लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को तगड़ा झटका दिया है. कांशीराम के करीबी रहे बसपा के पूर्व राज्यसभा सांसद बलिहारी बाबू और पूर्व मंत्री तिलक अहिरवार ने बसपा का दामन छोड़ समाजवादी पार्टी की साइकिल पर बैठ गए हैं.
लोकसभा चुनाव के बाद बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन क्या तोड़ा. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उनकी पार्टी ही तोड़नी शुरू कर दी. लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद लगातार बसपा के नेता हाथी की सवारी छोड़ साइकिल की सवारी करने में लगे हुए हैं. पूर्व राज्यसभा सांसद बलिहारी बाबू और पूर्व विधान परिषद सदस्य तिलक अहिरवार ने बसपा को राम-राम करते समाजवादी पार्टी की टोपी पहन ली है.
बलिहारी बाबू ने बताया कि मैं लगातार 32 सालों से बहुजन समाज पार्टी की सेवा कर रहा था. 20 साल की उम्र से मैंने काम करना शुरू किया. रात दिन बसपा को दिया, लेकिन बहुजन समाज पार्टी की गलत नीतियों के कारण बार-बार गलत तरीके से अपमानित किया गया. इसकी वजह से हमने तय किया कि जिस घर में नींव के पत्थर की इज्जत नहीं उसका कोई मतलब नहीं. घर का जो मुखिया नींव के पत्थर निकाल को बाहर करता है, वह घर ज्यादा दिन तक चल नहीं सकता है. इसलिए मैंने बसपा छोड़ समाजवादी पार्टी ज्वाइन की है.
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सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बहुत मिलनसार व्यक्ति हैं. बहुत सहजता से मिलते हैं, संवेदनशील हैं. अब मैं समाजवादी पार्टी की सेवा करूंगा. मैं विश्वास दिलाता हूं कि बुंदेलखंड की सभी 19 सीटें समाजवादी पार्टी को जिताउंगा.
बलिहारी बाबू, पूर्व बसपा नेता