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उत्तर प्रदेश में भूगर्भ-जल से किया खिलवाड़ तो हो जाएगी जेल - भूगर्भजल दोहन

उत्तर प्रदेश सरकार ने भूगर्भजल दोहन के लिए एक नया कानून बनाया है. भूगर्भ जल के साथ किए जाने वाला खिलवाड़ लोगों को जेल की हवा भी खिला सकता है. सरकार ने कृषि और घरेलू उपयोग को छोड़कर अन्य सेक्टर के लिए भू-जल दोहन के नियम को सख्त कर दिए हैं.

भूगर्भजल के नए नियम की जानकारी देते निदेशक
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Published : Aug 27, 2019, 6:47 PM IST

लखनऊ: यूपी में भूगर्भ जल का सबसे ज्यादा दोहन हो रहा है. खेतों में सिंचाई से लेकर घरेलू उपयोग और फैक्ट्रियों में भी भूगर्भ जल का ही सर्वाधिक इस्तेमाल हो रहा है. इसी वजह से उत्तर प्रदेश के आधे से ज्यादा जिलों में भूगर्भ जल का स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है. आगरा, अलीगढ़, अंबेडकरनगर जैसे जिलों में तो भूगर्भ जल का स्तर हर साल दो से चार मीटर के बीच कम होता देखा गया है.

भूगर्भजल के लिए बने नए कानून.

सरकार ने बनाए भूगर्भ जल के लिए सख्त कानून-

  • उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले महीने ही नया भूगर्भ जल अधिनियम लागू किया था.
  • प्रदेश में भूगर्भ जल वाले विकास खंडों की तादाद भी 600 से भी ज्यादा है .
  • ऐसे में सरकार के लिए जरूरी हो गया था कि वह भूगर्भ जल दोहन के लिए सख्त कानून बनाए.
  • इसके तहत अब किसी भी व्यक्ति या संस्था को भूगर्भ जल दोहन के लिए सरकार से अनुमति लेना जरूरी होगा.

इसे भी पढ़ें:- लखनऊ: पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों के खिलाफ कांग्रेस का प्रदर्शन, रिक्शा चलाकर की कीमत कम करने की मांग

जानें क्या है भूगर्भ जल के कानून-

  • भूगर्भ जल नियामक एक संस्था होगी जिसके अध्यक्ष और मुख्य सचिव होंगे.
  • यह संस्था प्रदेश स्तर पर भूगर्भ जल दोहन की निगरानी के लिए जिम्मेदार होगी.
  • जल दोहन के लिए नलकूप या सबमर्सिबल पंप की बोरिंग कराने वालों को जल विभाग की वेबसाइट पर पंजीकरण कराना होगा.
  • कृषि और घरेलू उपभोक्ताओं को पंजीकरण का कोई शुल्क नहीं देना होगा, लेकिन अन्य लोगों के लिए शुल्क निर्धारित किए गए हैं.
  • इस नए अधिनियम की सबसे खास बात यह है कि भूगर्भ जल प्रदूषण का दोषी पाए जाने वाले को जेल भेजा जाएगा.

लखनऊ: यूपी में भूगर्भ जल का सबसे ज्यादा दोहन हो रहा है. खेतों में सिंचाई से लेकर घरेलू उपयोग और फैक्ट्रियों में भी भूगर्भ जल का ही सर्वाधिक इस्तेमाल हो रहा है. इसी वजह से उत्तर प्रदेश के आधे से ज्यादा जिलों में भूगर्भ जल का स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है. आगरा, अलीगढ़, अंबेडकरनगर जैसे जिलों में तो भूगर्भ जल का स्तर हर साल दो से चार मीटर के बीच कम होता देखा गया है.

भूगर्भजल के लिए बने नए कानून.

सरकार ने बनाए भूगर्भ जल के लिए सख्त कानून-

  • उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले महीने ही नया भूगर्भ जल अधिनियम लागू किया था.
  • प्रदेश में भूगर्भ जल वाले विकास खंडों की तादाद भी 600 से भी ज्यादा है .
  • ऐसे में सरकार के लिए जरूरी हो गया था कि वह भूगर्भ जल दोहन के लिए सख्त कानून बनाए.
  • इसके तहत अब किसी भी व्यक्ति या संस्था को भूगर्भ जल दोहन के लिए सरकार से अनुमति लेना जरूरी होगा.

इसे भी पढ़ें:- लखनऊ: पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों के खिलाफ कांग्रेस का प्रदर्शन, रिक्शा चलाकर की कीमत कम करने की मांग

जानें क्या है भूगर्भ जल के कानून-

  • भूगर्भ जल नियामक एक संस्था होगी जिसके अध्यक्ष और मुख्य सचिव होंगे.
  • यह संस्था प्रदेश स्तर पर भूगर्भ जल दोहन की निगरानी के लिए जिम्मेदार होगी.
  • जल दोहन के लिए नलकूप या सबमर्सिबल पंप की बोरिंग कराने वालों को जल विभाग की वेबसाइट पर पंजीकरण कराना होगा.
  • कृषि और घरेलू उपभोक्ताओं को पंजीकरण का कोई शुल्क नहीं देना होगा, लेकिन अन्य लोगों के लिए शुल्क निर्धारित किए गए हैं.
  • इस नए अधिनियम की सबसे खास बात यह है कि भूगर्भ जल प्रदूषण का दोषी पाए जाने वाले को जेल भेजा जाएगा.
Intro:लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने भूगर्भ जल दोहन के लिए नया कानून बनाया है .अब उत्तर प्रदेश में भूगर्भ जल के साथ किए जाने वाला खिलवाड़ लोगों को जेल की हवा भी खिला सकता है. सरकार ने कृषि और घरेलू उपयोग को छोड़कर अन्य सेक्टर के लिए भूजल दोहन के नियम भी सख्त कर दिए हैं.


Body:उत्तर प्रदेश में भूगर्भ जल का सबसे ज्यादा दोहन हो रहा है खेतों में सिंचाई से लेकर घरेलू उपयोग और फैक्ट्रियों में भी भूगर्भ जल का ही सर्वाधिक इस्तेमाल हो रहा है यही वजह है उत्तर प्रदेश के आधे से ज्यादा जिलों में भूगर्भ जल का स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है. आगरा अलीगढ़ अंबेडकरनगर जैसे जिलों में तो भूगर्भ जल का स्तर हर साल 2 से 4 मीटर के बीच कम होता देखा गया है. प्रदेश में 8 रोहित भूगर्भ जल वाले विकास खंडों की तादाद भी 600 से ज्यादा है ऐसे में प्रदेश सरकार के लिए जरूरी हो गया था कि वह को भूगर्भ जल दोहन के लिए सख्त कानून लेकर आए हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले महीने ही नया भूगर्भ जल अधिनियम लागू किया है इसके तहत अब किसी भी व्यक्ति या संस्था को भूगर्भ जल दोहन के लिए सरकार से अनुमति लेना जरूरी होगा.

बाइट/ वीके उपाध्याय निदेशक भूगर्भ जल विभाग उत्तर प्रदेश


भूगर्भ जल दोहन के नए नियम बेहद सख्त बनाए गए हैं इसके तहत उत्तर प्रदेश स्तर पर एक भूगर्भ जल नियामक संस्था होगी जिसके अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे यह संस्था प्रदेश स्तर पर भूगर्भ जल दोहन की निगरानी के लिए जिम्मेदार होगी इसके अलावा जिला नगर और पंचायत स्तर पर भी निगरानी समितियां होंगी. भूगर्भ जल दोहन के लिए नलकूप या सबमर्सिबल पंप की बोरिंग कराने वालों को भूगर्भ जल विभाग की वेबसाइट पर अपना पंजीकरण कराना होगा. कृषि और घरेलू उपभोक्ताओं को पंजीकरण का कोई शुल्क नहीं देना होगा लेकिन अन्य लोग इसके लिए विभाग की ओर से निर्धारित शुल्क चुकाएंगे . नए अधिनियम की सबसे खास बात है कि भूगर्भ जल प्रदूषण का दोषी पाए जाने पर लोगों को जेल भी भेजा जाएगा.

पीटीसी /अखिलेश तिवारी


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