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कैबिनेट विस्तार के बाद योगी के मंत्रियों के सामने भ्रष्टाचार मुक्त प्रदर्शन की चुनौती

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Published : Aug 21, 2019, 9:44 PM IST

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के मंत्रिमंडल का पहला विस्तार हो गया है. राजभवन में कुल 23 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली. इन मंत्रियों के सामने भ्रष्टाचार मुक्त काम करने की सबसे बड़ी चुनौैती होगी.

योगी मंत्रिमंडल का पहला विस्तार.

लखनऊ: योगी मंत्रिमंडल के पहले विस्तार में 18 नए चेहरों समेत 23 मंत्रियों ने शपथ ली. इन मंत्रियों के सामने भ्रष्टाचार मुक्त परफॉर्मेंस देने की सबसे बड़ी चुनौती है. खराब प्रदर्शन के चलते चार मंत्रियों को पहले ही बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस को लेकर प्रतिबद्धता जता चुके हैं. मंत्रिमंडल विस्तार में भी उन्हीं चेहरों को जगह दी गई है, जिनका प्रदर्शन शानदार रहा है. साथ ही किसी मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप नहीं हैं. ऐसे में नए मंत्रियों के सामने कहीं अधिक चुनौती है.

योगी कैबिनेट के नए मंत्रियों की चुनौती.

चार मंत्री मंत्रिमंडल से बाहर

1. अनुपमा जायसवाल

बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनुपमा जायसवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे. यहां तक कि सदन में भी विपक्ष ने उनके सहयोगी और परिवार के कुछ सदस्यों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगाए थे. इस पर सत्ता पक्ष ने काफी हंगामा किया था. सत्ता पक्ष का कहना था कि व्यक्तिगत टिप्पणी सदन में व्यक्तिगत टिप्पणी न की जाए.

2. धर्मपाल सिंह
सिंचाई मंत्री रहे धर्मपाल सिंह को मंत्रिमंडल में नहीं रखा गया है. धर्मपाल सिंह से संगठन के लोग भी नाराज थे. बताया जा रहा है कि मंत्री के स्तर पर स्थानांतरण की जो सूची बनाई गई थी, उसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रोक दिया था.

3. राजेश अग्रवाल

वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल 75 वर्ष की आयु सीमा को पार कर चुके हैं. इसके अलावा वह भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था देने में असफल रहे. पिछले वर्ष वित्त विभाग के अधिकारियों ने ही मंत्री और उनके रिश्तेदारों पर घूस लेकर स्थानांतरण करने का आरोप लगाया था. यह पत्र शासन में विशेष सचिव से मुख्य सचिव तक गया था. मुख्यमंत्री कार्यालय में भी उस पत्र को पहुंचाया गया था. राजेश अग्रवाल पर भ्रष्टाचार के आरोपों की खबरें मीडिया में चर्चा का विषय रहीं.

4.अर्चना पांडे
खनन राज्य मंत्री रहीं अर्चना पांडे भी सुर्खियों में रही हैं. हालांकि, सीधे तौर पर उनके ऊपर कोई आरोप न लगा हो लेकिन स्थानांतरण और खनन के पट्टे देने में गड़बड़ी के आरोप जरूर लगाए गए. सत्ता के गलियारों में इन आरोपों की खूब चर्चा रही. खनन विभाग मुख्यमंत्री के पास होने की वजह से उनकी भी नजर अर्चना पांडे के कामकाज पर रहती थी. माना जा रहा है कि सीएम योगी ने इसी आधार पर मंत्रालय से बाहर किया है.

ऐसे में अब जो लोग सरकार में शामिल हुए हैं, उनके समक्ष भ्रष्टाचार मुक्त प्रदर्शन करने की बड़ी चुनौती है. अगर उन्होंने किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी की तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई तय है.

यह सतत प्रक्रिया है. नए लोगों को अवसर देने के लिए इस प्रकार के कदम समय-समय पर उठाए जाते रहते हैं. एक कार्यकर्ता को जो जिम्मेदारी दी जाती है वह उसका निर्वहन करता है.
- डॉ. समीर सिंह, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

जिन मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है, वे बेहतर परफॉर्मेंस नहीं दे पा रहे थे. साथ ही कुछ लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लग रहे थे. स्वतंत्र देव सिंह को संगठन की जिम्मेदारी के लिए मंत्रिमंडल से बाहर किया गया लेकिन बाकी चार मंत्रियों को बाहर किए जाने की वजह उनका प्रदर्शन ही है.
- अशोक राजपूत, राजनीतिक विश्लेषक

लखनऊ: योगी मंत्रिमंडल के पहले विस्तार में 18 नए चेहरों समेत 23 मंत्रियों ने शपथ ली. इन मंत्रियों के सामने भ्रष्टाचार मुक्त परफॉर्मेंस देने की सबसे बड़ी चुनौती है. खराब प्रदर्शन के चलते चार मंत्रियों को पहले ही बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस को लेकर प्रतिबद्धता जता चुके हैं. मंत्रिमंडल विस्तार में भी उन्हीं चेहरों को जगह दी गई है, जिनका प्रदर्शन शानदार रहा है. साथ ही किसी मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप नहीं हैं. ऐसे में नए मंत्रियों के सामने कहीं अधिक चुनौती है.

योगी कैबिनेट के नए मंत्रियों की चुनौती.

चार मंत्री मंत्रिमंडल से बाहर

1. अनुपमा जायसवाल

बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनुपमा जायसवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे. यहां तक कि सदन में भी विपक्ष ने उनके सहयोगी और परिवार के कुछ सदस्यों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आरोप लगाए थे. इस पर सत्ता पक्ष ने काफी हंगामा किया था. सत्ता पक्ष का कहना था कि व्यक्तिगत टिप्पणी सदन में व्यक्तिगत टिप्पणी न की जाए.

2. धर्मपाल सिंह
सिंचाई मंत्री रहे धर्मपाल सिंह को मंत्रिमंडल में नहीं रखा गया है. धर्मपाल सिंह से संगठन के लोग भी नाराज थे. बताया जा रहा है कि मंत्री के स्तर पर स्थानांतरण की जो सूची बनाई गई थी, उसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रोक दिया था.

3. राजेश अग्रवाल

वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल 75 वर्ष की आयु सीमा को पार कर चुके हैं. इसके अलावा वह भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था देने में असफल रहे. पिछले वर्ष वित्त विभाग के अधिकारियों ने ही मंत्री और उनके रिश्तेदारों पर घूस लेकर स्थानांतरण करने का आरोप लगाया था. यह पत्र शासन में विशेष सचिव से मुख्य सचिव तक गया था. मुख्यमंत्री कार्यालय में भी उस पत्र को पहुंचाया गया था. राजेश अग्रवाल पर भ्रष्टाचार के आरोपों की खबरें मीडिया में चर्चा का विषय रहीं.

4.अर्चना पांडे
खनन राज्य मंत्री रहीं अर्चना पांडे भी सुर्खियों में रही हैं. हालांकि, सीधे तौर पर उनके ऊपर कोई आरोप न लगा हो लेकिन स्थानांतरण और खनन के पट्टे देने में गड़बड़ी के आरोप जरूर लगाए गए. सत्ता के गलियारों में इन आरोपों की खूब चर्चा रही. खनन विभाग मुख्यमंत्री के पास होने की वजह से उनकी भी नजर अर्चना पांडे के कामकाज पर रहती थी. माना जा रहा है कि सीएम योगी ने इसी आधार पर मंत्रालय से बाहर किया है.

ऐसे में अब जो लोग सरकार में शामिल हुए हैं, उनके समक्ष भ्रष्टाचार मुक्त प्रदर्शन करने की बड़ी चुनौती है. अगर उन्होंने किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी की तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई तय है.

यह सतत प्रक्रिया है. नए लोगों को अवसर देने के लिए इस प्रकार के कदम समय-समय पर उठाए जाते रहते हैं. एक कार्यकर्ता को जो जिम्मेदारी दी जाती है वह उसका निर्वहन करता है.
- डॉ. समीर सिंह, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

जिन मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है, वे बेहतर परफॉर्मेंस नहीं दे पा रहे थे. साथ ही कुछ लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लग रहे थे. स्वतंत्र देव सिंह को संगठन की जिम्मेदारी के लिए मंत्रिमंडल से बाहर किया गया लेकिन बाकी चार मंत्रियों को बाहर किए जाने की वजह उनका प्रदर्शन ही है.
- अशोक राजपूत, राजनीतिक विश्लेषक

Intro:लखनऊ। योगी मंत्रिमंडल विस्तार में 18 नए चेहरों समेत 23 मंत्रियों ने शपथ ली है। इन मंत्रियों के समक्ष भ्रष्टाचार मुक्त परफारमेंस देने की सबसे बड़ी चुनौती है। स्वतंत्रदेव सिंह के अलावा जिन चार मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। उसके पीछे का कारण बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाना और उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगना बताया जा रहा है। इसलिए इन मंत्रियों के समक्ष या चुनौती है कि वह भ्रष्टाचार मुक्त प्रदर्शन करें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन सभी मंत्रियों को निशाने पर रखा जिन पर कहीं न कहीं भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे।


Body:मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यह नहीं चाहते हैं कि भ्रष्टाचार करने वाले मंत्री उनकी सरकार में शामिल हों। बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार अनुपमा जायसवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे। यहां तक कि सदन में भी विपक्ष ने उनके सहयोगी और परिवार के कुछ सदस्यों का भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया तो। इस पर सत्तापक्ष ने काफी हंगामा किया था। सत्ता पक्ष का कहना था कि व्यक्तिगत टिप्पणी सदन में ना की जाए।

सिंचाई मंत्री रहे धर्मपाल सिंह को मंत्रिमंडल में अब नहीं रखा गया है। धर्मपाल सिंह से संगठन के लोग भी नाराज थे। बताया जा रहा है कि मंत्री के स्तर पर स्थानांतरण की जो सूची बनाई गई थी उसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रोक दिया था। मुख्यमंत्री द्वारा ट्रांसफर रोके जाने से यह साबित होता है कि कहीं ना कहीं इसमें भ्रष्टाचार की बू जरूर आई होगी।

वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल की बात करें तो उनके बारे में पहला कारण यह है कि वह 75 वर्ष की आयु सीमा को पार कर गए हैं। दूसरा यह कि वह भी भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था नहीं दे सके। दरअसल पिछले वर्ष वित्त विभाग के अधिकारियों ने ही मंत्री और उनके रिश्तेदारों पर घूस लेकर स्थानांतरण करने का आरोप लगाया था। यह पत्र शासन में विशेष सचिव से लेकर मुख्य सचिव तक गया था। मुख्यमंत्री कार्यालय में भी उस पत्र को पहुंचाया गया। राजेश अग्रवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप की खबरें अखबारों से लेकर चैनलों तक चली थी।

खनन राज्य मंत्री रहीं अर्चना पांडे भी सुर्खियों में रही हैं। सीधे तौर पर उनके ऊपर कोई आरोप ना लगे हो लेकिन स्थानांतरण और खनन का पट्टा देने में गड़बड़ी के आरोप जरूर लगाए गए। इसकी चर्चा सत्ता के गलियारे में खूब रही। खनन विभाग मुख्यमंत्री के पास होने की वजह से उनकी नजर में सारी चीजें थी। मुख्यमंत्री खुद ऐसी चीजों को ठीक से समझ पा रहे थे।

यही वजह है कि अब जो लोग सरकार में शामिल हुए हैं, उनके समक्ष भ्रष्टाचार मुक्त प्रदर्शन करने की बड़ी चुनौती है। उन्हें यह डर हमेशा सताता रहेगा कि अगर उन्होंने किसी प्रकार से कोई गड़बड़ी की तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई तय है। इसलिए इन नए मंत्रियों और जो पहले से सरकार में शामिल हैं, उन्हें फूंक फूंक कर कदम रखना होगा।

बाईट- भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉक्टर समीर सिंह का कहना है कि किसी को बाहर नहीं निकाला गया है यह सतत प्रक्रिया है नए लोगों को अवसर देने के लिए इस प्रकार के कदम समय-समय पर उठाए जाते रहते हैं। वहीं राजनीतिक विश्लेषक अशोक राजपूत कहते हैं कि जिन मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। उसमें स्पष्ट है कि वह लोग कहीं न कहीं बेहतर परफॉर्मेंस नहीं दे पा रहे थे। साथ ही कुछ लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लग रहे थे।


Conclusion:
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