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अतीक अहमद के खास गुर्गे गुलाम सरवर की जमानत याचिका खारिज, जानें क्या है मामला - Lucknow latest news

रियल स्टेट कारोबारी को अगवा कर जेल में मारने-पीटने के मामले में अतीक अहमद के खास गुर्गे गुलाम सरवर की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है.

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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : May 19, 2022, 9:11 PM IST

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रियल स्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल को अगवा कर देवरिया जेल ले जाने, मारने-पीटने और विभिन्न दस्तावेजों पर जबरन दस्तखत करा लेने के मामले में सपा के पूर्व सांसद अतीक अहमद के खास गुर्गे गुलाम सरवर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा कि आज जब कोई भी ऐसे खतरनाक अपराधियों के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता, तब वादी जो स्वयं पीड़ित हैं, उसने उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत जुटाई है.

यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने गुलाम सरवर की जमानत याचिका पर पारित किया है. अभियुक्त की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ज्योतिंद्र मिश्रा ने दलील दी कि वादी ने लगातार अपने बयानों में सुधार किया है. लिहाजा उसके बयानों में विरोधाभास है. वहीं, सीबीआई की ओर से जमानत का विरोध करते हुए कहा गया कि अतीक अहमद समेत इस घटना में शामिल सभी अभियुक्त खतरनाक अपराधी हैं, जिनकी वजह से तमाम गवाहों को विटनेस प्रोटेक्शन प्रोग्राम के तहत रखा गया है. मामले की गम्भीरता को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय सीबीआई को मामले की विवेचना का आदेश दिया.

यह भी पढ़ें- ज्ञानवापी विवादः वादी महिलाएं बोलीं- अंदर जो भी जाएगा वह समझ जाएगा कि वास्तविकता क्या है?

दरअसल, 29 दिसंबर 2018 को रियल स्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल ने इस मामले की एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसके मुताबिक देवरिया जेल में निरुद्ध अतीक ने अपने गुर्गो के जरिए गोमती नगर से उसका अपहरण करा लिया. तंमचे के बल पर उसे देवरिया जेल ले जाया गया. अतीक ने उसे एक सादे स्टाम्प पेपर पर दस्तखत करने को कहा, उसने इंकार कर दिया, इस पर अतीक ने अपने बेटे उमर और गुर्गे गुफरान, फारुख, गुलाम और इरफान के साथ मिलकर उसे तंमचे और लोहे की राड से बेतहाशा पीटा. उसके बेसुध होते ही स्टाम्प पेपर पर दस्तखत बनवा लिया और करीब 45 करोड़ की सम्पति अपने नाम करा ली. अतीक के गुर्गो ने उसकी एसयूवी गाड़ी भी लूट ली.

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लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रियल स्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल को अगवा कर देवरिया जेल ले जाने, मारने-पीटने और विभिन्न दस्तावेजों पर जबरन दस्तखत करा लेने के मामले में सपा के पूर्व सांसद अतीक अहमद के खास गुर्गे गुलाम सरवर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा कि आज जब कोई भी ऐसे खतरनाक अपराधियों के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता, तब वादी जो स्वयं पीड़ित हैं, उसने उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत जुटाई है.

यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने गुलाम सरवर की जमानत याचिका पर पारित किया है. अभियुक्त की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ज्योतिंद्र मिश्रा ने दलील दी कि वादी ने लगातार अपने बयानों में सुधार किया है. लिहाजा उसके बयानों में विरोधाभास है. वहीं, सीबीआई की ओर से जमानत का विरोध करते हुए कहा गया कि अतीक अहमद समेत इस घटना में शामिल सभी अभियुक्त खतरनाक अपराधी हैं, जिनकी वजह से तमाम गवाहों को विटनेस प्रोटेक्शन प्रोग्राम के तहत रखा गया है. मामले की गम्भीरता को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय सीबीआई को मामले की विवेचना का आदेश दिया.

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दरअसल, 29 दिसंबर 2018 को रियल स्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल ने इस मामले की एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसके मुताबिक देवरिया जेल में निरुद्ध अतीक ने अपने गुर्गो के जरिए गोमती नगर से उसका अपहरण करा लिया. तंमचे के बल पर उसे देवरिया जेल ले जाया गया. अतीक ने उसे एक सादे स्टाम्प पेपर पर दस्तखत करने को कहा, उसने इंकार कर दिया, इस पर अतीक ने अपने बेटे उमर और गुर्गे गुफरान, फारुख, गुलाम और इरफान के साथ मिलकर उसे तंमचे और लोहे की राड से बेतहाशा पीटा. उसके बेसुध होते ही स्टाम्प पेपर पर दस्तखत बनवा लिया और करीब 45 करोड़ की सम्पति अपने नाम करा ली. अतीक के गुर्गो ने उसकी एसयूवी गाड़ी भी लूट ली.

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