लखनऊ : यूपी के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बरेली के जिलाधिकारी को राजकीय कार्यों में लापरवाही, उदासीनता और अनुशासनहीनता के आरोप का दोषी पाया है. उनके खिलाफ वार्षिक चरित्र पंजिका में प्रतिकूल प्रविष्ट देने को लेकर बरेली की मंडलायुक्त संयुक्ता समद्दर को निर्देश दिया है. एसीएस नियुक्ति ने यह निर्देश देते हुए राज्य मानव अधिकार आयोग के आदेश दिनांक 09-09-2022 की प्रति भी संलग्न की है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मानव अधिकार ने राजेन्द्र पाल सिंह पुत्र हेम सिंह के शिकायती पत्र के आधार पर यह आदेश निर्गत किया है. मालूम हो कि शिवाकांत द्विवेदी लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं.
गौरतलब है कि बरेली के जिलाधिकारी लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष भी रहे थे. उनके समय में मुख्तार अंसारी और उनके परिवार के अवैध निर्माणों की सुनवाई की गई थी. सुनवाई के दौरान अफजाल अंसारी और उनकी पत्नी को अतिरिक्त सम्मान देने अपने दफ्तर में चाय पिलाने के मामले में शिवाकांत द्विवेदी चर्चा में रहे थे. कुछ अन्य मामलों में भी उनकी अनुशासनहीनता सामने आई थी. उसके बाद में उनके खिलाफ कार्रवाई मानव अधिकार आयोग की शिकायत पर हुई है.
शिवाकांत द्विवेदी को पिछले साल बरेली का जिलाधिकारी बनाया गया था. उनको मानवेंद्र सिंह की जगह बरेली का जिला अधिकारी नियुक्त किया गया था. मानवेंद्र सिंह को चुनाव आयोग ने अनियमितता के वजह से हटाया था. शिवाकांत द्विवेदी के खिलाफ मानव अधिकार आयोग में गंभीर शिकायत थी, जिसको लेकर आयोग ने उनके खिलाफ एक्शन लेने की सिफारिश शासन से की थी. जिसके बाद में शासन ने उनको प्रतिकूल प्रविष्टि देने की सिफारिश की है. माना जा रहा है कि कुछ दिनों में होने वाले परिवर्तनों में शिवाकांत द्विवेदी के खिलाफ कोई बड़ा एक्शन लिया जा सकता है. शिवाकांत द्विवेदी पीसीएस से प्रमोट होकर आईएएस बने हैं.
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