लखनऊ: कई शिशु जन्मजात ही बीमारियों की चपेट में होते हैं. वहीं, इनका बीमारियों से छुटकारा भी मुमिकन नहीं हो पाता है. ऐसे में बच्चे का जीवन जहां दुर्लभ हो जाता है, वहीं असामान्य संतान की परिवरिश अभिभावकों के लिए भी बोझ बन जाती है. ऐसे में मां के गर्भ में भरे फ्लूइड की जांच कर शिशु में बीमारी का पता लगाया जा सकेगा. इसके लिए तीन करोड़ की लागत से किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में नई लैब बनेगी.
केजीएमयू के पैथीलोजी के हेड डॉ. उमा शंकर सिंह ने बताया कि केजीएमयू में 'जेनेटिक्स लैब' बनेगी. जहां फ्लूइड से गर्भ में पल रहे बच्चों की आनुवंशिक बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि लैब का इंचार्ज डॉ. मिली जैन को बनाया गया है. डॉ. उमाशंकर के मुताबिक अभी राज्य में सिर्फ एसजीपीजीआई में जेनेटिक्स विभाग था. अब केजीएमयू में भी जेनेटिक्स लैब की स्थापना की जाएगी.
डॉ. उमा शंकर सिंह ने बताया कि केजीएमयू में प्रदेशभर से गर्भवती इलाज के लिए आती हैं. यहां की महिला रोग विशेषज्ञ मरीज की रिपोर्ट देखती हैं और उसकी फैमली हिस्ट्री लेती हैं. ऐसे में गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को लेकर उन्हें कोई संदेह हुआ तो वह एमिनियोटिक फ्लूइड (गर्भ में भरा द्रव्य) का सैम्पल लेकर लैब भेज देंगी. इसके बाद लैब में फ्लूइड की जांच से गर्भ में पल रहे शिशु की बीमारी का पता लगाया जा सकेगा. उन्होंने बताया कि बीमारी पता चलने के बाद अभिभावक गर्भपात कराने का फैसला भी ले सकेंगे. डॉ. उमा शंकर सिंह ने बताया कि 20 हफ्ते से पहले के ही भ्रूण की यहां जांच की जाएगी.