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लखनऊ के फिरंगी महल से था बापू का गहरा रिश्ता, यहीं से पड़ी थी खिलाफत आंदोलन की नींव - लखनऊ ताजा समाचार

गांधी जयंती के उपलक्ष्य में लखनऊ के दारुल उलूम फिरंगी महल में प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है. जिसमें बापू का मुसलमानों और फिरंगी महल से रिश्तों के बारे में बताया जा रहा है. आजादी के आंदोलन के वक्त महात्मा गांधी अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ कई बार इस महल में रुके और मुसलमानों के साथ मिलकर भारत की आजादी के लिये लड़ाई लड़ी.

लखनऊ के दालूम उलूम फिरंगी महल से था बापू का गहरा रिश्ता
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Published : Oct 2, 2019, 12:46 PM IST

लखनऊ: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर जहां देशभर में बापू के योगदानों को याद किया जा रहा है. वहीं लखनऊ के दारुल उलूम फिरंगी महल में एक प्रदर्शनी लगाई गई है. इसमें बापू का मुसलमानों और फिरंगी महल से रिश्तों को बताया जा रहा है. महात्मा गांधी का लखनऊ से काफी पुराना नाता रहा है. आजादी के आंदोलन के वक्त महात्मा गांधी अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ कई बार इस महल में रुके और मुसलमानों के साथ मिलकर भारत की आजादी के लिये लड़ाई लड़ी.

लखनऊ के फिरंगी महल से था बापू का गहरा रिश्ता

फिरंगी महल में ही मुस्लिम धर्मगुरुओं ने हिंदू मुस्लिम एकता का नारा किया था बुलंद

आजादी से पहले जब अंग्रेज अपनी डिवाइड एंड रूल की पॉलिसी पूरे देश में लागू कर रहे थे उस वक्त फिरंगी महल के मुस्लिम धर्मगुरुओं ने हिंदू मुस्लिम एकता का नारा बुलंद किया था. इससे खुश होकर सन् 1916 में बापू लखनऊ आए और यहां के उलमा के साथ बैठकर मुल्क की आजादी के लिए मसौदा तैयार किया. सन् 1920 में दोबारा जब महात्मा गांधी लखनऊ आए तब भी फिरंगी महल में ही ठहरे और लखनऊ के मशहूर रिफाह ए आम क्लब में खिलाफत कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. इस दौरान मौलाना अब्दुल बारी फरंगी महली और महात्मा गांधी ने एक मंच से मुसलमानों को संबोधित करते हुए सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया.

जंगे आजादी में जहां बापू ने देश को आजाद कराने के लिए तमाम कुर्बानियां दीं तो वहीं कई मुस्लिम हस्तियों ने बापू के साथ मिलकर अंग्रेजों के चंगुल से मुल्क को आजाद कराने में अहम किरदार निभाया. इस प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों को बापू और बापू के साथ आजादी के आंदोलन में शामिल मुसलमानों के बारे में लोगों को जानकारी दी जा रही है.

लखनऊ: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर जहां देशभर में बापू के योगदानों को याद किया जा रहा है. वहीं लखनऊ के दारुल उलूम फिरंगी महल में एक प्रदर्शनी लगाई गई है. इसमें बापू का मुसलमानों और फिरंगी महल से रिश्तों को बताया जा रहा है. महात्मा गांधी का लखनऊ से काफी पुराना नाता रहा है. आजादी के आंदोलन के वक्त महात्मा गांधी अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ कई बार इस महल में रुके और मुसलमानों के साथ मिलकर भारत की आजादी के लिये लड़ाई लड़ी.

लखनऊ के फिरंगी महल से था बापू का गहरा रिश्ता

फिरंगी महल में ही मुस्लिम धर्मगुरुओं ने हिंदू मुस्लिम एकता का नारा किया था बुलंद

आजादी से पहले जब अंग्रेज अपनी डिवाइड एंड रूल की पॉलिसी पूरे देश में लागू कर रहे थे उस वक्त फिरंगी महल के मुस्लिम धर्मगुरुओं ने हिंदू मुस्लिम एकता का नारा बुलंद किया था. इससे खुश होकर सन् 1916 में बापू लखनऊ आए और यहां के उलमा के साथ बैठकर मुल्क की आजादी के लिए मसौदा तैयार किया. सन् 1920 में दोबारा जब महात्मा गांधी लखनऊ आए तब भी फिरंगी महल में ही ठहरे और लखनऊ के मशहूर रिफाह ए आम क्लब में खिलाफत कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. इस दौरान मौलाना अब्दुल बारी फरंगी महली और महात्मा गांधी ने एक मंच से मुसलमानों को संबोधित करते हुए सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया.

जंगे आजादी में जहां बापू ने देश को आजाद कराने के लिए तमाम कुर्बानियां दीं तो वहीं कई मुस्लिम हस्तियों ने बापू के साथ मिलकर अंग्रेजों के चंगुल से मुल्क को आजाद कराने में अहम किरदार निभाया. इस प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों को बापू और बापू के साथ आजादी के आंदोलन में शामिल मुसलमानों के बारे में लोगों को जानकारी दी जा रही है.

Intro:राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर जहां देशभर में बापू की कुर्बानियों को याद किया जा रहा है तो वही महात्मा गांधी का अदब की सरजमी लखनऊ से भी पुराना नाता रहा है। आज़ादी की तहरीक के वक्त लखनऊ के फिरंगी महल में रुका करते थे जिसकी याद में इन दिनों लखनऊ के दारुल उलूम फिरंगी महल में एक प्रदर्शनी लगाई गई है जिसमें बापू के मुसलमानों और फिरंगी महल से रिश्तो को बताया जा रहा है।


Body:लखनऊ के दारुल उलूम फरंगी महल और महात्मा गांधी का पुराना रिश्ता रहा है जिसकी तस्वीरें इन दिनों लगी प्रदर्शनी में गवाही दे रही हैं। आजादी के आंदोलन के वक्त महात्मा गांधी अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ कई बार लखनऊ के दारुल उलूम फिरंगी महल में रुके और तहरीक ए आजादी में मुसलमानों के साथ मिलकर अंग्रेजों से भारत देश को आजादी हासिल करवाने में कई आंदोलन साथ मिलकर चलाये। आजादी से पहले जब अंग्रेज अपनी डिवाइड एंड रूल की पॉलिसी पूरे देश में लागू कर रहे थे उस वक्त फिरंगी महल के मुस्लिम धर्मगुरुओं ने हिंदू मुस्लिम एकता का नारा बुलंद किया था जिससे खुश होकर सन 1916 में बापू लखनऊ आए और यहां के उलमा के साथ बैठकर मुल्क की आजादी के लिए मसौदा तैयार किया और सन 1920 में दोबारा जब महात्मा गांधी लखनऊ आए तब भी फिरंगी महल में ही ठहरे और लखनऊ के मशहूर रिफाह ए आम क्लब में खिलाफत कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया इस दौरान मौलाना अब्दुल बारी फरंगी महली और महात्मा गांधी ने एक मंच से मुसलमानों को संबोधित करते हुए सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया।

बाइट- मौलाना खालिद राशिद फिरंगी महली, धर्मगुरु


Conclusion:गौरतलब है कि जंगे आजादी में जहां बापू ने देश को आजाद कराने के लिए तमाम कुर्बानियां दी तो वही इतिहास के पन्नों में मुसलमानों की भी कई नामचीन हस्तियों ने बापू के साथ मिलकर मुल्क को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने में अहम किरदार निभाया जिसकी गवाही देती यह तस्वीरें प्रदर्शनी में लगाई गई हैं जिससे लोगों को बापू और बापू के साथ आजादी के आंदोलन में शामिल मुसलमानों के बारे में जानकारियां फ़राहम कराई जा सके

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