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लॉकडाउन से गंगा का पानी हुआ अमृत, आंकड़ों के जरिए जानिए पूरा हाल

गंगा तेरा पानी अमृत कल-कल बहता जाए... गंगा के इस निर्मल और अविरल रूप के लिए, ना जाने कितने रुपए खर्च हो गए. लेकिन इसका असर बहुत नहीं दिखा. गंगा अपने असली रूप में कब दिखेंगी यह सवाल दशकों से बना हुआ था. लेकिन जो कोई नहीं कर सका, वो लॉकडाउन ने कर दिखाया. जी हां, लॉकडाउन के बाद गंगा का जल काफी निर्मल हो गया है.

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Published : Apr 8, 2020, 10:12 AM IST

लॉकडाउन से गंगा का पानी हुआ अमृत
लॉकडाउन से गंगा का पानी हुआ अमृत

वाराणसी: गंगा तेरा पानी अमृत कल-कल बहता जाए... गंगा के इस निर्मल और अविरल रूप के लिए, ना जाने कितने रुपए खर्च हो गए. लेकिन इसका असर बहुत नहीं दिखा. गंगा अपने असली रूप में कब दिखेंगी यह सवाल दशकों से बना हुआ था. सरकारे बदलती रहीं और गंगा के लिए किए जाने वाले प्रयास और फंड भी ऊपर नीचे होते रहे. कभी उसे किसी नाम से संचालित किया गया तो कभी किसी दूसरे नाम से.

लॉकडाउन से गंगा का पानी हुआ अमृत

'नमामि गंगे' से भी ज्यादा कारगर हुआ लॉकडाउन

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने भी 'नमामि गंगे' योजना लांच कर गंगा की शक्ल सूरत बदलने का प्रयास किया. अलग से गंगा मंत्रालय भी बना. हालात बदले लेकिन उतने भी नहीं जितनी उम्मीद थी. लेकिन इन सभी सरकारी प्रयासों के बाद कोरोना वायरस के डर से देश में हुए लॉकडाउन ने वो कमाल कर दिखाया, जो गंगा को लेकर चल रही महंगी महंगी योजनाएं भी नहीं कर सकीं.

गंगा में बढ़ी ऑक्सीजन की मात्रा

लेकिन अब हालात यह है कि गंगा पहले से ज्यादा साफ और निर्मल दिख रहीं हैं. वहीं पानी साफ होने और गंगा में बढ़ चुके ऑक्सीजन की मात्रा से जलीय जीव भी बेहद खुश हैं. इस हकीकत की पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत ने धर्मनगरी वाराणसी में लॉकडाउन के बाद गंगा का असली हाल जानने का प्रयास किया.

आंकड़े भी बता रहे निर्मल हुईं गंगा

बनारस में गंगा के 84 घाट हैं. इन दिनों सभी घाटों पर गंगा के प्रदूषण को नापने के लिए लोग निकल पड़े हैं. लोग जानने के प्रयास में लगे हैं, कि लॉकडाउन के दौरान पानी में कितना परिवर्तन हुआ है. हालांकि गंगा में सीवेज का जो नाला गिर रहा था. वह आज भी पहले की तरह ही गिर रहा है.

आंकड़ों पर गौर करें, लॉकडाउन घोषित होने से पहले 6 मार्च 2020 को लिए गए गंगा के पानी के नमूनों में, नगवा नाले के पास (DO) डिजाल्व आक्सीजन 3.8 और तुलसी घाट पर 6.8 मिलीग्राम प्रति लीटर था. जो लॉकडाउन के बाद 4 अप्रैल को लिए गए सैम्पल में यही नगवां नाले के पास बढ़कर 6.8 और तुलसीघाट पर 7.2 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया.

जलीय जीवों का जीवन हुआ सुरक्षित

जानकारों की माने तो किसी भी नदी में जलीय जीवों के लिए डिजाइन ऑफ सीजन की मात्रा कम से कम 5 मिलीग्राम प्रति लीटर होना अनिवार्य है. जो पिछले दिनों में तेजी से घट रहा था लेकिन लॉकडाउन के बाद से लगातार इसमें बढ़ोतरी होने से जलीय जीवो का जीवन गंगा में सुरक्षित माना जा सकता है.

पहले से काफी साफ दिख रहा गंगा का पानी
इस बारे में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है, कि कारखानों और फैक्ट्रियों के बंद होने के कारण पहले से गंगा साफ हुईं हैं. इसकी वजह से गंगा में ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ रही है. जलीय जीवों का भी जीवन सुरक्षित हो रहा है. अधिकारियों की मानें तो गंगा आंकड़ों में ही साफ नहीं हुई हैं, आंखों से देखने पर भी इनकी स्वच्छता अब नजर आ रही है. बीते साल मार्च और अप्रैल के गंगा जल और लॉकडाउन के दौरान इस महीने के जल में काफी अंतर है. गंगा का पानी पहले काफी साफ दिख रहा है.

वाराणसी: गंगा तेरा पानी अमृत कल-कल बहता जाए... गंगा के इस निर्मल और अविरल रूप के लिए, ना जाने कितने रुपए खर्च हो गए. लेकिन इसका असर बहुत नहीं दिखा. गंगा अपने असली रूप में कब दिखेंगी यह सवाल दशकों से बना हुआ था. सरकारे बदलती रहीं और गंगा के लिए किए जाने वाले प्रयास और फंड भी ऊपर नीचे होते रहे. कभी उसे किसी नाम से संचालित किया गया तो कभी किसी दूसरे नाम से.

लॉकडाउन से गंगा का पानी हुआ अमृत

'नमामि गंगे' से भी ज्यादा कारगर हुआ लॉकडाउन

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने भी 'नमामि गंगे' योजना लांच कर गंगा की शक्ल सूरत बदलने का प्रयास किया. अलग से गंगा मंत्रालय भी बना. हालात बदले लेकिन उतने भी नहीं जितनी उम्मीद थी. लेकिन इन सभी सरकारी प्रयासों के बाद कोरोना वायरस के डर से देश में हुए लॉकडाउन ने वो कमाल कर दिखाया, जो गंगा को लेकर चल रही महंगी महंगी योजनाएं भी नहीं कर सकीं.

गंगा में बढ़ी ऑक्सीजन की मात्रा

लेकिन अब हालात यह है कि गंगा पहले से ज्यादा साफ और निर्मल दिख रहीं हैं. वहीं पानी साफ होने और गंगा में बढ़ चुके ऑक्सीजन की मात्रा से जलीय जीव भी बेहद खुश हैं. इस हकीकत की पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत ने धर्मनगरी वाराणसी में लॉकडाउन के बाद गंगा का असली हाल जानने का प्रयास किया.

आंकड़े भी बता रहे निर्मल हुईं गंगा

बनारस में गंगा के 84 घाट हैं. इन दिनों सभी घाटों पर गंगा के प्रदूषण को नापने के लिए लोग निकल पड़े हैं. लोग जानने के प्रयास में लगे हैं, कि लॉकडाउन के दौरान पानी में कितना परिवर्तन हुआ है. हालांकि गंगा में सीवेज का जो नाला गिर रहा था. वह आज भी पहले की तरह ही गिर रहा है.

आंकड़ों पर गौर करें, लॉकडाउन घोषित होने से पहले 6 मार्च 2020 को लिए गए गंगा के पानी के नमूनों में, नगवा नाले के पास (DO) डिजाल्व आक्सीजन 3.8 और तुलसी घाट पर 6.8 मिलीग्राम प्रति लीटर था. जो लॉकडाउन के बाद 4 अप्रैल को लिए गए सैम्पल में यही नगवां नाले के पास बढ़कर 6.8 और तुलसीघाट पर 7.2 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया.

जलीय जीवों का जीवन हुआ सुरक्षित

जानकारों की माने तो किसी भी नदी में जलीय जीवों के लिए डिजाइन ऑफ सीजन की मात्रा कम से कम 5 मिलीग्राम प्रति लीटर होना अनिवार्य है. जो पिछले दिनों में तेजी से घट रहा था लेकिन लॉकडाउन के बाद से लगातार इसमें बढ़ोतरी होने से जलीय जीवो का जीवन गंगा में सुरक्षित माना जा सकता है.

पहले से काफी साफ दिख रहा गंगा का पानी
इस बारे में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है, कि कारखानों और फैक्ट्रियों के बंद होने के कारण पहले से गंगा साफ हुईं हैं. इसकी वजह से गंगा में ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ रही है. जलीय जीवों का भी जीवन सुरक्षित हो रहा है. अधिकारियों की मानें तो गंगा आंकड़ों में ही साफ नहीं हुई हैं, आंखों से देखने पर भी इनकी स्वच्छता अब नजर आ रही है. बीते साल मार्च और अप्रैल के गंगा जल और लॉकडाउन के दौरान इस महीने के जल में काफी अंतर है. गंगा का पानी पहले काफी साफ दिख रहा है.

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