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Pregnancy के बीच में दो से तीन साल का गैप जरूरी, नहीं तो हो सकती है तमाम बीमारियां - लखनऊ की ताजा खबर

वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपा शर्मा के मुताबिक, प्रेग्नेंसी के बाद कम से कम तीन साल तक का गैप रखना जरूरी है. ताकि महिलाएं शरीरिक तौर पर स्वस्थ्य रहे. कहा कि अगर गैप नहीं होता है कि ऐसे में सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना काफी अधिक हो जाती है. इतना ही नहीं कई बार जच्चा-बच्चा की जान चली जाती है.

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Published : Mar 19, 2023, 5:32 PM IST

लखनऊ : दो बच्चों के बीच कम से कम तीन साल का अंतर होना चाहिए. बार-बार गर्भधारण की वजह से इम्युनिटी कमजोर होती है. संक्रमण का रिस्क और शरीरिक कमजोरी बढ़ जाती है. ऐसे में सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना काफी अधिक हो जाती है. कई बार अस्पतालों में इस तरह के हाई रिस्क के मामले भी आते हैं, जिसमें अस्पताल आने में लेटलतीफी के कारण जच्चा-बच्चा की जान चली जाती है. हालांकि जो गर्भवती महिला अस्पताल में समय से पहुंच जाती हैं. उनको बचा लिया जाता है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र से कई बार इसी तरह के केस आते हैं.

हजरतगंज स्थित वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल की एमएस और वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपा शर्मा ने बताया कि आज के समय में लोगों को जागरूक होने की बहुत आवश्यकता है. हमेशा से दो बच्चों के बीच में गैपिंग तीन साल का ही देना चाहिए. लेकिन कई बार हम देखते हैं कि अस्तपाल में बहुत सारी महिलाएं जो पढ़ी लिखी नहीं होती हैं या ग्रामीण क्षेत्र से आती हैं. वह बताती हैं कि एक दो महीने बाद ही दोबारा गर्भ ठहर गया. ऐसा नहीं होना चाहिए. इसके लिए पति का जागरूक होना बहुत जरूरी है, क्योंकि एक तबका ऐसा है, जहां पर महिलाएं अपनी इच्छाएं अपने पतियों को नहीं बता पाती हैं. इस स्थिति में पति का जागरूक होना बहुत जरूरी है. अगर पति जागरूक रहेगा तो महिलाएं एक दो महीने में दोबारा गर्भवती होने से बच सकती हैं.

उन्होंने बताया कि एक प्रेगनेंसी के बाद अगर दोबारा प्रेगनेंसी जल्दी होती है तो उससे महिला शारीरिक तौर पर तो कमजोर हो ही जाती है. साथ ही उसकी इम्यून सिस्टम पर भी काफी असर पड़ता है. महिला का शरीर पूरी तरह से कमजोर हो जाता है. यही कारण है कि तमाम बीमारियां जैसे सर्वाइकल कैंसर, बीपी, शुगर जैसी अन्य बीमारियां हो जाती हैं. अस्पताल में बहुत सारे केस ऐसे आते हैं जो बताते हैं कि आज भी जागरूकता कि कहीं न कहीं कमी है.

35 तक मां बनने का होता है बेहतर समय
उन्होंने बताया कि शादी में देरी बांझपन की बड़ी वजह बन गई है. करियर बनाने के लिए युवतियां देरी से शादी कर रही है. शादी और मां बनने की सबसे अच्छी उम्र 20 से 25 साल है. 26 से 30 साल भी अच्छी उम्र मानी जाती है. 35 की उम्र तक मां बनने का अच्छा समय है. इससे बाद गर्भधारण करने में अड़चन आती है. तमाम तरह की परेशारिया घेर लेती है. बाझपन के खतरों से बचने के लिए सही समय पर शादी करें.

एक बार में ज्यादा खाने से बचें
उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान खानपान का खास ध्यान रखना चाहिए. इस दौरान कुछ-कुछ अंतराल पर भोजन करना गर्भवती और गर्भस्थ शिशु के लिए फायदेमंद है. एक समय में ज्यादा भोजन करने से बचे. गर्भावस्था में एक्टिव रहने की जरूरत है. ज्यादा आराम करने से बचना चाहिए. हालांकि, गर्भावस्था में कुछ दिक्कत होने पर महिलाओं को आराम करने की सलाह दी जाती है. डॉक्टर की सलाह पर समय-समय पर जांच करवाते रहना चाहिए.

पौष्टिक भोजन जरूर लें
वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपा शर्मा ने बताया कि अनियमित जीवनशैली, असंतुलित खानपान और भोजन में पोषक तत्वों की कमी भी बाझपन की समस्या में वृद्धि की वजह है. लिहाजा खानपान दुरुस्त रखना चाहिए. भोजन में हरी पत्तेदार सब्जिया, मौसमी फल आदि के सेवन करना चाहिए. इससे शरीर को सभी जरूरी पोषक तत्व मिलते रहते हैं.

यह भी पढ़ें- प्रदेश में जोरदार बारिश संग ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान, आज भी ओलावृष्टि व बारिश की चेतावनी

लखनऊ : दो बच्चों के बीच कम से कम तीन साल का अंतर होना चाहिए. बार-बार गर्भधारण की वजह से इम्युनिटी कमजोर होती है. संक्रमण का रिस्क और शरीरिक कमजोरी बढ़ जाती है. ऐसे में सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना काफी अधिक हो जाती है. कई बार अस्पतालों में इस तरह के हाई रिस्क के मामले भी आते हैं, जिसमें अस्पताल आने में लेटलतीफी के कारण जच्चा-बच्चा की जान चली जाती है. हालांकि जो गर्भवती महिला अस्पताल में समय से पहुंच जाती हैं. उनको बचा लिया जाता है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र से कई बार इसी तरह के केस आते हैं.

हजरतगंज स्थित वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल की एमएस और वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपा शर्मा ने बताया कि आज के समय में लोगों को जागरूक होने की बहुत आवश्यकता है. हमेशा से दो बच्चों के बीच में गैपिंग तीन साल का ही देना चाहिए. लेकिन कई बार हम देखते हैं कि अस्तपाल में बहुत सारी महिलाएं जो पढ़ी लिखी नहीं होती हैं या ग्रामीण क्षेत्र से आती हैं. वह बताती हैं कि एक दो महीने बाद ही दोबारा गर्भ ठहर गया. ऐसा नहीं होना चाहिए. इसके लिए पति का जागरूक होना बहुत जरूरी है, क्योंकि एक तबका ऐसा है, जहां पर महिलाएं अपनी इच्छाएं अपने पतियों को नहीं बता पाती हैं. इस स्थिति में पति का जागरूक होना बहुत जरूरी है. अगर पति जागरूक रहेगा तो महिलाएं एक दो महीने में दोबारा गर्भवती होने से बच सकती हैं.

उन्होंने बताया कि एक प्रेगनेंसी के बाद अगर दोबारा प्रेगनेंसी जल्दी होती है तो उससे महिला शारीरिक तौर पर तो कमजोर हो ही जाती है. साथ ही उसकी इम्यून सिस्टम पर भी काफी असर पड़ता है. महिला का शरीर पूरी तरह से कमजोर हो जाता है. यही कारण है कि तमाम बीमारियां जैसे सर्वाइकल कैंसर, बीपी, शुगर जैसी अन्य बीमारियां हो जाती हैं. अस्पताल में बहुत सारे केस ऐसे आते हैं जो बताते हैं कि आज भी जागरूकता कि कहीं न कहीं कमी है.

35 तक मां बनने का होता है बेहतर समय
उन्होंने बताया कि शादी में देरी बांझपन की बड़ी वजह बन गई है. करियर बनाने के लिए युवतियां देरी से शादी कर रही है. शादी और मां बनने की सबसे अच्छी उम्र 20 से 25 साल है. 26 से 30 साल भी अच्छी उम्र मानी जाती है. 35 की उम्र तक मां बनने का अच्छा समय है. इससे बाद गर्भधारण करने में अड़चन आती है. तमाम तरह की परेशारिया घेर लेती है. बाझपन के खतरों से बचने के लिए सही समय पर शादी करें.

एक बार में ज्यादा खाने से बचें
उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान खानपान का खास ध्यान रखना चाहिए. इस दौरान कुछ-कुछ अंतराल पर भोजन करना गर्भवती और गर्भस्थ शिशु के लिए फायदेमंद है. एक समय में ज्यादा भोजन करने से बचे. गर्भावस्था में एक्टिव रहने की जरूरत है. ज्यादा आराम करने से बचना चाहिए. हालांकि, गर्भावस्था में कुछ दिक्कत होने पर महिलाओं को आराम करने की सलाह दी जाती है. डॉक्टर की सलाह पर समय-समय पर जांच करवाते रहना चाहिए.

पौष्टिक भोजन जरूर लें
वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपा शर्मा ने बताया कि अनियमित जीवनशैली, असंतुलित खानपान और भोजन में पोषक तत्वों की कमी भी बाझपन की समस्या में वृद्धि की वजह है. लिहाजा खानपान दुरुस्त रखना चाहिए. भोजन में हरी पत्तेदार सब्जिया, मौसमी फल आदि के सेवन करना चाहिए. इससे शरीर को सभी जरूरी पोषक तत्व मिलते रहते हैं.

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