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लोकायुक्त की सक्रियता से घबराती हैं सरकारें, रोक दिया जाता है बजट

भ्रष्टाचार को रोकने में लोकायुक्त संगठन अहम भूमिका अदा करता है, मौजूदा वक्त में इसकी शिथिल कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत ने उत्तर प्रदेश के पूर्व लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा से खास बातचीत की.

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Published : Oct 28, 2020, 7:43 PM IST

पूर्व लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा
पूर्व लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा

लखनऊः भ्रष्टाचार को रोकने में अहम भूमिका अदा करने की क्षमता रखने वाले लोकायुक्त संगठन की शिथिल कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत ने उत्तर प्रदेश के पूर्व लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने लोकायुक्त संगठन की शक्तियों, कार्यप्रणाली और सरकार का इसमें कितना हस्तक्षेप हो सकता है, इन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी राय साझा की.

पूर्व लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा से खास बातचीत.

ऐसे कार्य करता है लोकायुक्त संगठन
उत्तर प्रदेश लोकायुक्त की कुर्सी पर 10 वर्षों तक रहकर कई बड़े नेताओं और अफसरों के खिलाफ संस्तुतियां करने वाले पूर्व लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने कहा कि लोकायुक्त के सामने किसी भी लोक सेवक के विरुद्ध कोई भी शिकायत की जा सकती है. साथ ही शिकायत कोई भी व्यक्ति कर सकता है. लोकायुक्त शिकायत आने के बाद उस लोक सेवक को नोटिस देता है और एक मौका देता है. अगर वह लोकायुक्त के समक्ष पेश नहीं होता है तो फिर उसकी जांच करके स्वयं एक रिपोर्ट तैयार करके सरकार के पास भेजता है. वहीं अगर किसी कारण सरकार सुनवाई नहीं करती है, तो फिर स्पेशल रिपोर्ट गवर्नर को भेजते हैं, जिस रिपोर्ट में लोकायुक्त को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी को दंडित करे, बल्कि संस्तुति करने का ही अधिकार प्राप्त है.

लोकायुक्त ने 11 मंत्रियों पर संस्तुति कर रचा था इतिहास
पूर्व लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने कहा कि उनके कार्यकाल में करीब 11 मंत्रियों के खिलाफ संस्तुति कर रिपोर्ट भेजी गई थी, लेकिन सरकार ने उनको ठंडे बस्ते में डाल दिया. सरकार ने उनमें से कुछ मामले को विजिलेंस के पास भेज दिया और विजिलेंस इस मामले को दबाकर बैठ गया. इसमें मुख्य रूप से नसीमुद्दीन सिद्दीकी, रामवीर उपाध्याय, रंगनाथ मिश्रा, चंद्रदेव यादव, बाबू सिंह कुशवाहा, राम अचल राजभर समेत अन्य मंत्री थे, जिनके खिलाफ शिकायत मिली थी. इन शिकायतों के आधार पर पड़ताल कर सरकार को रिपोर्ट भेजी गई थी और कार्रवाई के लिए संस्तुति भी की गई थी.

अब शिकायत पर सरकार को भेजी जा रही सामान्य रिपोर्ट
लोकायुक्त की कार्यशैली के सवाल पर मेहरोत्रा ने कहा कि हर व्यक्ति का नेचर एक जैसा नहीं होता है. मौजूदा समय में लोकायुक्त बहुत सरल तरीके से एक बने बनाये ढर्रे पर चल रहे हैं. सामान्य रिपोर्ट तैयार करके सरकार को भेज दी जा रही है. यदि किसी के खिलाफ शिकायत हुई तो उसे नोटिस देकर बुलाया जाता है, ताकि वह अपना पक्ष रख सके. इस तरह बहुत बार अपराधी नहीं आता है. उन्होंने कहा कि यदि एक नोटिस भेजकर संगठन चुप मारकर बैठ गया तो मामले किसी परिणाम पर नहीं पहुंचते हैं. ऐसे में अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई होने में देरी होती है. वर्तमान में लोकायुक्त के स्तर पर अतिरिक्त सजगता की कमी दिख रही है. इस समय तो लोकायुक्त के साथ दो उपलोकायुक्त भी हैं. मेरे साथ केवल एक उपलोकायुक्त थे, जो कि आधे कार्यकाल में आए थे.

सरकार लोकायुक्त संगठन को नहीं कर सकती प्रभावित
सरकार लोकायुक्त संगठन के कार्य को प्रभावित करने के सवाल पर पूर्व लोकायुक्त ने कहा कि सरकार लोकायुक्त को प्रभावित नहीं कर सकती, लेकिन कुछ राज्यों में मैंने देखा है जहां पर लोकायुक्त की ज्यादा शक्ति करने पर वहां लोकायुक्त और सरकार के बीच संघर्ष पैदा हो जाता है. इसके बाद सरकार बजट देना बंद कर देती है, इसीलिए लोकायुक्त अब ज्यादा कार्रवाई नहीं करते हैं.

गृह सचिव को लोकायुक्त के साथ बैठक करनी चाहिए
लोकायुक्त की कार्यप्रणाली में सुधार हो, इस सवाल पर मेहरोत्रा कहते हैं कि इसमें जो गृह सचिव को लोकायुक्त के साथ बैठक करनी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि लोकायुक्त से सारी रिपोर्ट हर तिमाही मांगनी चाहिए. लोकायुक्त संगठन ने क्या-क्या काम किया है ? उन रिपोर्टों के आधार पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है, इसे लेकर चर्चा होनी चाहिए. साथ ही गौर करने वाली बात ये है कि इसके बाद सरकार इस पर क्या पहल कर सकती है. उन्होंने कहा कि सरकार लोकायुक्त को मजबूर तो नहीं कर सकती, लेकिन पहल जरूर कर सकती है.

लखनऊः भ्रष्टाचार को रोकने में अहम भूमिका अदा करने की क्षमता रखने वाले लोकायुक्त संगठन की शिथिल कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत ने उत्तर प्रदेश के पूर्व लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा से खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने लोकायुक्त संगठन की शक्तियों, कार्यप्रणाली और सरकार का इसमें कितना हस्तक्षेप हो सकता है, इन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी राय साझा की.

पूर्व लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा से खास बातचीत.

ऐसे कार्य करता है लोकायुक्त संगठन
उत्तर प्रदेश लोकायुक्त की कुर्सी पर 10 वर्षों तक रहकर कई बड़े नेताओं और अफसरों के खिलाफ संस्तुतियां करने वाले पूर्व लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने कहा कि लोकायुक्त के सामने किसी भी लोक सेवक के विरुद्ध कोई भी शिकायत की जा सकती है. साथ ही शिकायत कोई भी व्यक्ति कर सकता है. लोकायुक्त शिकायत आने के बाद उस लोक सेवक को नोटिस देता है और एक मौका देता है. अगर वह लोकायुक्त के समक्ष पेश नहीं होता है तो फिर उसकी जांच करके स्वयं एक रिपोर्ट तैयार करके सरकार के पास भेजता है. वहीं अगर किसी कारण सरकार सुनवाई नहीं करती है, तो फिर स्पेशल रिपोर्ट गवर्नर को भेजते हैं, जिस रिपोर्ट में लोकायुक्त को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी को दंडित करे, बल्कि संस्तुति करने का ही अधिकार प्राप्त है.

लोकायुक्त ने 11 मंत्रियों पर संस्तुति कर रचा था इतिहास
पूर्व लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने कहा कि उनके कार्यकाल में करीब 11 मंत्रियों के खिलाफ संस्तुति कर रिपोर्ट भेजी गई थी, लेकिन सरकार ने उनको ठंडे बस्ते में डाल दिया. सरकार ने उनमें से कुछ मामले को विजिलेंस के पास भेज दिया और विजिलेंस इस मामले को दबाकर बैठ गया. इसमें मुख्य रूप से नसीमुद्दीन सिद्दीकी, रामवीर उपाध्याय, रंगनाथ मिश्रा, चंद्रदेव यादव, बाबू सिंह कुशवाहा, राम अचल राजभर समेत अन्य मंत्री थे, जिनके खिलाफ शिकायत मिली थी. इन शिकायतों के आधार पर पड़ताल कर सरकार को रिपोर्ट भेजी गई थी और कार्रवाई के लिए संस्तुति भी की गई थी.

अब शिकायत पर सरकार को भेजी जा रही सामान्य रिपोर्ट
लोकायुक्त की कार्यशैली के सवाल पर मेहरोत्रा ने कहा कि हर व्यक्ति का नेचर एक जैसा नहीं होता है. मौजूदा समय में लोकायुक्त बहुत सरल तरीके से एक बने बनाये ढर्रे पर चल रहे हैं. सामान्य रिपोर्ट तैयार करके सरकार को भेज दी जा रही है. यदि किसी के खिलाफ शिकायत हुई तो उसे नोटिस देकर बुलाया जाता है, ताकि वह अपना पक्ष रख सके. इस तरह बहुत बार अपराधी नहीं आता है. उन्होंने कहा कि यदि एक नोटिस भेजकर संगठन चुप मारकर बैठ गया तो मामले किसी परिणाम पर नहीं पहुंचते हैं. ऐसे में अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई होने में देरी होती है. वर्तमान में लोकायुक्त के स्तर पर अतिरिक्त सजगता की कमी दिख रही है. इस समय तो लोकायुक्त के साथ दो उपलोकायुक्त भी हैं. मेरे साथ केवल एक उपलोकायुक्त थे, जो कि आधे कार्यकाल में आए थे.

सरकार लोकायुक्त संगठन को नहीं कर सकती प्रभावित
सरकार लोकायुक्त संगठन के कार्य को प्रभावित करने के सवाल पर पूर्व लोकायुक्त ने कहा कि सरकार लोकायुक्त को प्रभावित नहीं कर सकती, लेकिन कुछ राज्यों में मैंने देखा है जहां पर लोकायुक्त की ज्यादा शक्ति करने पर वहां लोकायुक्त और सरकार के बीच संघर्ष पैदा हो जाता है. इसके बाद सरकार बजट देना बंद कर देती है, इसीलिए लोकायुक्त अब ज्यादा कार्रवाई नहीं करते हैं.

गृह सचिव को लोकायुक्त के साथ बैठक करनी चाहिए
लोकायुक्त की कार्यप्रणाली में सुधार हो, इस सवाल पर मेहरोत्रा कहते हैं कि इसमें जो गृह सचिव को लोकायुक्त के साथ बैठक करनी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि लोकायुक्त से सारी रिपोर्ट हर तिमाही मांगनी चाहिए. लोकायुक्त संगठन ने क्या-क्या काम किया है ? उन रिपोर्टों के आधार पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है, इसे लेकर चर्चा होनी चाहिए. साथ ही गौर करने वाली बात ये है कि इसके बाद सरकार इस पर क्या पहल कर सकती है. उन्होंने कहा कि सरकार लोकायुक्त को मजबूर तो नहीं कर सकती, लेकिन पहल जरूर कर सकती है.

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