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सरकार के बजट ने फीकी की विपक्ष के चेहरे की मुस्कान

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से पेश किए गए बजट ने विपक्ष के चेहरे की मुस्कान फीकी कर दी. पेश है ईटीवी भारत के यूपी ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी की यह खास रिपोर्ट.

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Published : May 26, 2022, 7:32 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आज 6.10 लाख करोड़ का भारी भरकम बजट पेश किया. सत्ता पक्ष इस बजट से खासा उत्साहित दिखा तो विपक्ष के चेहरे की मुस्कान फीकी पड़ गई. वहीं, अर्थशास्त्रियों ने बजट को विकासोन्मुखी बताते हुए आर्थिक प्रगति और रोजगार के अवसर बढ़ने की उम्मीद जताई. दूसरी ओर सत्र के चौथे दिन प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव सदन में पहुंचे और अपने बयानों से सपा को असहज कर दिया.


नवगठित योगी सरकार के पहले पूर्ण बजट को एक अच्छे बजट के तौर पर देखा जा रहा है. इस बजट में राज्य की अहम समस्याओं को दूर करने के लिए जरूरी कदम उठाए गए हैं. बिजली संकट से निपटने के लिए अन्य उपायों के साथ-साथ सरकार ने सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ाने पर जोर दिया है. सरकार ने इसके लिए बजट में प्रावधान भी किए हैं. खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों और किसानों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की ओर यह एक अच्छी पहल मानी जा रही है.

चिकित्सा के क्षेत्र में भी बजट में अच्छे प्रावधान हैं. जिला स्तर पर खेलों को बढ़ावा देने और प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने के लिए भी सरकार ने कदम उठाए हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बजट से निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे प्रदेश का चौतरफा विकास और युवाओं को रोजगार के भरपूर अवसर भी मिल सकेंगे. कानून व्यवस्था के मसले पर पहले से ही सख्त रुख अपना रही सरकार ने साफ कर दिया है कि वह कानून व्यवस्था की स्थिति से कोई समझौता करने के लिए तैयार नहीं है.


वित्त मंत्री के बजट भाषण के बाद नेता प्रतिपक्ष और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रटे-रटाए अंदाज में सरकार के बजट की आलोचना की. उन्होंने बजट को किसानों, नौजवानों, महिलाओं और गरीबों के साथ धोखा बताया. हालांकि वह बजट की खामियों को विस्तार से नहीं उकेर सके. साफ है कि सरकार के संतुलित बजट ने विपक्ष के चेहरे की मुस्कान फीकी जरूर कर दी है. बहुमत की सरकार से अपेक्षा भी होती है कि वह जनता के हितों को ध्यान में रखकर जरूरी कदम उठाए. हालांकि बजट पर सदन में चर्चा अभी जारी है. स्वाभाविक है कि कल विपक्ष के नेता तैयारी के साथ बजट की खामियां लेकर सदन में आएंगे और निश्चित रूप से सरकार को घेरने की कोशिश भी करेंगे. महंगाई और बेरोजगारी जैसे हथियार तो विपक्ष के हाथ में हैं ही. राज्य सरकार भले भी इसे केंद्र का मुद्दा बताकर पीछा छुड़ाने का प्रयास करें, लेकिन महंगाई जनता की समस्या है और सरकार इससे बच नहीं सकती.


दो दिन के बाद आज शिवपाल यादव सदन पहुंचे, लेकिन उनका सदन पहुंचना सपा के लिए सदमे की तरह ही रहा. समाजवादी पार्टी से विधायक के रूप में चुनकर आए शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खूब प्रशंसा की. इस दौरान उन्होंने सपा को घेरते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने सौ सीटों पर तैयारी की थी. यदि उन्हें सपा का साथ मिला होता, तो आज भाजपा विपक्ष में बैठी होती और विपक्षी सपा सत्ता में होती. शिवपाल के बयानों से साफ है कि वह जब भी सदन में होंगे सपा को असहज करने का प्रयास करते रहेंगे. सपा मुखिया अखिलेश यादव से नाराज पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान आज भी सदन में नहीं पहुंचे.


बजट के बाद मुख्य सचेतक सपा विधानमंडल दल मनोज पांडेय ने महंगाई का मुद्दा उठाया. उन्होंने पेट्रोल-डीजल, खाद्य तेल और सब्जियों आदि की बेशुमार महंगाई पर सरकार से जवाब मांगा, जिस पर कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण ने सरकार बचाव किया. मंत्री ने कहा कि यह राज्य सरकार का विषय नहीं है. मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने कुछ देर के लिए सदन का बहिर्गमन किया. बाद में संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार नहीं चाहती की पेट्रोलियम पदार्थ जीएसटी में आएं. पेट्रोलियम पदार्थ राज्य सरकार की आय का एक अहम स्रोत हैं.


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लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने आज 6.10 लाख करोड़ का भारी भरकम बजट पेश किया. सत्ता पक्ष इस बजट से खासा उत्साहित दिखा तो विपक्ष के चेहरे की मुस्कान फीकी पड़ गई. वहीं, अर्थशास्त्रियों ने बजट को विकासोन्मुखी बताते हुए आर्थिक प्रगति और रोजगार के अवसर बढ़ने की उम्मीद जताई. दूसरी ओर सत्र के चौथे दिन प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव सदन में पहुंचे और अपने बयानों से सपा को असहज कर दिया.


नवगठित योगी सरकार के पहले पूर्ण बजट को एक अच्छे बजट के तौर पर देखा जा रहा है. इस बजट में राज्य की अहम समस्याओं को दूर करने के लिए जरूरी कदम उठाए गए हैं. बिजली संकट से निपटने के लिए अन्य उपायों के साथ-साथ सरकार ने सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ाने पर जोर दिया है. सरकार ने इसके लिए बजट में प्रावधान भी किए हैं. खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों और किसानों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की ओर यह एक अच्छी पहल मानी जा रही है.

चिकित्सा के क्षेत्र में भी बजट में अच्छे प्रावधान हैं. जिला स्तर पर खेलों को बढ़ावा देने और प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देने के लिए भी सरकार ने कदम उठाए हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि इस बजट से निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे प्रदेश का चौतरफा विकास और युवाओं को रोजगार के भरपूर अवसर भी मिल सकेंगे. कानून व्यवस्था के मसले पर पहले से ही सख्त रुख अपना रही सरकार ने साफ कर दिया है कि वह कानून व्यवस्था की स्थिति से कोई समझौता करने के लिए तैयार नहीं है.


वित्त मंत्री के बजट भाषण के बाद नेता प्रतिपक्ष और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रटे-रटाए अंदाज में सरकार के बजट की आलोचना की. उन्होंने बजट को किसानों, नौजवानों, महिलाओं और गरीबों के साथ धोखा बताया. हालांकि वह बजट की खामियों को विस्तार से नहीं उकेर सके. साफ है कि सरकार के संतुलित बजट ने विपक्ष के चेहरे की मुस्कान फीकी जरूर कर दी है. बहुमत की सरकार से अपेक्षा भी होती है कि वह जनता के हितों को ध्यान में रखकर जरूरी कदम उठाए. हालांकि बजट पर सदन में चर्चा अभी जारी है. स्वाभाविक है कि कल विपक्ष के नेता तैयारी के साथ बजट की खामियां लेकर सदन में आएंगे और निश्चित रूप से सरकार को घेरने की कोशिश भी करेंगे. महंगाई और बेरोजगारी जैसे हथियार तो विपक्ष के हाथ में हैं ही. राज्य सरकार भले भी इसे केंद्र का मुद्दा बताकर पीछा छुड़ाने का प्रयास करें, लेकिन महंगाई जनता की समस्या है और सरकार इससे बच नहीं सकती.


दो दिन के बाद आज शिवपाल यादव सदन पहुंचे, लेकिन उनका सदन पहुंचना सपा के लिए सदमे की तरह ही रहा. समाजवादी पार्टी से विधायक के रूप में चुनकर आए शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खूब प्रशंसा की. इस दौरान उन्होंने सपा को घेरते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने सौ सीटों पर तैयारी की थी. यदि उन्हें सपा का साथ मिला होता, तो आज भाजपा विपक्ष में बैठी होती और विपक्षी सपा सत्ता में होती. शिवपाल के बयानों से साफ है कि वह जब भी सदन में होंगे सपा को असहज करने का प्रयास करते रहेंगे. सपा मुखिया अखिलेश यादव से नाराज पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खान आज भी सदन में नहीं पहुंचे.


बजट के बाद मुख्य सचेतक सपा विधानमंडल दल मनोज पांडेय ने महंगाई का मुद्दा उठाया. उन्होंने पेट्रोल-डीजल, खाद्य तेल और सब्जियों आदि की बेशुमार महंगाई पर सरकार से जवाब मांगा, जिस पर कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण ने सरकार बचाव किया. मंत्री ने कहा कि यह राज्य सरकार का विषय नहीं है. मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने कुछ देर के लिए सदन का बहिर्गमन किया. बाद में संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार नहीं चाहती की पेट्रोलियम पदार्थ जीएसटी में आएं. पेट्रोलियम पदार्थ राज्य सरकार की आय का एक अहम स्रोत हैं.


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