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अलग-अलग सपनों के साथ बेटियों ने राजधानी में लगाई दौड़

महिला सैन्य पुलिस भर्ती में शामिल होने के लिए प्रदेश के कई जिलों से बेटियां प्रदेश के कई जिलों से आज राजधानी लखनऊ पहुंची हैं. बेटियों का कहना है कि, हम अपने देश की सेवा करना चाहते हैं. हमारे आर्मी के बहादुर जवान बॉर्डर पर हमेशा विरोधियों को मुंहतोड़ जवाब देते हैं. अब बेटियों की बारी है.

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Published : Jan 18, 2021, 2:33 PM IST

बेटियां करेंगी नाम
बेटियां करेंगी नाम

लखनऊ: महिला सैन्य पुलिस भर्ती में हिस्सा लेने आई बेटियों का सपना बचपन से ही सेना के साथ जुड़ना था, इसीलिए किसी अन्य फील्ड में करियर बनाने के बजाय उन्होंने जमकर मेहनत कर सेना की तरफ रुख किया. आज उनके सपनों को पंख लग रहे हैं. इन बेटियों में कोई किसान की बेटी अपना सपना पूरा करने आई है, तो कोई अपने पिता के आर्मी में भर्ती न हो पाने के अधूरे सपने को खुद सेना के साथ जुड़कर पूरा करने पहुंची है. सेना चिकित्सा कोर केंद्र एवं कॉलेज में आयोजित भर्ती प्रक्रिया में सोमवार को उत्तर प्रदेश के अमेठी और आगरा के साथ कुछ अन्य जनपदों की कुल 1969 महिला अभ्यर्थियों को बुलाया गया था. फिजिकल टेस्ट में सफल होने वाली अभ्यर्थियों से ईटीवी भारत ने बात की.

बेटियों ने लगाई दौड़
देश सेवा करना ही उद्देश्य
रायबरेली से भर्ती में हिस्सा लेने आई बविता सिंह किसान की बेटी हैं, मां ग्रहणी हैं, लेकिन बेटी को देश सेवा करनी है. न उसे ठंडक की परवाह है और ना ही कोहरे की. बविता का कहना है कि उसे बचपन से ही सेना में जाने का शौक था, उसने उस शौक को अपना जुनून बना लिया और अब फिजिकल टेस्ट पास कर लिया और रिटेन भी पास कर लूंगी. सेना में जाने के पीछे मेरा उद्देश्य है कि पाकिस्तान जो लगातार हम पर प्रेशर बनाने का प्रयास करता है उसको मुंहतोड़ जवाब जवाब देना है. यह काम बेटियां भी कर सकती हैं. हमारे आर्मी के बहादुर जवान बॉर्डर पर हमेशा विरोधियों
को मुंहतोड़ जवाब देते हैं. अब बेटियों की बारी
है.
'इस बार हरहाल में होना है भर्ती'

मथुरा से सेना पुलिस में भर्ती होने पहुंची कमला का कहना है कि यह मेरा दूसरा चांस है. पिछली बार भी मैंने भर्ती में हिस्सा लिया था. फिजिकल बहुत अच्छा हुआ था पास हो गई थी, लेकिन रिटेन में दूसरे कंपटीशन की तैयारी करने के चलते पास नहीं हो पाई. इस बार हरहाल में मुझे सेना में भर्ती ही होना है. मेरा उद्देश्य देश की सेवा करना है. पिताजी किसान हैं और उनकी ख्वाहिश है कि मैं सेना में जाऊं और वहीं पर स्पोर्ट्स में हिस्सा लूं.


पापा हुए थे असफल, बेटी होगी सफल

रायबरेली से सेना चिकित्सा कोर केंद्र एवं कॉलेज स्टेडियम में चल रही महिला पुलिस सैन्य भर्ती में हिस्सा लेने पहुंची महिमा द्विवेदी का कहना है कि अभी ग्रेजुएशन चल रहा है. बचपन से ही आर्मी में जाने का उद्देश्य बना लिया था. इसके पीछे पापा का भी हाथ है. पापा ने आर्मी की प्रक्रिया पूरी कर ली थी, लेकिन उनकी भर्ती नहीं हो पाई. अब उनके सपनों को पूरा करने आई हूं. पापा खेती किसानी करते हैं मां ग्रहणी हैं, लेकिन मैं अब देश सेवा के लिए आर्मी में भर्ती होने के लिए मेहनत कर रही हूं.

पिता के साथ ही कमाना है अपना नाम

संत कबीर नगर से सोनी अग्रहरि पूरे जोश के साथ भर्ती में हिस्सा लेने पहुंची. उनके मन में अपने पिता के सपने को हरहाल में पूरा करने का विश्वास है. सोनी बताती हैं कि उन्होंने बीएससी और डी फार्मा किया हुआ है, लेकिन किसी अन्य फील्ड में जाने के बजाय सेना में जाने का मेरा ही नहीं मेरे घर वालों का भी पूरा मन है. मुझे छोड़कर घर में पढ़ने वाला भी कोई नहीं है. इसलिए मैं हरहाल में उनके सपने को पूरा करूंगी. यह कहते हुए सोनी की आंखों में आंसू भी आ जाते हैं कि उनके पिता को पूरी उम्मीद है कि बेटी उनका सपना जरूर पूरा करेगी.

लखनऊ: महिला सैन्य पुलिस भर्ती में हिस्सा लेने आई बेटियों का सपना बचपन से ही सेना के साथ जुड़ना था, इसीलिए किसी अन्य फील्ड में करियर बनाने के बजाय उन्होंने जमकर मेहनत कर सेना की तरफ रुख किया. आज उनके सपनों को पंख लग रहे हैं. इन बेटियों में कोई किसान की बेटी अपना सपना पूरा करने आई है, तो कोई अपने पिता के आर्मी में भर्ती न हो पाने के अधूरे सपने को खुद सेना के साथ जुड़कर पूरा करने पहुंची है. सेना चिकित्सा कोर केंद्र एवं कॉलेज में आयोजित भर्ती प्रक्रिया में सोमवार को उत्तर प्रदेश के अमेठी और आगरा के साथ कुछ अन्य जनपदों की कुल 1969 महिला अभ्यर्थियों को बुलाया गया था. फिजिकल टेस्ट में सफल होने वाली अभ्यर्थियों से ईटीवी भारत ने बात की.

बेटियों ने लगाई दौड़
देश सेवा करना ही उद्देश्य
रायबरेली से भर्ती में हिस्सा लेने आई बविता सिंह किसान की बेटी हैं, मां ग्रहणी हैं, लेकिन बेटी को देश सेवा करनी है. न उसे ठंडक की परवाह है और ना ही कोहरे की. बविता का कहना है कि उसे बचपन से ही सेना में जाने का शौक था, उसने उस शौक को अपना जुनून बना लिया और अब फिजिकल टेस्ट पास कर लिया और रिटेन भी पास कर लूंगी. सेना में जाने के पीछे मेरा उद्देश्य है कि पाकिस्तान जो लगातार हम पर प्रेशर बनाने का प्रयास करता है उसको मुंहतोड़ जवाब जवाब देना है. यह काम बेटियां भी कर सकती हैं. हमारे आर्मी के बहादुर जवान बॉर्डर पर हमेशा विरोधियों
को मुंहतोड़ जवाब देते हैं. अब बेटियों की बारी
है.
'इस बार हरहाल में होना है भर्ती'

मथुरा से सेना पुलिस में भर्ती होने पहुंची कमला का कहना है कि यह मेरा दूसरा चांस है. पिछली बार भी मैंने भर्ती में हिस्सा लिया था. फिजिकल बहुत अच्छा हुआ था पास हो गई थी, लेकिन रिटेन में दूसरे कंपटीशन की तैयारी करने के चलते पास नहीं हो पाई. इस बार हरहाल में मुझे सेना में भर्ती ही होना है. मेरा उद्देश्य देश की सेवा करना है. पिताजी किसान हैं और उनकी ख्वाहिश है कि मैं सेना में जाऊं और वहीं पर स्पोर्ट्स में हिस्सा लूं.


पापा हुए थे असफल, बेटी होगी सफल

रायबरेली से सेना चिकित्सा कोर केंद्र एवं कॉलेज स्टेडियम में चल रही महिला पुलिस सैन्य भर्ती में हिस्सा लेने पहुंची महिमा द्विवेदी का कहना है कि अभी ग्रेजुएशन चल रहा है. बचपन से ही आर्मी में जाने का उद्देश्य बना लिया था. इसके पीछे पापा का भी हाथ है. पापा ने आर्मी की प्रक्रिया पूरी कर ली थी, लेकिन उनकी भर्ती नहीं हो पाई. अब उनके सपनों को पूरा करने आई हूं. पापा खेती किसानी करते हैं मां ग्रहणी हैं, लेकिन मैं अब देश सेवा के लिए आर्मी में भर्ती होने के लिए मेहनत कर रही हूं.

पिता के साथ ही कमाना है अपना नाम

संत कबीर नगर से सोनी अग्रहरि पूरे जोश के साथ भर्ती में हिस्सा लेने पहुंची. उनके मन में अपने पिता के सपने को हरहाल में पूरा करने का विश्वास है. सोनी बताती हैं कि उन्होंने बीएससी और डी फार्मा किया हुआ है, लेकिन किसी अन्य फील्ड में जाने के बजाय सेना में जाने का मेरा ही नहीं मेरे घर वालों का भी पूरा मन है. मुझे छोड़कर घर में पढ़ने वाला भी कोई नहीं है. इसलिए मैं हरहाल में उनके सपने को पूरा करूंगी. यह कहते हुए सोनी की आंखों में आंसू भी आ जाते हैं कि उनके पिता को पूरी उम्मीद है कि बेटी उनका सपना जरूर पूरा करेगी.

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