लखनऊ: यूपी में भूगर्भ जल का सबसे ज्यादा दोहन हो रहा है. खेतों में सिंचाई से लेकर घरेलू उपयोग और फैक्ट्रियों में भी भूगर्भ जल का ही सर्वाधिक इस्तेमाल हो रहा है. इसी वजह से उत्तर प्रदेश के आधे से ज्यादा जिलों में भूगर्भ जल का स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है. आगरा, अलीगढ़, अंबेडकरनगर जैसे जिलों में तो भूगर्भ जल का स्तर हर साल दो से चार मीटर के बीच कम होता देखा गया है.
सरकार ने बनाए भूगर्भ जल के लिए सख्त कानून-
- उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले महीने ही नया भूगर्भ जल अधिनियम लागू किया था.
- प्रदेश में भूगर्भ जल वाले विकास खंडों की तादाद भी 600 से भी ज्यादा है .
- ऐसे में सरकार के लिए जरूरी हो गया था कि वह भूगर्भ जल दोहन के लिए सख्त कानून बनाए.
- इसके तहत अब किसी भी व्यक्ति या संस्था को भूगर्भ जल दोहन के लिए सरकार से अनुमति लेना जरूरी होगा.
इसे भी पढ़ें:- लखनऊ: पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों के खिलाफ कांग्रेस का प्रदर्शन, रिक्शा चलाकर की कीमत कम करने की मांग
जानें क्या है भूगर्भ जल के कानून-
- भूगर्भ जल नियामक एक संस्था होगी जिसके अध्यक्ष और मुख्य सचिव होंगे.
- यह संस्था प्रदेश स्तर पर भूगर्भ जल दोहन की निगरानी के लिए जिम्मेदार होगी.
- जल दोहन के लिए नलकूप या सबमर्सिबल पंप की बोरिंग कराने वालों को जल विभाग की वेबसाइट पर पंजीकरण कराना होगा.
- कृषि और घरेलू उपभोक्ताओं को पंजीकरण का कोई शुल्क नहीं देना होगा, लेकिन अन्य लोगों के लिए शुल्क निर्धारित किए गए हैं.
- इस नए अधिनियम की सबसे खास बात यह है कि भूगर्भ जल प्रदूषण का दोषी पाए जाने वाले को जेल भेजा जाएगा.