लखनऊः देश में कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रोन दस्तक दे चुका है और अब तक 55 से अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं. जबकि यूपी में संक्रमण की चपेट में आए मरीजों में कोरोना का कौन सा वैरिएंट है, इसकी जांच नहीं हो पा रही है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को दो दूसरे राज्यों को सैम्पल भेजने पड़ रहे हैं. लेकिन अब किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में ही जीन सीक्वेंसिंग टेस्ट के लिए सरकार ने रास्ता साफ कर दिया है. जल्द ही केजीएमयू में 5 करोड़ की लागत से जीन सीक्वेंसिंग टेस्ट के लिए लैब स्थापित किया जाएगा.
यूपी में कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर अलर्ट जारी है. ऐसे में एयरपोर्ट, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की स्क्रीनिंग की जा रही है. इनमें पॉजिटिव आने वाले विदेश से लौटे यात्रियों का सैम्पल जीन सीक्वेंसिंग टेस्ट के लिए भेजने के निर्देश हैं. लेकिनयूपी में जीन सीक्वेंसिंग टेस्ट की लैब बंद हैं. स्थिति यह है कि सीएसआईआर की इकलौती लैब ने कम सैम्पल होने से लागत अधिक आने का हवाला देकर जांच से हाथ खड़े कर दिये. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को अब सैम्पल संग्रह कर आईएलबीएस दिल्ली भेजना पड़ते हैं.
सरकार ने एक दिसम्बर को तीसरी लहर को टालने के लिये टेस्ट पर जोर देने के निर्देश दिए गए थे. इसके लिए केजीएमयू, एसजीपीजीआई, गोरखपुर, झांसी व मेरठ में जीन सीक्वेंसिंग टेस्ट लैब शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं. इनके लिए आवश्यक उपकरणों की खरीदारी जारी है. गौरतलब है कि यूपी में ओमिक्रोन की पड़ताल के लिए पहले 22 सैम्पल का जीन सीक्वेंसिंग टेस्ट आईसीएमआर की लैब में हुए. वहीं, 42 सैम्पल जांच के लिए दिल्ली भेजे गए.
केजीएमयू की माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. अमिता जैन के मुताबिक जल्द ही जीन सीक्वेंसिंग लैब शुरू हो जाएगी. इसके लिए जीन सीक्वेंसर मशीन समेत अन्य उपकरणों की खरीद की जा रही है. उन्होंने बताया कि केजीएमयू में लैब शुरू होने पर 4 से 5 दिन में ही जांच रिपोर्ट मिल जाएगी.
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गौरतलब है कि मरीज में कोरोना की पुष्टि के लिए एंटीजेन और आरटीपीसीआर टेस्ट किए जाते हैं. व्यक्ति कोरोना वायरस के किस वैरिएंट से पीड़ित है, इसके लिए जीन सीक्वेसिंग की जाती है. पहले इस टेस्ट के लिए सैम्पल एनआईवी पुणे भेजे जाते थे. कोरोना की दूसरी लहर में सरकार ने जीन सीक्वेसिंग की भी जिम्मेदारी केजीएमयू को दे दी थी. लेकिन केजीएमयू ने खुद की लैब में व्यवस्था दुरुस्त करने के बजाए एक प्राईवेट लैब से करार कर लिया. ऐसे में पहले हेल्थ टीम द्वारा सैम्पल केजीएमयू जांच के लिए भेजे जाते हैं. इसके बाद केजीएमयू सैम्पल को बेंगलुरु भेज देता है. ऐसे में मरीज की रिपोर्ट आने में 10 दिन के करीब समय लग रहा है.
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