है. उन्होंने कहा कि गंगा के दोनों तटों पर पौधारोपण करती हुई गांवों और शहरों से गुजरने वाली भारत की सबसे लम्बी पदयात्रा से देश में गंगा सहित सभी नदियों के लिए व पर्यावरण संरक्षण के लिए एक नई ऊर्जा का संचार होगा. इस गंगा यात्रा से गंगा संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता व सहभागित भी बढ़ेगी.
'प्राकृतिक संसाधन के रूप में अर्थव्यवस्था में भूमिका निभा रही गंगा'
राज्यपाल ने कहा कि गंगा एक प्राकृतिक संसाधन के रूप में देश की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. नदियां पर्यावरण और प्राकृतिक जैव विविधिता की संरक्षक हैं. उन्होंने कहा कि गंगा नदी अपने आस-पास के क्षेत्र में मानव समाज ओर अन्य जीवों के साथ हमारों प्रजातियों के जलीय जीव-जन्तुओं का भी पोषण करती है. राज्यपाल ने कहा कि देश, प्रदेश एवं समाज का विकास हो, मगर विकास ऐसा हो जो प्राकृतिक स्रोतों को कम से कम नुकसान पहुंचाए. राज्यपाल ने अपील की कि हम सभी देशवासी प्राणदायिनी गंगा के अस्तित्व पर मंडरा रहे संकट को दूर करने के लिए एकजुट होकर इसे निर्मल बनाये रखने का प्रयास करें.
गंगा परिक्रमा के कार्यक्रम की सराहना
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने गंगा की मुंडमाल परिक्रमा के लिए सेना के पूर्व अधिकारियों, संरक्षक मण्डल के सभी सम्मानित सदस्यों एवं सहयोगी संगठनों के प्रयासों की सराहना की. इस अवसर पर पर कर्नल मनोज केश्वर, लेफ्टिनेंट कर्नल हेम लोहुमी, सैन्य अभियन्ता गोपाल शर्मा, हीरेन भाई व योगेश शुक्ला आनलाइन जुड़े हुए थे.
राज्यपाल ने 'कुम्भ अध्ययन केन्द्र' का किया आनलाइन उद्घाटन
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को राजभवन से गोविन्द वल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान तथा उप्र प्रयागराज मेला प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में स्थापित 'कुम्भ अध्ययन केन्द्र' का आनलाइन उद्घाटन भी किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि,कुम्भ जैसे महत्वपूर्ण आयोजन के लिए अभी तक देश में कोई शोध केन्द्र नहीं था. यह केन्द्र कुम्भ मेले से सम्बद्ध शोध, अभिलेखीकरण एवं ज्ञान-विमर्श पर आधारित होगा. उन्होंने कहा कि संस्थान की उच्च स्तरीय फैकल्टी एवं उनका शोध अनुभव जनसामान्य को कुम्भ की परम्पराओं व विरासत को समझने की एक नई दृष्टि देगा.