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लेखपाल की मिलाभगत से भूमाफिया ने बुजुर्ग की जमीन करा ली रजिस्ट्री, वजीरगंज थाने में FIR दर्ज

लेखपाल की मिलीभगत से भूमाफिया द्वारा एक बुजुर्ग की जमीन रजिस्ट्री करने का मामला वजीरगंज थाने में दर्ज किया गया है. बुजुर्ग का आरोप है कि भूमि रजिस्ट्री कराने के लिए आरोपियों ने इलाज के नाम पर कार्ड व रसीद बनवाने की बात कही थी.

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Published : Dec 21, 2022, 4:03 PM IST

लखनऊ : लेखपाल की मिलीभगत से भूमाफिया द्वारा एक बुजुर्ग की जमीन रजिस्ट्री करने का मामला वजीरगंज थाने में दर्ज किया गया है. बुजुर्ग का आरोप है कि भूमि रजिस्ट्री कराने के लिए आरोपियों ने इलाज के नाम पर कार्ड व रसीद बनवाने की बात कही थी. वाजीरगंज पुलिस के अनुसार मिश्रीलाल (85) निवासी ग्राम परसादी खेड़ा मजरा सदरौना थाना पारा (Parsadi Kheda Majra Sadrauna Thana Para) ने शिकायत दर्ज कराई है कि इलाज के लिए उसके पास पैसे की कमी थी. इसके लिए किसान क्रेडिट कार्ड व वृद्धा पेंशन बनवाना चाहता था. इसी दौरान उसी के गांव के क्षेत्रीय लेखपाल से मुलाकात हुई तो लेखपाल ने कहा अगर तुमको सरकारी इलाज करवाना है तो कार्ड बनवाने के लिए 10 हजार रुपये देने पड़ेंगे. मिश्रीलाल ने इतना पैसा देने में असमर्थता जताई तो लेखपाल ने कहा कि पैसा तो हम तुम्हें दे देंगे, लेकिन पैसे की रसीद बनाकर देना पड़ेगा. इसके बाद 15 मई 2014 को लेखपाल ने पीड़ित को विमल उर्फ विमलेश कुमार यादव हंस खेड़ा मजरा पारा आलमनगर लखनऊ के ऑफिस बुलाया था. जहां पहले से ही सुरेश कुमार यादव, नागेंद्र यादव, मनीष यादव, सतीश यादव व रंजीत कुमार निवासीगण पूर्वीदिन खेड़ा थाना पारा व हिमांशु यादव निवासी थाना पारा बुद्धिलाल यादव जिला मोहनलालगंज सभी लोग ऑफिस में बैठे थे.


मिश्रीलाल के अनुसार (According to Mishrilal) सभी लोगों ने उसे बिना बताए कचहरी लखनऊ लाए और रसीद कटाने के बहाने भूमि खसरा संख्या 2114 रकबा 0.2950 हेक्टयर ग्राम सदरौना सरोजनीनगर जिला लखनऊ पंजीकृत इकरारनामा करा लिया. इसके बाद दोबारा पीड़ित को इलाज कराने के बहाने सभी लोग 26 मई 2014 को कचहरी लखनऊ लेकर आए तथा बगैर जानकारी दिए इलाज की रसीद बनवाने के बहाने (on the pretext of making a receipt) मेरी भूमि को नागेंद्र यादव के नाम इकरारनामा करा लिया और बतौर गवाह मनीष यादव का हिमांशु यादव बन गए.

इसके बाद 18 मई 2016 मेरी भूमि रसीद बनाने के बहाने उपरोक्त सभी लोग बगैर कोई पैसा और जानकारी दिए मेरी भूमि का बैनामा रंजीत कुमार (जो पिछड़ी जाति का है) अनुसूचित जाति व जनजाति का बताकर बैनामा करा लिया व लेखपाल ने झूठी रिपोर्ट बनाकर कर दाखिल खारिज करा दिया. आठ साल बाद जब मैंने अपनी जमीन की जानकारी ली तो पूरी घटना मालूम हो सकी. एडीजीपी पश्चिम चिरंजीव नाथ सिन्हा (ADGP West Chiranjeev Nath Sinha) ने बताया कि मिश्रीलाल ने मंगलवार को वजीरगंज थाने पर प्राथमिकी दर्ज कराई है. इसके आधार पर 11 लोगों पर विमल, नागेंद्र, मनीष, सतीश, रंजीत, नितिन, हिमांशु, मोनू, बुद्धिलाल, बेचालाल वा लेखपाल मनीष पाठक पर मुकदमा दर्ज किया गया है. मामले की जांच की जा रही है.

लखनऊ : लेखपाल की मिलीभगत से भूमाफिया द्वारा एक बुजुर्ग की जमीन रजिस्ट्री करने का मामला वजीरगंज थाने में दर्ज किया गया है. बुजुर्ग का आरोप है कि भूमि रजिस्ट्री कराने के लिए आरोपियों ने इलाज के नाम पर कार्ड व रसीद बनवाने की बात कही थी. वाजीरगंज पुलिस के अनुसार मिश्रीलाल (85) निवासी ग्राम परसादी खेड़ा मजरा सदरौना थाना पारा (Parsadi Kheda Majra Sadrauna Thana Para) ने शिकायत दर्ज कराई है कि इलाज के लिए उसके पास पैसे की कमी थी. इसके लिए किसान क्रेडिट कार्ड व वृद्धा पेंशन बनवाना चाहता था. इसी दौरान उसी के गांव के क्षेत्रीय लेखपाल से मुलाकात हुई तो लेखपाल ने कहा अगर तुमको सरकारी इलाज करवाना है तो कार्ड बनवाने के लिए 10 हजार रुपये देने पड़ेंगे. मिश्रीलाल ने इतना पैसा देने में असमर्थता जताई तो लेखपाल ने कहा कि पैसा तो हम तुम्हें दे देंगे, लेकिन पैसे की रसीद बनाकर देना पड़ेगा. इसके बाद 15 मई 2014 को लेखपाल ने पीड़ित को विमल उर्फ विमलेश कुमार यादव हंस खेड़ा मजरा पारा आलमनगर लखनऊ के ऑफिस बुलाया था. जहां पहले से ही सुरेश कुमार यादव, नागेंद्र यादव, मनीष यादव, सतीश यादव व रंजीत कुमार निवासीगण पूर्वीदिन खेड़ा थाना पारा व हिमांशु यादव निवासी थाना पारा बुद्धिलाल यादव जिला मोहनलालगंज सभी लोग ऑफिस में बैठे थे.


मिश्रीलाल के अनुसार (According to Mishrilal) सभी लोगों ने उसे बिना बताए कचहरी लखनऊ लाए और रसीद कटाने के बहाने भूमि खसरा संख्या 2114 रकबा 0.2950 हेक्टयर ग्राम सदरौना सरोजनीनगर जिला लखनऊ पंजीकृत इकरारनामा करा लिया. इसके बाद दोबारा पीड़ित को इलाज कराने के बहाने सभी लोग 26 मई 2014 को कचहरी लखनऊ लेकर आए तथा बगैर जानकारी दिए इलाज की रसीद बनवाने के बहाने (on the pretext of making a receipt) मेरी भूमि को नागेंद्र यादव के नाम इकरारनामा करा लिया और बतौर गवाह मनीष यादव का हिमांशु यादव बन गए.

इसके बाद 18 मई 2016 मेरी भूमि रसीद बनाने के बहाने उपरोक्त सभी लोग बगैर कोई पैसा और जानकारी दिए मेरी भूमि का बैनामा रंजीत कुमार (जो पिछड़ी जाति का है) अनुसूचित जाति व जनजाति का बताकर बैनामा करा लिया व लेखपाल ने झूठी रिपोर्ट बनाकर कर दाखिल खारिज करा दिया. आठ साल बाद जब मैंने अपनी जमीन की जानकारी ली तो पूरी घटना मालूम हो सकी. एडीजीपी पश्चिम चिरंजीव नाथ सिन्हा (ADGP West Chiranjeev Nath Sinha) ने बताया कि मिश्रीलाल ने मंगलवार को वजीरगंज थाने पर प्राथमिकी दर्ज कराई है. इसके आधार पर 11 लोगों पर विमल, नागेंद्र, मनीष, सतीश, रंजीत, नितिन, हिमांशु, मोनू, बुद्धिलाल, बेचालाल वा लेखपाल मनीष पाठक पर मुकदमा दर्ज किया गया है. मामले की जांच की जा रही है.

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