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एलयू में लागू होगा 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम, किये जा रहे ये बदलाव - Lucknow news

लखनऊ विश्वविद्यालय में जल्द ही छात्रों को 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम पढ़ने का मौका मिलेगा. इसके लिए विश्वविद्यालय के स्तर पर बदलाव किए जा रहे हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है कि इस 4 वर्षीय पाठ्यक्रम के तहत छात्रों को शोध कार्यों के लिए तैयार किया जाएगा.

लखनऊ विश्वविद्यालय
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Published : Jun 9, 2021, 5:42 AM IST

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय में जल्द ही छात्रों को 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम पढ़ने का मौका मिलेगा. इसके लिए विश्वविद्यालय के स्तर पर बदलाव किए जा रहे हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है कि इस 4 वर्षीय पाठ्यक्रम के तहत छात्रों को शोध कार्यों के लिए तैयार किया जाएगा. नई शिक्षा नीति के तहत हो रहे इन बदलावों को लेकर मंगलवार को विश्वविद्यालय में एक अहम बैठक का आयोजन भी किया गया.

यह फैसले लिए गए

  • बैठक में यह निर्णय लिया गया कि प्रस्तुत स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम को संशोधित कर उसे नई शिक्षा नीति के अनुसार बनाने के लिए मेजर कोर्सेज के साथ माइनर इंट्रा/इंटर डिपार्टमेंट इलेक्टिव भी विद्यार्थियों को उपलब्ध कराए जाएंगे.
  • विद्यार्थियों के पास को करिकुलर कोर्स वोकेशनल कोर्स करने का भी अवसर होगा.
  • विद्यार्थियों को प्रोग्रेसिव रिसर्च की तरफ अग्रसर करने के लिए 4 वर्षीय स्नातक के नए पाठ्यक्रम में माइनर प्रोजेक्ट व रिसर्च मेथाडोलॉजी भी पढ़ाई जाएगी.
  • इंटर्नशिप करने व डिजरटिशन लिखने का भी मौका दिया जाएगा.
  • यह पाठ्यक्रम सेमेस्टर सिस्टम के अनुसार होगा और हर सेमेस्टर 24 क्रेडिट का होगा.

शोध को लेकर हुई है बैठक
विश्वविद्यालय से जुड़े ऐसे महाविद्यालय जहां स्नातक स्तर के विभागों का संचालन किया जा रहा है, उनके शिक्षकों को भी शोध कार्य से जोड़ने के संबंध में मंगलवार को एक बैठक का आयोजन किया गया. डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर राकेश चंद्रा, डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रोफेसर पूनम टंडन, व्यापार प्रशासन विभाग से डॉ संगीता साहू, प्रधानाचार्य, नेताजी सुभाष राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय अलीगंज डॉ. अनुराधा तिवारी और प्रधानाचार्य, डीएवी डिग्री कॉलेज ऐशबाग डॉ. अंजनी मिश्रा भी उपस्थित रहे.

इसे भी पढ़ें:- 'मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना' के प्रशिक्षणार्थियों को मिलेंगे टैबलेट

बैठक में संस्थानों के बीच कॉर्पोरेशन और हैंड होल्डिंग पर जोर दिया गया. अर्थात अगर किसी एक शिक्षण संस्थान में किसी फैसिलिटी की कमी है तो वह कमी दूसरे संस्थान के साथ काम कर पूरी हो सकते हैं. बैठक में मौजूद सभी महाविद्यालयों ने छात्र हित में स्नातक महाविद्यालयों में शोध कराते वक्त इस तरीके की साझेदारी पर जोर दिया और आज के बदलते समय में टेक्नोलॉजी रिमोट एजुकेशन आदि का शोध पर पड़ रहे सकारात्मक प्रभाव की भी बात कही.

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय में जल्द ही छात्रों को 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम पढ़ने का मौका मिलेगा. इसके लिए विश्वविद्यालय के स्तर पर बदलाव किए जा रहे हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है कि इस 4 वर्षीय पाठ्यक्रम के तहत छात्रों को शोध कार्यों के लिए तैयार किया जाएगा. नई शिक्षा नीति के तहत हो रहे इन बदलावों को लेकर मंगलवार को विश्वविद्यालय में एक अहम बैठक का आयोजन भी किया गया.

यह फैसले लिए गए

  • बैठक में यह निर्णय लिया गया कि प्रस्तुत स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम को संशोधित कर उसे नई शिक्षा नीति के अनुसार बनाने के लिए मेजर कोर्सेज के साथ माइनर इंट्रा/इंटर डिपार्टमेंट इलेक्टिव भी विद्यार्थियों को उपलब्ध कराए जाएंगे.
  • विद्यार्थियों के पास को करिकुलर कोर्स वोकेशनल कोर्स करने का भी अवसर होगा.
  • विद्यार्थियों को प्रोग्रेसिव रिसर्च की तरफ अग्रसर करने के लिए 4 वर्षीय स्नातक के नए पाठ्यक्रम में माइनर प्रोजेक्ट व रिसर्च मेथाडोलॉजी भी पढ़ाई जाएगी.
  • इंटर्नशिप करने व डिजरटिशन लिखने का भी मौका दिया जाएगा.
  • यह पाठ्यक्रम सेमेस्टर सिस्टम के अनुसार होगा और हर सेमेस्टर 24 क्रेडिट का होगा.

शोध को लेकर हुई है बैठक
विश्वविद्यालय से जुड़े ऐसे महाविद्यालय जहां स्नातक स्तर के विभागों का संचालन किया जा रहा है, उनके शिक्षकों को भी शोध कार्य से जोड़ने के संबंध में मंगलवार को एक बैठक का आयोजन किया गया. डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर राकेश चंद्रा, डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रोफेसर पूनम टंडन, व्यापार प्रशासन विभाग से डॉ संगीता साहू, प्रधानाचार्य, नेताजी सुभाष राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय अलीगंज डॉ. अनुराधा तिवारी और प्रधानाचार्य, डीएवी डिग्री कॉलेज ऐशबाग डॉ. अंजनी मिश्रा भी उपस्थित रहे.

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बैठक में संस्थानों के बीच कॉर्पोरेशन और हैंड होल्डिंग पर जोर दिया गया. अर्थात अगर किसी एक शिक्षण संस्थान में किसी फैसिलिटी की कमी है तो वह कमी दूसरे संस्थान के साथ काम कर पूरी हो सकते हैं. बैठक में मौजूद सभी महाविद्यालयों ने छात्र हित में स्नातक महाविद्यालयों में शोध कराते वक्त इस तरीके की साझेदारी पर जोर दिया और आज के बदलते समय में टेक्नोलॉजी रिमोट एजुकेशन आदि का शोध पर पड़ रहे सकारात्मक प्रभाव की भी बात कही.

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