लखनऊ: आयुष घोटाले में पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए बुलाए जाने मात्र से अपनी गिरफ्तारी की आशंका को लेकर पूर्व मंत्री डॉक्टर धर्म सिंह सैनी द्वारा अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल कर दी गई. जिसे आधारहीन पाते हुए सत्र न्यायाधीश संजय शंकर पांडे ने बुधवार को खारिज कर दिया है.
अदालत के समक्ष दाखिल अग्रिम जमानत अर्जी में कहा गया कि विवेचक द्वारा उनके विरुद्ध धारा 91 सीआरपीसी के तहत नोटिस जारी की गई है. लिहाजा उन्हें इस बात की आशंका है कि जब भी वह पूछताछ के लिए विवेचक के सम्मुख जाएंगे, तब उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है. अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध करते हुए जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) मनोज त्रिपाठी का तर्क था कि विभिन्न कॉलेजों में नेट के माध्यम से 982 छात्रों के फर्जी प्रपत्रों के आधार पर दाखिले हुए हैं. बहुत से ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने नेट की परीक्षा भी नहीं दी है, इसके बावजूद उनका दाखिला हो गया.
बहस के दौरान कहा गया कि इस तरह से दाखिला पाने वाले छात्रों की संख्या 982 है तथा इस मामले में विवेचना की जा रही है. अदालत को बताया गया कि धर्म सिंह सैनी को 9 दिसंबर, 15 दिसंबर एवं 29 सितंबर को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए दस्तावेजों सहित उपस्थित होने को कहा गया था. परंतु वह बीमारी का बहाना बताकर पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं हुए. यह भी कहा गया कि अभी तक की जांच में वह न तो आरोपी हैं और न ही उन्हें गिरफ्तार करने का प्रयास किया जा रहा है.
अदालत के समक्ष मौजूद विवेचना अधिकारी संजीव दीक्षित ने भी अदालत को बताया कि 4 नवंबर 2022 को वादी एसएन सिंह द्वारा अपट्रान पावरट्रानिक्स लिमिटेड तथा साफ्ट सल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड व उसके प्राधिकारी कुलदीप सिंह के विरुद्ध हजरतगंज कोतवाली में दर्ज मामले की विवेचना में अभी तक उनका नाम प्रकाश में नहीं आया है. जबकि डॉ धर्म सिंह सैनी की ओर से कहा गया कि वह भाजपा की प्रदेश सरकार के आयुष मंत्रालय के मंत्री थे. 13 जनवरी 2022 को उन्होंने त्यागपत्र दे दिया था. लिहाजा उनका इस मामले से कोई मतलब नहीं है.
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