लखनऊ: राजधानी लखनऊ में उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा के द्वारा चार व्यंग्यकारों की पुस्तकों का विमोचन एक साथ किया गया. यह आयोजन शिलालेख फाउंडेशन के द्वारा संगीत नाटक अकादमी में आयोजित किया गया था. कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उदय प्रताप सिंह ने की.
हिंदी को सहेजने का काम कर रहे ये साहित्यकार -
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. उदय प्रताप सिंह का कहना है कि आज के समाज में हिंदी साहित्य का जिंदा रहना बहुत जरूरी है. साहित्यकार ही हैं जो हिंदी की शैली को जिंदा रखने का प्रयास कर रहे हैं. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि हिंदी दिवस के दिन एक साथ चार पुस्तकों का लोकार्पण करने के लिए मुझे बुलाया गया. आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में इन व्यंगकारों की रचना हमें हंसाने का काम करते हैं. मैने पहली बार देखा चारों व्यंग्यकार एक-दूसरे के सामने खुद को छोटा बता रहे हैं.
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इन पुस्तकों का हुआ विमोचन -
इस अवसर पर मुकुल महान की पुस्तक 'यमलोक में घोटाला', सर्वेश अस्थाना की संस्मरणों पर आधारित पुस्तक 'वो बालकनी वाली', राजेन्द्र पंडित की कहानी संग्रह 'द पंडित जी' और पंकज प्रसून की लोक कहानी संग्रह 'द लम्पटगंज' नामक पुस्तकों का विमोचन किया गया. संस्मरण पर आधारित पुस्तक 'वह बालकनी वाली' के लेखक सर्वेश अस्थाना कहते हैं कि मेरे जीवन में ऐसा पहली बार हुआ है कि चार व्यंगकारों की रचनाओं का एक साथ विमोचन किया गया. यह चारों पुस्तकें अलग-अलग विषय से जुड़ी है. एक पुस्तक संस्थानों पर आधारित है, तो दूसरी कहानी संग्रह है. मुकुल महान जी के किताब में कविताएं मिलेंगी तो वहीं 'द लंपट गंज' उपन्यास है.